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JAISALMER NEWS- एक परीक्षा का टेंसन, दूसरा तपती धूप में इंतजार, विद्यार्थियों पर पड़ रही यह दोहरी मार

locationजैसलमेरPublished: Mar 11, 2018 11:10:45 am

Submitted by:

jitendra changani

महाविद्यालय के उद्यान में पसरे हैं पत्थर

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उजाड़ उद्यान से विद्यार्थियों को होती है परेशानी
पोकरण . देशभर में स्वच्छ भारत अभियान व पर्यावरण संरक्षण को लेकर अभियान चलाया जा रहा है। इसको लेकर लाखों की राशि भी खर्च हो रही है। वहीं पोकरण कस्बे में स्थित राजकीय महाविद्यालय के उद्यान में 5 से 7 पौधों के अलावा कुछ भी नहीं दिख रहा। गौरतलब है कि वर्ष 2006 में पोकरण के राजकीय महाविद्यालय की स्थापना की गई थी। इस दौरान मुख्य द्वार के पास उत्तर व दक्षिण दिशा में जगह खाली छोड़ उद्यान विकसित करने की योजना बनाई गई, लेकिन देखरेख के अभाव में जो पौधे लगाए गए थे, वे भी सूखने लगे हैं। वहीं, सुंदर उद्यान विकसित करने की योजना अब तक अधरझूल में है। इस तरफ कोई सकारात्मक प्रयास नहीं होने के कारण चारों तरफ पेड़, बीच में फुलवारी, हरी घास आज भी सपना बना हुआ है।
नहीं मिल पाती छांव, धूप में खड़े रहना मजबूरी
महाविद्यालय परिसर में उद्यान नहीं है। हालांकि समय-समय पर छात्र संगठनों व महाविद्यालय प्रशासन की ओर से पौधरोपण किया जाता है। जिसके अंतर्गत प्रतिवर्ष 20-25 पौधे लगाए जाते है, लेकिन लगाने के बाद इन्हें समय पर पानी नहीं पिलाया जाता है। जिससे पौधे पनप नहीं पाते है तथा जलकर नष्ट हो जाते है। ऐसे में बीते 12 वर्षों में यहां उद्यान विकसित होना तो दूर पूरे महाविद्यालय परिसर में गिनती के पौधे ही देखे जा सकते है। जिसके चलते लंच टाइम में विद्यार्थियों को महाविद्यालय के बरामदे, वाहन पार्किंग के लिए लगे टिनशेड अथवा धूप में ही खड़े रहना पड़ता है।
परीक्षा की घड़ी हो जाती है भारी
महाविद्यालय परिसर में पेड़ पौधे नहीं होने के कारण विद्यार्थियों को खासी परेशानी होती है। अन्य दिनों में तो विद्यार्थी बरामदों में भी बैठ जाते है, लेकिन परीक्षा के दौरान समय से पूर्व पहुंचने पर विद्यार्थियों को महाविद्यालय में प्रवेश नहीं दिया जाता है। जिसके चलते उन्हें धूप में ही खड़े रहकर परीक्षा से पहले परीक्षा देनी पड़ती है। जिससे उन्हें खासी परेशानी होती है। बावजूद इसके महाविद्यालय प्रशासन की ओर से इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
ये भी समस्या
गौरतलब है कि पोकरण से चार किमी दूर जैसलमेर रोड से आशापुरा मंदिर जाने वाले मार्ग पर 12 वर्ष पूर्व महाविद्यालय की स्थापना की गई थी। यहां जमीन पथरीली है। ऐसे में यहां खुदाई करना और पौधे लगाना मुश्किल है, लेकिन यदि महाविद्यालय प्रशासन की ओर से मुख्य द्वार के पास खाली जमीन पर रेत डलवाकर समतलीकरण किया जाता है तथा उसके बाद यहां पौधे लगाकर उनकी देखभाल की जाती है, तो उद्यान विकसित हो सकता है।
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