जैसलमेरPublished: Aug 28, 2023 09:14:57 pm
Deepak Vyas
- जैसलमेर का ८६८वां स्थापना दिवस आज
जैसलमेर. देश के पश्चिमी राजस्थान में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर मरुस्थलीय भू-भाग में प्रारंभिक मध्ययुगीन समय में राव जैसलदेव की ओर से बसाया गया जैसलमेर शहर ८६८ साल का हो गया है। इस नगर ने अपनी बसावट से लेकर अब तक कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। इसने वह मंजर भी देखा है, जब मध्यकाल में सिल्क रूट कहलाया गया और धन-धान्य की बारिश हुई और वह भी जब यहां अकाल और सूखा का स्थाई निवास बन गया। तब जैसलमेर को काले पानी की संज्ञा दी गई। देश को आजादी मिलने के बाद भी महज ४०-४५ साल पहले यह नगर मुख्यत: रेत से अटा हुआ था। जहां आमजन को दैनिक जीवन की आधारभूत सुविधाएं तक पूरी तरह से उपलब्ध नहीं थी। उस समय थोड़ी बहुत संख्या में विदेशी सैलानी यहां घूमने आते थे। देशवासियों को इस शहर की विशेषताओं के बारे में कोई मालूमात नहीं थी। यहां आज सितारा होटलों की पूरी शृंखला है। ४०० से अधिक छोटी और मझोली होटलें तथा लाखों की संख्या में सैलानियों की सुविधा के लिए वाहनों की उपलब्धता है। लंबी चौड़ी सडक़ें हैं और रोजमर्रा के जीवन की तमाम सुख सुविधाएं इफरात में मौजूद है। रेल, सडक़ ही नहीं वायुमार्ग तक से आवाजाही की सुविधाओं के बावजूद वर्तमान में भी कई ऐसी चुनौतियां जिनसे पार पाए जाने की जरूरत महसूस की जा रही है।
पीले पत्थरों पर लिखा महाकाव्य-सा शहर
- पीले पत्थरों से निर्मित जैसलमेर की सुनहरी आभा ने देश-दुनिया में अपने लाखों कद्रदान बनाए हैं। सोनार किले की चमकती आभा सैलानियों को जैसलमेर की ओर खींच लाती है। दुर्ग के अलावा यहां के पीले पत्थरों से बनी कलात्मक हवेलियां और प्रमुख ऐतिहासिक स्थल सैलानियों के आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं।
- यहां के गांवों में निकलने वाले पीले पत्थर की धाक देश-दुनिया तक पहुंच चुकी है। देश के विभिन्न स्थानों पर यह पत्थर काम में लिया जा रहा है वहीं चीन, कनाडा, दोहा, कतर, बांग्लादेश, स्पेन, आस्ट्रेलिया, यूके और संयुक्त अरब अमीरात सहित अरब देशों में भी जैसलमेरी पत्थर भवन निर्माणों में पसंद किया जा रहा है।
- जैसलमेर में पर्यटन व्यवसाय का विस्तार 1980 के दशक में प्रारंभ हुआ। 198 2 में यहंा कुल 10 होटल थे जो 199० में 35, 2001 में 121 और आज ४०0 से भी ज्यादा हो चुकी हैं। जैसे होटलें बढ़ी, उसी अनुपात में रेस्टोरेंटï्स, ट्रेवल एजेंसियां और अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठान भी बढ़े।
- कभी सालाना कुछ सौ और बाद में चंद हजार सैलानी जैसलमेर घूमने आते थे। उनकी संख्या वर्तमान में १० लाख का आंकड़ा छूने को बेताब है। पिछले दो-तीन साल में कोरोना महामारी ने पर्यटन व्यवसाय में भी बाधा उत्पन्न की लेकिन अब सब ठीक होने की ओर अग्रसर है।
- १९70 के दशक में ट्रेन जैसलमेर पहुंची। भारत-पाकिस्तान के १९६५ में हुए युद्ध के बाद सडक़ों का जाल बिछने लगा। पाकिस्तान के साथ 1971 के युद्ध में जैसलमेर सीमा पर दोनों देशों के बीच हुए युद्ध ने जिले में यातायात के साधनों की तीव्र जरूरत को और विस्तार से सरकारों के सामने रखा।
- विगत वर्षों में जैसलमेर एनर्जी हब बन चुका है। पवन और सौर ऊर्जा से हजारों मेगावाट विद्युत उत्पादन संभव हो सका है। यह प्रक्रिया न केवल जारी है बल्कि निरंतर तेज हेा रही है।
- आने वाले समय में जिले में सीमेंट उद्योग की स्थापना होने जा रही है। हजारों लोगों को इससे प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से रोजगार मिलेगा।
इस तरफ जल्द देना होगा ध्यान
- जैसलमेर ने पर्यटन से समृद्धि का स्वाद तो चख लिया लेकिन यह और किस तरह से बढ़ता जाए, इस तरफ ध्यान दिए जाने की दरकार है। विगत वर्षों में जैसलमेर का पर्यटन विकास थमता हुआ प्रतीत हो रहा है। बॉर्डर ट्यूरिज्म के आगाज से उम्मीद है।
- जैसलमेर में दशकों पुराने पर्यटन स्पॉट्स के अलावा नए पॉइंट्स विकसित नहीं किए जा सके हैं। साथ ही सोनार दुर्ग हो या हवेलियां और अन्य विरासत, की उचित देखभाल नहीं हो पा रही है।
- सम के रेतीले धोरे लाखों सैलानियों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं, वहां अंधाधुंध पर्यटन गतिविधियों से सुंदर मंजर अब कुरुप होता जा रहा है।
- लाइमस्टोन की बहुतायत को देखते हुए सीमेन्ट कारखाने जल्द लगाने की जरूरत है। इससे जिले में रोजगार के द्वार खुलेंगे और क्षेत्र का विकास होगा। जिले में प्राकृतिक गैस व खनिज तेल के भी विपुल भण्डार हैं। उनके दोहन के कार्य में गति लाने की जरूरत है।
- रेल यातायात पहले के मुकाबले कम हो गया है। वर्तमान में रेलवे स्टेशन का कायाकल्प किया जा रहा है, उसका भी असल फायदा लम्बी दूरी की टे्रनों की शुरुआत से ही इस शहर व पूरे क्षेत्र को मिल सकेगा।
- शिक्षा के क्षेत्र में मेडिकल शिक्षा दिलाने का काम देरी का शिकार हुआ है। वहीं अन्य रोजगारपरक कोर्स के लिए कॉलेज शुरू करने की जरुरत है।
- वर्ष पर्यंत हवाई सेवाओं की कमी अखरती है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा, चिकित्सा, बिजली-पानी की मूलभूत सुविधाओं की कमी आज भी चिंता का सबब बनी हुई है।
- मरु उद्यान के क्षेत्र में आने वाले गांवों के विकास में आई हुई बाधाओं को वन्यजीवों का संरक्षण करते हुए दूर करने के तेज प्रयास करने होंगे।