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स्वागत है सरकार…. मुंह बाए खड़ी समस्याएं तो उम्मीदों का सागर भी उफान पर

locationजैसलमेरPublished: Aug 03, 2020 09:12:15 am

Submitted by:

Deepak Vyas

-चिकित्सा के क्षेत्र में घोषणाओं के फलीभूत होने का इंतजार-स्वर्णनगरी में पर्यटन विकास को लेकर पुख्ता प्रयासों की जरूरत

स्वागत है सरकार.... मुंह बाए खड़ी समस्याएं तो उम्मीदों का सागर भी उफान पर

स्वागत है सरकार…. मुंह बाए खड़ी समस्याएं तो उम्मीदों का सागर भी उफान पर

जैसलमेर. धोरों के बीच बसे खूबसूरत जैसलमेर जिला, क्षेत्रफल के लिहाज से जितना विशाल है उतनी ही बड़ी यहां की समस्याएं भी है। इन सबके बीच कोरोना महामारी ने पत्थर-पवन व पर्यटन पर टिकी अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी है। हर साल 2 हजार करोड़ के टर्न ओवर करने वाला सरहदी जिले का उद्योग कोरोना महामारी के दौरान संकट में हैं। प्रदेश में नई सरकार के गठन के बाद उम्मीदों का सागर उफान पर था, लेकिन अभी भी कई समस्याएं जस की तस बनी है, तो कई उम्मीदों को पूरा होने का इंतजार भी है। इन दिनों प्रदेश की सरकार स्वर्णनगरी में हैं। ऐसे में यहां के बाशिंदो को भी इंतजार है कि सरकारी नजरें इनायत होगी और उनकी उम्मीदें पूरी होगी। अब उन पर यह दारोमदार है कि वे इस क्षेत्र की उम्मीदों को परवान चढ़ाने में अपनी अहम भूमिका अदा करें।
पर्यटन को चाहिए प्रोत्साहन
जैसलमेर पर्यटन और सभ्यता-संस्कृति की ताकत यहां की अद्भुत विरासत है। इसके संरक्षण को लेकर सरकारी तंत्र के गंभीरता की दरकार है। सोनार दुर्ग से लेकर अन्य पर्यटन महत्व के स्थलों का आकर्षण बढ़ाने की दरकार है। जीर्ण-शीर्णऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत की सार-संभाल नहीं जैसलमेर के लिए पूर्व में किए गए निर्णयों को अभी तक पर्यटन विभाग लागू नहीं किया गया है। नए क्षेत्रों को पर्यटकों के लिए शुरू किए जाने का इंतजार बना हुआ है।
मिले साफ व मीठा पानी
नई सरकार से बड़ी उम्मीद स्वच्छ पेयजल की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करवाने की है। जैसलमेर से कई गुना अधिक आबादी वाले शहरों में रोजाना जलापूर्ति की जा रही है, लेकिन नहर के मुहाने पर बसे जैसलमेर शहर की पाइप लाइन को बदलकर रोजाना जलापूर्ति का वर्षों से लंबित सपना पूरा करवाया जाए। गौरतलब है कि जैसलमेर विधानसभा क्षेत्र की हजारों की आबादी के लिए आज भी पीने के पानी की किल्लत बनी रहती है। पेयजल परियोजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी लाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
भूमिहीनों को जमीन मिले तो बात बने
सीमावर्ती जैसलमेर में बारानी भूमि आबंटन पर चार दशकों से रोक लगी है। चुनाव से पहले सरकार ने रोक हटा तो दी, लेकिन अब इसे गतिपूर्वक क्रियान्वित करने के लिए विधायक को नई सरकार स्तर पर पुरजोर प्रयास करने होंगे।भूमिहीनों को जमीन का हक दिलाना होगा।

बीमार चिकित्सा ढांचा सुधारने की दरकार
स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में राजस्थान के सर्वाधिक पिछड़े क्षेत्रों में शुमार किए जाने वाले जैसलमेर में चिकित्सा तंत्र का ढांचा सुधारना नए विधायक की प्राथमिकता में होना चाहिए। क्षेत्र में सरकारी चिकित्सा केंद्रों पर चिकित्सक व अन्य स्टाफ की कमी के अलावा आधारभूत ढांचे में सुधार की बहुत गुंजाइश है।
सिंचाई को मिले जल
इंदिरा गांधी नहर परियाजना के द्वितीय चरण में आने वाले जैसलमेर के हजारों नहरी किसान आए दिन सिंचाई के लिए पानी की कमी के कारण त्रस्त रहते हैं। प्रथम चरण के अंतर्गत आने वाले जिले जैसलमेर के हक का पानी भी ले लेते हैं। विधायक को इस संबंध में प्रभावी कार्रवाई करने की दरकार है।

शिक्षा का स्तर सुधारने की दरकार
जैसलमेर में उच्च शिक्षा की सुविधा नहीं के समान है। यहां के महाविद्यालयों में पद रिक्तता का घुन समूचे सिस्टम को खोखला कर रहा है। प्रतिभावान विद्यार्थियों के सामने उच्च शिक्षा अर्जन के लिए बाहरी शहरों में जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। विशेषकर तकनीकी शिक्षा की उपलब्धता जरूरी है।

अतिक्रमणों पर चले पीला पंजा
जैसलमेर शहर की आबोहवा को खराब करने में अतिक्रमण और अवैध कब्जों का भी बड़ा कारण है। इसके लिए विधायक को इच्छाशक्ति दर्शानी होगी और नगरपरिषद को भी इसके लिए तैयार करना होगा।

ेरेल सम्पर्क बढ़ाने की दरकार
सामरिक दृष्टिकोण तथा पर्यटन के लिहाज से अहम जैसलमेर को देश के विभिन्न बड़े शहरों से सीधा रेल सम्पर्क दिलाने में भी विधायक प्रयास करेंगे, ऐसी आशा यहां के बाशिंदों को रहेगी। इससे पर्यटन के साथ आमजन तथा सैन्य बलों को बड़ी सुविधा मिलेगी।

ठहराव का शिकार पत्थर उद्योग
राज्य सरकार की ओर से विगत सात-आठ वर्षों से नए खनन क्षेत्र आबंटित नहीं किए जाने और उद्यमियों की कई समस्याओं का निराकरण नहीं होने के चलते जैसलमेर के विख्यात पीले पत्थर का व्यवसाय ठहराव का शिकार हो रहा है। सरकार की ओर से मकराणा के सफेद संगमरमर तथा जैसलमेर के यलो स्टोन को एक ही श्रेणी में रखे जाने तथा जैसलमेर की विशेष भौगोलिक परिस्थितियों को नजरअंदाज किया जा रहा है। एक तरफ जहां कोटा स्टोन पर फ्लोरिंग पत्थर मानते हुए 5 प्रतिशत जीएसटी लगाई गई वहीं जैसलमेर का पत्थर जो फ्लोरिंग के साथ नाली निर्माण तक में काम आता है, उसे मार्बल मानते हुए उस पर 18 प्रतिशत तक जीएसटी कर वसूला जा रहा है। ऐसे में जैसलमेर का पीला पत्थर प्रतियोगी बाजार में ठहर नहीं पा रहा।
फैक्ट फाइल
-1156 में हुई जैसलमेर की स्थापना
-8 लाख सैलानी हर वर्ष आते हैं घूमने
-2800 मेगावाट विद्युत उत्पादन जैसलमेर में
-200 करोड़ सालाना का पर्यटन व्यवसाय

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