-सम सेंडड्यून्स पर करीब 70 रिसोट्र्स में से मौजूदा समय में बमुश्किल आधा दर्जन ही संचालित हो रहे हैं । शेष पर ताले जड़ दिए गए हैं तथा वे जुलाई-अगस्त माह से शुरू होंगे।
-जो रिसोट्र्स चल भी रहे हैं, उनमें चंद पक्के टैंट ही सैलानियों के ठहराव के लिए रखे गए हैं।
-सम क्षेत्र में गर्मी के मौसम में चलने वाले रेतीले तूफान से टैंट्स को व्यापक नुकसान की आशंका के चलते रिसोट्र्स संचालक उन्हें समेटने में ही भलाई समझते हैं।
-जिन रिसोट्र्स में सीजन के दिनों में 35-40 का स्टाफ कार्यरत होता है, उनकी संख्या अब घटकर 5-7 पर आ गई है।
-सम में एक हजार से ज्यादा ऊंट चालकों के लिए इन दिनों पालतु रेगिस्तान के जहाजों का भरण पोषण करना भी कठिन है।
शहर में भी हालात नहीं जुदा
जैसलमेर शहर में पर्यटन सीजन की विदाई के साथ मौसमी बेरोजगारी रंग दिखाने लगी है। पर्यटकों की आवक में कमी के साथ गाइडिंग करने वाले ज्यादातर युवा बेकार बैठने को मजबूर हैं। इनमें अधिकृत और अनाधिकृत दोनों प्रकार के गाइड शामिल हैं, जिनकी संख्या पांच सौ से बाहर है। ऐसे ही शहर की बड़ी होटलों को छोडकऱ शेष में स्टाफ की छंटनी का दौर चल रहा है। ट्रेवल एजेंट्स, टैक्सी वाहनों के मालिकों, पर्यटन पर आधारित प्रतिष्ठान चलाने वाले लोगों से लेकर अन्य दुकानदारों के रोजगार पर भी सीधी चोट हुई है।
पर्यटन क्षेत्र की विकट समस्या
पर्यटन सीजन के ऑफ होने के चलते इस व्यवसाय से जुड़े लोगों के लिए रोजगार का संकट विद्यमान हो जाता है। यह इस क्षेत्र की सबसे विकट समस्या है। कई जनों के सामने तो घर चलाना मुश्किल हो जाता है। गर्मियों में सैलानियों को आकर्षित करने के प्रयास किए जाने चाहिए।
-कैलाश कुमार व्यास, पर्यटन व्यवसायी