scriptरास आया पंचायतीराज व्यवस्था में संशोधन, निर्वाचित सरपंचों में 53 फीसदी केवल साक्षर | Raas amended Panchayati Raj system, 53 literate among elected sarpanch | Patrika News

रास आया पंचायतीराज व्यवस्था में संशोधन, निर्वाचित सरपंचों में 53 फीसदी केवल साक्षर

locationजैसलमेरPublished: Oct 20, 2020 07:34:15 pm

Submitted by:

Deepak Vyas

-जिले की सात पंचायत समितियों की 176 ग्राम पंचायतों के चुनाव

रास आया पंचायतीराज व्यवस्था में संशोधन, निर्वाचित सरपंचों में 53 फीसदी केवल साक्षर

रास आया पंचायतीराज व्यवस्था में संशोधन, निर्वाचित सरपंचों में 53 फीसदी केवल साक्षर

जैसलमेर. जिले की सात पंचायत समितियों की 176 ग्राम पंचायतों में संपन्न चुनावों में जीत कर आए सरपंच आगे चलकर अपने पंचायत क्षेत्र का विकास कितनी तेजी से कर पाएंगेए,यह तो भविष्य के गर्भ में है लेकिन शिक्षा के मामले में स्थिति अपेक्षानुरूप उजली नहीं है। नए सरपंचों की ओर से नामांकन पत्र पेश करते समय जो शैक्षणिक जानकारी दी गई है, उसके अनुसार जीते हुओं में 93 जने यानी करीब 53 फीसदी तो महज अपना नाम लिखना और जरूरत भर का पढऩा जानते हैं। यानी वे साक्षर हैं।
सत्रह जने ही उच्च शिक्षित
हाल में निर्वाचित सरपंचों में केवल नौ जने स्नातक, पांच, स्नातकोत्तर तथा तीन प्रोफेशनल हैं। उनके अलावा सबसे ज्यादा 93 सरपंच साक्षर हैं। इसी तरह से चार सरपंच अंगूठा छाप तथा इतने ही प्राथमिक शिक्षा प्राप्त हैं। 19 सरपंच उच्च प्राथमिकए 24 जने माध्यमिक और 15 उच्च माध्यमिक स्तर की पढ़ाई कर चुके हैं। गांव स्तर के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के न्यून शैक्षणिक स्तर के लिए जिले का शिक्षा के क्षेत्र में अब भी जारी पिछड़ापन भी है।
60 फीसदी सरपंच महिलाएं
पंचायतीराज व्यवस्था में महिलाओं के लिए आधे यानी 50 फीसदी पद आरक्षित किए गए हैं। इस बार के सरपंचों के चुनाव में महिलाओं ने कई गैर आरक्षित पंचायतों में पुरुष प्रतिद्वंद्वियों को पराजित कर जीत का स्वाद चखा है। यही वजह है कि 176 में से 101 पंचायतों में महिलाएं निर्वाचित हुई हैं, शेष 75 में ही पुरुष गांव की सरकार चलाएंगे।
संशोधन से बदली तस्वीर
गौरतलब है कि राजस्थान में कांग्रेस सरकार ने पूर्ववर्ती भाजपा सरकार की ओर से पंचायतीराज व नगरीय निकाय व्यवस्था में जनप्रतिनिधियों पर पढ़ाई संबंधी लगाई पाबंदी पंचायतीराज संशोधन विधेयक और नगरपालिका संशोधन विधेयक से हटा दी। विधानसभा में पारित इन संशोधन विधेयकों के बाद पंचायतीराज और स्थानीय निकायों के चुनाव लडऩे के लिए शैक्षणिक योग्यता की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है। अब अनपढ़ भी सरपंच के बाद प्रधान, प्रमुख और पार्षद से लेकर मेयर तक का चुनाव लड़ सकेंगे।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो