बसने के हक के इंतजार में पथराने लगी हैं आंखें
- पाक नागरिकों को नागरिकता के संबंध में शिविर शुरू
- करीब 180 जनों को दी जानी है नागरिकता
जैसलमेर
Updated: April 11, 2022 07:38:58 pm
जैसलमेर. पड़ोसी मुल्क में धार्मिक आधार पर अत्याचार और भेदभावों से आजिज आकर भारत के सीमांत जैसलमेर जिले में विस्थापितों के तौर पर रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को भारत भूमि में हक से रहने का अधिकार दिलाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की तरफ से सकारात्मक बातें कहे जाने के बावजूद यह सच्चाई है कि वे 10 से 15 साल से केवल इंतजार ही कर रहे हैं। इस बीच उन्होंने नागरिकता के लिए आवेदन से लेकर सभी वांछित औपचारिकताएं भी पूरी कर दी। पिछले साल जून माह में जैसलमेर में शिविर लगाया गया था, उसके बाद सोमवार से एक बार फिर तीन दिनी शिविर कलेक्ट्रेट के डीआरडीए हॉल में शुरू हुआ। जिसमें जयपुर से गृह विभाग के अधिकारी और कार्मिक यहां पहुंचे हैं। जिले के अधिकारी और संबंधित विभागों के कार्मिक जुटे हैं। पहले दिन पूर्व में किए गए आवेदनों की समीक्षा का कार्य चला। पत्रिका टीम ने सोमवार दोपहर जब शिविर स्थल का जायजा लिया तो हालात निराशाजनक दिखाई दिए।
वर्षों से कर रहे इंतजार
डीआरडीए हॉल के भीतर और बाहर पेड़ की छाया में अनेक पाकिस्तान से आए शरणार्थी महिला-पुरुष मौजूद थे। उन्होंने बताया कि उन्हें नागरिकता नहीं मिलने से उनके जीवन यापन और मूल अधिकारों के मिलने में तो दिक्कतें आ ही रही है, उनकी संतति को भी शिक्षा प्राप्ति तक में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उनके लिए काम करने वाली संस्था के कार्यकर्ता उनकी बकाया जरूरी औपचारिकताओं को पूरा करवा रहे थे। पाक विस्थापितों को नागरिकता के लिए कार्य करने वाली संस्था से जुड़े दिलीपसिंह सोढ़ा ने बताया कि करीब 180 जनों के आवेदन पूर्णतया तैयार हैं। उनके संबंध में जांच एजेंसियों की छानबीन भी पूरी हो चुकी है। अब कम से कम उन्हें आगामी 13 तारीख तक नागरिकता का प्रमाण पत्र मिल जाए तो उनके बच्चों को नागरिकता दिलाने की मुहिम शुरू की जाए। शरणार्थियों के प्रतिनिधि और जैसलमेर स्थानीय निकाय में पार्षद रह चुके नाथूराम भील ने भी बताया कि वर्ष 2009 और उसके बाद से बसे विस्थापितों को भारतीय नागरिकता दिलाने में और देरी नहीं होनी चाहिए।
मिल नहीं पाई है राहत
केंद्र सरकार ने साल 2015 में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने के संबंध में नियम-कायदों में ढील देने का फैसला किया था। संबंधित जिलों के कलक्टर को नागरिकता देने के लिए अधिकृत किया था। उससे विस्थापितों में आशा की किरण लगी थी लेकिन धरातल पर वास्तविकता यह है कि 2016 से अब तक केवल सात जनों को भारतीय नागरिकता मिल सकी है। विस्थापितों के ऐसे बच्चे भी अब सैकड़ों की तादाद में हैं, जिनका जन्म भारत में हुआ है लेकिन माता-पिता को नागरिकता नहीं मिली होने के कारण उनके आवेदन भी अब तक नहीं लिए जा रहे। विस्थापितों ने दर्द का इजहार करते हुए बताया कि उनके बच्चों को स्कूल में भर्ती करवाने से लेकर अन्य योजनाओं का लाभ मिलने में कठिनाइयां पेश आ रही हैं।
आवेदनों की जांच व रजिस्ट्रेशन
इधर विस्थापित लोगों को नागरिकता प्रमाण पत्र पंजीयन करने के लिए सोमवार को डीआरडीए सभाकक्ष में तीन दिवसीय शिविर की शुरुआत हुई। जिसमें अच्छी संख्या में पाक विस्थापित नागरिकता से सम्बन्धी कार्यवाही कराने के लिए अच्छी संख्या में उपस्थित हुए। शिविर में प्राप्त आवेदन पत्रों का आवश्यक जांच की जाकर नियमानुसार आवेदन पत्रों का रजिस्ट्रेशन किया गया। इस दौरान अतिरिक्त जिला कलक्टर हरिसिंह मीना ने नागरिकता सम्बन्धी किए जाने वाले ऑनलाइन कार्य के संबंध में प्रशासन के साथ ही सीआईडी बीआइ, पुलिस, आइबी के अधिकारियों से कहा कि वे पूर्ण संवेदनशीलता के साथ कार्य कर उन्हें राहत दिलाएं। साथ ही दस्तावेजों की सम्पूर्ण जांच कर नागरिकता के लिए ऑनलाइन आवेदन पत्र भी भरवाने की कार्यवाही करे। उन्होंने ऐसे पाक विस्थापित जिन्हें यहां आए सात साल हो गए हैं, उन लोगों को भारतीय नागरिकता के लिए ऑनलाइन आवेदन करने के लिए कहा। इस अवसर पर हिन्दूसिंह सोढ़ा, पूर्व पार्षद नाथूराम भील के साथ ही सीआईडी एवं पुलिस के अधिकारी भी उपस्थित थे। वहीं जयपुर से आई टीम ने भी दस्तावेजों की जांच की।

बसने के हक के इंतजार में पथराने लगी हैं आंखें
पत्रिका डेली न्यूज़लेटर
अपने इनबॉक्स में दिन की सबसे महत्वपूर्ण समाचार / पोस्ट प्राप्त करें
अगली खबर
