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सरहदी जिले में होने की चुका रहे कीमत: नियमों के मकडज़ाल में उलझी सुविधाएं

locationजैसलमेरPublished: Sep 16, 2020 11:21:15 am

Submitted by:

Deepak Vyas

-जिम्मेदारों की लापरवाही से बनी निराशाजनक स्थिति-विशाल भू.भाग वाला जिला बसा हुआ है छितराई ढाणियों में

सरहदी जिले में होने की चुका रहे कीमत: नियमों के मकडज़ाल में उलझी सुविधाएं

सरहदी जिले में होने की चुका रहे कीमत: नियमों के मकडज़ाल में उलझी सुविधाएं

जैसलमेर/नोख. पाक सीमा से सटे सरहदी जिले में छितराई हुई ढाणियों में सघन आबादी बसी है, लेकिन आजादी के सात दशक बाद भी सुविधाओं के टोटे के बीच महत्वपूर्ण समस्या आज भी जस की तस है, वह है पानी की। यूं तो पानी जीवन का आधार है, लेकिन नल कनेक्शन देने के लिए बने नियमों के बीच तंत्र खुद लाचार है। राजस्थान पत्रिका की ओर से पानी की समस्या से जूझ रहे गांवों को लेकर पेश है आज से विशेष अभियान-
जिला मुख्यालय से करीब 224 किलोमीटर दूर और जैसलमेर, जोधपुर व बीकानेर जिलों की त्रिवेणी पर बसे नोख गांव और उससे जुड़े आसपास के क्षेत्र में पेयजल की व्यवस्था लंबे समय से लड़ाई हुई होने से ग्रामीणों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा है । नोख में कई महीनों से पेयजल आपूर्ति में अनियमितता का दौर बना हुआ है। गौरतलब है कि नहरी पानी की आपूर्ति से पूर्व आसपास के कई किलोमीटर तक मीठे पानी की आपूर्ति का एकमात्र आधार नोख गांव आज खुद प्यास बुझाने को लाचार बना हुआ है। इन निराशाजनक परिस्थितियों को दिन प्रतिदिन विभागीय उदासीनता प्रबल बनाती जा रही है । नोख ग्राम पंचायत मुख्यालय के साथ ही राजस्व गांव ढाणियों में पेयजल की आपूर्ति लंबे समय से अनियमित होने से ग्रामीणों को पेयजल संकट का सामना करना पड़ रहा है। नोख, ठाकरबा, गैलाबा, मेघवालों की ढाणी, बीठे का गांव, रामनगर में अव्यवस्थाओं की मार के चलते पेयजल की आपूर्ति समय पर नहीं हो पाती है । इधर, ग्रामीण लगातार कई वर्षों से नोख क्षेत्र में सुचारू व शुद्ध पेयजल की मांग चुने हुए जनप्रतिनिधियों, विभाग व प्रशासनिक अधिकारियों से कर रहे हैं, लेकिन जिले के अंतिम छोर पर स्थित इस क्षेत्र की ओर कोई भी ध्यान नहीं दे रहा है जिसका खामियाजा आमजन को भुगतना पड़ रहा है ।
बॉर्डर तक जाता था नोख का मीठा पानी
गांव में पेयजल के लिए वर्षों पूर्व खोदे गए खुले कुओं से निकलने वाला मीठा पानी न केवल नोख बल्कि आसपास के सैकड़ों गांव ढाणियों की प्यास बुझाने के लिए एकमात्र सहारा था । नहरी पेयजल की उपलब्धता से पहले अधिकतर क्षेत्र मीठे पानी के लिए नोख पर निर्भर था । बुजुर्गों के अनुसार नोख के कुओं से मीठे पानी के लिए आसपास के जोधपुर और बीकानेर जिले के गांवों के साथ ही बॉर्डर की ओर से भी लोग आते और ऊंट गाड़ी सहित अन्य साधनों से मीठा पानी ले जाते थे, लेकिन कालांतर में संपूर्ण क्षेत्र में नहरी पेयजल की उपलब्धता होने के बाद अन्य क्षेत्र की नोख पर निर्भरता कम हो गई तो कुओं में भी जलस्तर घटने के साथ फ्लोराइड की मात्रा बढऩे लगी । इस दौरान करीब 8 वर्ष पूर्व नोख को भी राजीव गांधी लिफ्ट नहर की पंपिंग स्टेशन नंबर 2 से पाइप लाइन द्वारा नहरी पेयजल की सुविधा उपलब्ध करवाई गई, लेकिन यह सुविधा भी लचर व्यवस्थाओं की भेंट चढ़ी हुई है ।
नकारा व्यवस्थाए अशुद्ध पेयजल
नोख के लिए राजीव गांधी लिफ्ट नहर से की जा रही आपूर्ति के लिए विभाग ने पम्पिंग स्टेशन नंबर दो आपूर्ति स्थल पर फिल्टर प्लांट लगाया हुआ है, लेकिन पहले दिन से ही फिल्टर पेयजल की आपूर्ति सुचारू रूप से नहीं रही । विभागीय उदासीनता के कारण अधिकतर समय नोख के वाशिंदों को अशुद्ध पेयजल सेवन करना पड़ रहा है, जिससे लोग जलजनित बीमारियों के शिकार हो रहे हैं ।
विद्युत व्यवधान की भेंट चढ़ी आपूर्ति
नोख की पेयजल आपूर्ति पूरी तरह से विद्युत आपूर्ति पर निर्भर हो गई है । नोख की पेयजल आपूर्ति के स्थल पम्पिंग स्टेशन नंबर दो पर विद्युत आपूर्ति मदासर की ओर से होती है और लंबी विद्युत लाइन के कारण आए दिन फॉल्ट होने से विद्युत आपूर्ति ठप हो जाती है और इससे कई कई घंटे और दिनों तक नोख की पेयजल आपूर्ति ठप हो जाती है । हालांकि आपूर्ति स्थल से नोख जीएसएस की दूरी बेहद कम है लेकिन कई बार मांग किए जाने के बावजूद ना तो विद्युत आपूर्ति नोख से जुड़ी जा रही है और ना ही विद्युत आपूर्ति की वर्तमान लाइन की ठीक से देखरेख की जा रही है । जिसका खामियाजा लोगों को आए दिन पेयजल संकट के रूप में उठाना पड़ रहा है । इससे नोखए गैलाबा व मेघवालों की ढाणी में पेयजल आपूर्ति प्रभावित होती है ।
ढाणी वासियों को सर्वाधिक परेशानी
नोख गांव के आसपास बसी हुई ढाणियों और गांव में ही स्थित अधिकतर घरों में पेयजल आपूर्ति का एकमात्र साधन ट्रैक्टर टैंकर या ऊंट गाड़ी से आपूर्ति है । ऐसे में पेयजल के लिए ट्रैक्टर टैंकर या ऊंट गाड़ी लेकर पहुंचने वाले ढाणियों के बाशिंदों को विद्युत व्यवधान या अन्य समस्याओं के कारण दिन भर अपना समय खराब करना पड़ता है, लेकिन कई बार उनको खाली हाथ भी जाना पड़ता है ।
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