दुनिया भारत से लेती है ज्ञान, भारतीय पश्चिम के अंधानुकरण में ढूंढ़ रहे भविष्य : शंकराचार्य
-राम
मंदिर , कन्या भ्रूण हत्या पर भी बेबाकी से बोले निश्चलानंद सरस्वती
-जिज्ञासुओं के प्रश्नों का दिया जवाब
जैसलमेर . जैसलमेर प्रवास पर आए जगन्नाथ पुरी की गोवर्धन पीठ के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि दुनिया के विकसित राष्ट्र जहां भारत के प्राचीन और गूढ़तम ज्ञान का उपयोग नए प्रयोगों, वैज्ञानिक अनुसंधान तथा जीवन के अन्य क्षेत्रों में करने के लिए लालायित हैं वहीं भारतीय पश्चिमी देशों के बनाए मार्गों पर चलने में अपनी शान समझते हैं। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने सोमवार को जयनारायण व्यास कॉलोनी स्थित कन्हैयालाल बल्लाणी पार्क में आयोजित प्रश्नोत्तरी में भाग लिया तथा उपस्थित लोगों की जिज्ञासाओं का समाधान किया। इस अवसर पर उनसे पूछे प्रत्येक प्रश्न का बेबाकी से प्रत्युत्तर दिया तथा कई बार आधुनिक भारतीयों की सोच-समझ पर तंज भी कसे। उन्होंने बताया कि हरियाणा का एक युवक किसी वैज्ञानिक जिज्ञासा का समाधान करने के लिए अमेरिका में
नासा के पास गया। वहां उसे बताया गया कि, इसका समाधान तो भारत के पास है। तब वह युवक उनके पास आया और वर्तमान में उनका शिष्य बना हुआ है।
राम जन्मभूमि पर मंदिर ही बनना चाहिए
निश्चलानंद सरस्वती ने एक युवक के प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि अयोध्या स्थित राम जन्मभूमि पर केवल मंदिर ही बनना चाहिए। पूर्व प्रधानमंत्रियों नरसिंह राव और
अटल बिहारी वाजपेयी ने इस मसले का समाधान करने का प्रयास किया, लेकिन उन दोनों में सरदार पटेल जैसी हिम्मत और कौशल नहीं था। उन्होंने कहा कि अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। जहां से जुलाई या उसके बाद मंदिर के अनुकूल या प्रतिकूल अथवा अंशत: अनुकूल व अंंशत: प्रतिकूल निर्णय आ सकता है। शंकराचार्य ने कहा कि संपूर्ण ङ्क्षहदू समाज को राम मंदिर, गो रक्षा तथा गंगा को बचाने जैसे मान बिंदुओं पर एकमतता का प्रदर्शन करना चाहिए। सिख, जैन व बौद्ध धर्मों को सनातन धर्म का ही हिस्सा बताया और कहा कि इन धर्मों को मानने वाले लोग हिंदुत्व के आधारभूत तत्वों में आस्था रखते हैं।
जघन्य पाप है कन्या भ्रूण हत्या
इस अवसर पर कन्या भ्रूण हत्या जैसे ज्वलंत मुद्दे पर विचार प्रकट करते हुए कहा कि ऐसा करना जघन्य पाप है। इसमें महिलाएं भी बराबर की भागीदार हैं क्योंकि जब तक कोई महिला नहीं चाहे, उसके गर्भ में पल रही बच्ची की हत्या नहीं की जा सकती। बेटी को ‘बेटा’ कहकर पुकारने की मानसिकता यह संकेत करती है कि माता-पिता अपनी बेटी को बेटे से कमतर मानते हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए। उन्होंने हिंदू समाज से आह्वान किया कि वे अपने साथ सत्संग में बच्चों को अवश्य लेकर जाएं ताकि धर्म चिंतन का उनके जीवन पर असर पड़े। अगर माता-पिता सतर्क रहें तो उनकी संतान कभी नहीं बिगड़ेगी। निश्चलानंद सरस्वती ने बच्चों में धर्म-कर्म के संस्कार डालने पर जोर दिया। प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम में अच्छी संख्या में महिलाएं और पुरुष मौजूद थे।