अवैध खनन से सिमटते धोरे
शनिवार को जब पत्रिका टीम मौके पर पहुंची तो जानकारी सामने आई कि धोरे पर लम्बे समय से खनन चल रहा है। यहां कई ट्रैक्टर ट्रोलियों से रेत परिवहन का कारोबार चल रहा है, लेकिन रोकने वाला कोई नहीं है। धोरे से रेत निकाल लिए जाने से इसका आकार सिमटता जा रहा है। पत्रिका पड़ताल में यह बात सामने आई है कि धोरे पर कई जगह रेत खत्म होने के बाद अब मुरड़ की भी खुदाई होने लगी है। ग्रामीण क्षेत्रों में कच्ची सडक़ें बनाने में इसका उपयोग होने से गहरे गड्ढे बन गए हैं।
शनिवार को जब पत्रिका टीम मौके पर पहुंची तो जानकारी सामने आई कि धोरे पर लम्बे समय से खनन चल रहा है। यहां कई ट्रैक्टर ट्रोलियों से रेत परिवहन का कारोबार चल रहा है, लेकिन रोकने वाला कोई नहीं है। धोरे से रेत निकाल लिए जाने से इसका आकार सिमटता जा रहा है। पत्रिका पड़ताल में यह बात सामने आई है कि धोरे पर कई जगह रेत खत्म होने के बाद अब मुरड़ की भी खुदाई होने लगी है। ग्रामीण क्षेत्रों में कच्ची सडक़ें बनाने में इसका उपयोग होने से गहरे गड्ढे बन गए हैं।
युद्ध के दौरान सेना का रहा पड़ाव
क्षेत्रवासियों की मानें तो रामनगर कॉलोनी के पास स्थित यह धोरा कारगिल युद्ध तथा उससे पहले भारत-पाक युद्ध के दौरान सेना के पड़ाव में काम आया था। यहां दो टुकडिय़ां रुकती, पीछे की टुकडिय़ां पहुंचने पर उन्हें आगे के लिए रवाना किया जाता था। पर्यावरणमित्र शर्मा के अनुसार यहां धोरे पर चारों ओर आयुर्वेद में काम आने वाली औषधियों के पौधे लगाए जाने चाहिए। इसे हरियाली व घास लगाकर पार्क के रूप में विकसित किया जाए। इससे आस-पास के लोगों को सुकून के पल गुजारने को मिले। वहीं जरूरत के दौरान यह जगह सेना के वाहन खड़े करने तथा अन्य गतिविधियों के लिए भी काम आ सकता है।
क्षेत्रवासियों की मानें तो रामनगर कॉलोनी के पास स्थित यह धोरा कारगिल युद्ध तथा उससे पहले भारत-पाक युद्ध के दौरान सेना के पड़ाव में काम आया था। यहां दो टुकडिय़ां रुकती, पीछे की टुकडिय़ां पहुंचने पर उन्हें आगे के लिए रवाना किया जाता था। पर्यावरणमित्र शर्मा के अनुसार यहां धोरे पर चारों ओर आयुर्वेद में काम आने वाली औषधियों के पौधे लगाए जाने चाहिए। इसे हरियाली व घास लगाकर पार्क के रूप में विकसित किया जाए। इससे आस-पास के लोगों को सुकून के पल गुजारने को मिले। वहीं जरूरत के दौरान यह जगह सेना के वाहन खड़े करने तथा अन्य गतिविधियों के लिए भी काम आ सकता है।
कई वर्षों से कर रहा संघर्ष
यहां अवैध खनन रोकने के लिए कई वर्षों से संघर्ष कर रहा हूं। सरकार की ओर से आयुर्वेद उद्यान विकसित करने से कई लोगों को लाभ होगा। हरी घास से पार्क का भी उपयोग हो सकेगा। अवैध खनन से इस धोरे का अस्तित्व खत्म हो जाएगा।
– कृष्णमोहन शर्मा, पर्यावरणमित्र
प्रकरण ध्यान में है, प्रावधान नहीं है
प्रकरण तो ध्यान में है, लेकिन नगरपरिषद के पास किसी व्यक्ति को खेती या बागवानी के लिए जमीन देने का कोई प्रावधान नहीं है। राज्य सरकार स्तर से मार्गदर्शन लेकर इस संबंध में विचार किया जाएगा।
– झब्बरसिंह, आयुक्त, नगरपरिषद, जैसलमेर
यहां अवैध खनन रोकने के लिए कई वर्षों से संघर्ष कर रहा हूं। सरकार की ओर से आयुर्वेद उद्यान विकसित करने से कई लोगों को लाभ होगा। हरी घास से पार्क का भी उपयोग हो सकेगा। अवैध खनन से इस धोरे का अस्तित्व खत्म हो जाएगा।
– कृष्णमोहन शर्मा, पर्यावरणमित्र
प्रकरण ध्यान में है, प्रावधान नहीं है
प्रकरण तो ध्यान में है, लेकिन नगरपरिषद के पास किसी व्यक्ति को खेती या बागवानी के लिए जमीन देने का कोई प्रावधान नहीं है। राज्य सरकार स्तर से मार्गदर्शन लेकर इस संबंध में विचार किया जाएगा।
– झब्बरसिंह, आयुक्त, नगरपरिषद, जैसलमेर