भीषण गर्मी की शुरुआत के साथ ही गांवों में ऊंटों के लिए पेयजल संकट गहराने लगा है। गौरतलब है कि लाठी, धोलिया, चांधन आदि ऊंट बाहुल्य क्षेत्र है। क्षेत्र में गत वर्ष औसत से कम बारिश होने के कारण अकाल की स्थिति होने तथा भीषण गर्मी के मौसम में पेयजल की कमी हो गई है। जिसके चलते ऊंटों का भरण पोषण करना पशुपालकों के लिए मुश्किल हो रहा है। ऊंटों के लिए चारे पानी की व्यवस्था को लेकर पशुपालकों को जिलों की सीमाएं पार करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। बगङुराम पूनिया सहित ऊंटपालकों ने मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन प्रेषित कर ऊंटों के संरक्षण के लिए विशेष प्रयास करने की मांग की है।
ऊंटपालक पूनिया, हरलाल गोदारा, डूंगरराम, भागीरथ, रामलाल, गौरीशंकर, सहदेव, श्रवण ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से प्रदेश में लुप्त हो रहे ऊंट की प्रजाति को बचाने के लिए उसे राज्यपशु घोषित किया गया है। जैसलमेर, बीकानेर व बाड़मेर जिले में रेत के टीले व रेगिस्तानी क्षेत्र होने के कारण ऊंट बहुतायत संख्या में है। उन्होंने बताया कि बीकानेर में ऊंटों के संरक्षण के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गई है। ऊंटों की उपयोगिता कम होने तथा उनके लिए चारे पानी की व्यवस्था करना बूते के बाहर होने के कारण ऊंटपालक कम कीमत पर उन्हें बेचने के लिए मजबूर हो रहे है। उन्होंने बताया कि ऊंटनी का दूध कई बीमारियों की दवाओं के काम में आता है। ऐसे में ऊंटों के संरक्षण की जरूरत है।