पोकरण (जैसलमेर ) . शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि भारत विश्व का हृदय है। उसे पवित्र व मजबूत रखना प्रत्येक भारतवासी की जिम्मेवारी है। स्थानीय पोकरण फोर्ट में शनिवार को आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि विदेशी षडयंत्र के कारण भारत की दशा व दिशा में बहुत बड़ा बदलाव आया है। इसके चलते वर्तमान पीढ़ी पाश्चात्य संस्कृति की ओर बढ़ रही है। इससे देश अपनी संस्कृति से दूर होता जा रहा है। वैदिक काल में गुरुकुल व्यवस्था के चलते वनों में स्थित ऋषि-मुनियों के आश्रम में रहकर व्यक्ति शिक्षा अध्ययन करता तथा उसके बाद ही संासारिक जीवन में प्रवेश करता था। वहीं अब परिस्थितियों में बहुत बड़ा बदलाव आ गया है। धर्म व संस्कृति का नाश हो रहा है। जब-जब भी धर्म का नाश हुआ है विधर्मियों का नाश करने भगवान ने अवतार लिया है। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों की कूटनीति व हमारे शासकों की अदूरदर्शिता के चलते राष्ट्र आज संकट में है। उस संकट निवारण के लिए देशवासियों को उसे समझकर खत्म करना होगा। उन्होंने जीवन में मां का महत्व समझाते हुए कहा कि भारत माता हैं, भूदेवी धरती हमारी माता है, जिसकी रक्षा के लिए सभी को आगे आना होगा। देश मेकाले की शिक्षा पद्धति पर चल रहा है। उसी के चलते संयुक्त परिवार खत्म होते जा रहे हैं। इससे हमारी एकता व अखडंता भी खतरे मे पड़ गई। उन्होने कहा कि ऐसा विकास किस
काम का जो हमारी संस्कृति को खत्म कर दे। विश्व को विज्ञान, चिकित्सा व आयुर्वेद भारत की देन है, लेकिन आज भी लोग चिकित्सा के लिए विदेश जा रहे हैं। यह सब अंग्रेजों की कूटनीति का परिणाम है। पोकरण
शक्ति व भक्ति का स्थल है। यहां दो बार परमाणु परीक्षण हुए, इससे पोकरण की पहचान विश्व स्तर पर हुई। उन्होंने कहा कि पोकरण से ही सनातन धर्म रक्षा की शुरुआत होनी चाहिए। उन्होंने धर्म व गोरक्षा के लिए कार्य करने की बात कही। उन्होंने कहा कि गोमाता की रक्षा ही धर्म व संस्कृति की रक्षा है। इससे पूर्व क्षेत्रीय विधायक शैतानसिंह राठौड़ ने उनका स्वागत किया। शंकराचार्य के तीन दिवसीय पोकरण प्रवास के प्रभारी सचिव नारायण रंगा ने सभी का आभार जताया। धर्मसभा का संचालन रामेश्वर शर्मा ने किया।
शंकराचार्य ने दिए प्रश्रों के उत्तर
जगदगुरु शंकराचार्य ने रविवार को दूसरे दिन भी उपस्थित श्रोताओं के प्रश्नों के उत्तर देकर जिज्ञासाओं को शांत किया। उन्होंने आंनद सागर में क्षत्रिय की परिभाषा बताई। उन्होंने कहा कि जहां-जहां क्षति होती है उसकी पूर्ति करने के लिए जो आगे आता है वह क्षत्रिय होता है। उन्होंने कहा कि क्षत्रिय का कार्य ब्राह्मणों की शिक्षा से अपने राज्य व प्रजा की रक्षा करना है। क्षत्रिय कुशल शासक होते हैं तो ब्राह्मण कुशल शिक्षाविदï। धर्म की हानि के सवाल पर कहा कि यदि व्यक्ति धर्म के बताए रास्तों पर चले तो आज भी धर्म कायम है तथा उसकी हानि नहीं हो सकती। इस अवसर परनगर पालिका अध्यक्ष आंनदीलाल गुचिया, शिक्षाविद चैनसुख पुरोहित, हेमशंकर जोशी, विष्णुदयाल बोहरा, सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता गोपालसिंह भाटी, राणूलाल छंगानी, हंसराज माली सहित कई लोग उपस्थित थे।