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छात्रसंघ चुनाव…यादों के झरोखे से:सोशल मीडिया न पोस्टर युद्ध,डोर टू डोर संपर्क

locationजैसलमेरPublished: Aug 13, 2019 11:32:02 am

Submitted by:

Deepak Vyas

जैसलमेर. चुनावी राजनीति की की पहली सीढ़ी माने जाने वाले महाविद्यालयों में छात्रसंघ चुनाव का कार्यक्रम घोषित होने के बाद सीमावर्ती जैसलमेर जिले में भी सरगर्मियां धीरे-धीरे जोर पकड़ रही हैं। राजस्थान पत्रिका ने इस माहौल में पूर्व छात्रसंघ अध्यक्षों से उनके चुनाव और कार्यकाल की अच्छी और रोचक यादों के बारे में बातचीत की। पेश है, इसकी प्रथम कड़ी –

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छात्रसंघ चुनाव…यादों के झरोखे से:सोशल मीडिया न पोस्टर युद्ध,डोर टू डोर संपर्क

जैसलमेर. चुनावी राजनीति की की पहली सीढ़ी माने जाने वाले महाविद्यालयों में छात्रसंघ चुनाव का कार्यक्रम घोषित होने के बाद सीमावर्ती जैसलमेर जिले में भी सरगर्मियां धीरे-धीरे जोर पकड़ रही हैं। राजस्थान पत्रिका ने इस माहौल में पूर्व छात्रसंघ अध्यक्षों से उनके चुनाव और कार्यकाल की अच्छी और रोचक यादों के बारे में बातचीत की। पेश है, इसकी प्रथम कड़ी –
जातिवाद का नहीं था जोर
वर्ष 1993-94 में जैसलमेर के राजकीय एसबीके राजकीय महाविद्यालय में बेहद करीबी मुकाबले में अध्यक्ष पद पर जीत हासिल करने वाले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के शरद व्यास ने बताया कि तब छात्र राजनीति में जातिवाद का आज जैसा जोर बिलकुल नहीं था। छात्र मतदाताओं ने विचारधारा के आधार पर मतदान किया। पहली बार परिषद ने छात्रसंघ के सभी पांच पदों पर जीत का परचम लहराया। व्यास ने बताया कि उस समय चुनाव में खर्च भी बेहद सीमित था। कार्यकर्ता चाय-नाश्ता करते हुए अपने साधनों से प्रचार में जुटे रहते थे। तब न सोशल मीडिया था और न ही पोस्टर वार। घर-घर सम्पर्क पर जोर रहता। मतदाताओं की संख्या भी ढाई सौ के भीतर थी, लेकिन जो भी पढ़ते थे वे पूरी तरह से सक्रिय होकर चुनाव प्रक्रिया में भाग लेते।
एनएसयूआई ने चखा जीत का स्वाद
1996-97में एसबीके कॉलेज छात्रसंघ अध्यक्ष चुने गए हरिवल्लभ कल्ला को आज भी इस बात की खुशी है कि उनके नेतृत्व में एनएसयूआई को लम्बे अर्से बाद जीत का स्वाद चखने को मिला। कल्ला ने बताया कि तब कई वर्षों से कॉलेज में एबीवीपी ही जीतती आ रही थी। उनकी पृष्ठभूमि कांग्रेस थी। उन्होंने कॉलेज में प्रवेश लेने के साथ छात्रों को एनएसयूआई से जोडऩे के लिए प्रयास किए और बीकॉम अंतिम वर्ष में अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवारी पेश की। उस चुनाव में एनएसयूआई ने अध्यक्ष सहित पांच में से तीन पद जीते। कल्ला के अनुसार उनके समय तक भी चुनाव प्रचार डोर-टू-डोर ही ज्यादा हुआ करता था। कांग्रेस के बड़े नेताओं के मार्गदर्शन में कार्यकर्ता संगठन को जीत दिलाने के लिए जी-जान से जुटे थे।
छात्रहित में करवाए निर्णय
साल 2012-13 में एसबीके कॉलेज के अध्यक्ष चुने गए थे एबीवीपी के नरेन्द्रसिंह सोढ़ा। सोढ़ा ने बताया कि उनके कार्यकाल में कॉलेज में कला संकाय में 120 सीटों की बढ़ोतरी करवाने में वे सफल रहे थे। इससे बड़ी संख्या में महाविद्यालय में नियमित अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों को राहत मिली। ऐसे ही तब एसबीके कॉलेज मदस विवि, अजमेर से जोधपुर स्थित जेएनवी के अधीन आई। इस स्थानांतरण के लिए प्रत्येक विद्यार्थी से 800 रुपए का शुल्क लेने की बात कही गई। जिसके विरोध में उन्होंने एबीवीपी के नेतृत्व में आंदोलन चलाया। आखिरकार विद्यार्थियों को इस शुल्क से राहत प्रदान की गई।
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