जैसलमेर.शहरों में सफाई की रैंकिंग तय करने केंद्र सरकार की घोषणा के बाद जैसलमेर नगर परिषद भी इस प्रतियोगिता में कूद गई है या यों कहें मजबूरन उतरना पड़ा है। अधिकारी व कर्मचारी व्यवस्था सुधारने के लिए भाग-दौड़ कर रहे हैं। लेकिन इसमें पहले की सुस्ती अब आड़े आ रही है। कहीं पूरा स्टाफ नहीं है तो कहीं उपकरणों की कमी खलने लगती है। इसी बीच सफाई ठेकेदारों की टीम के काम का तरीका भी परिषद के लिए गले की हड्डी बन जाता है। लोगों की शिकायत है कि कचरा संग्रहण करने वाली कई टैक्सियों के चालकों ने अपनी मर्जी के डंपिंग स्टेशन बना दिए हैं। ऐसे में वहां फैल रही गंदगी तथा बदबू से सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है।
मुख्य चौराहों पर ध्यान , गलियों की वही हालत
शहर के रैंकिंग की घोषणा के बाद नगर परिषद मुख्य चौराहों पर विशेष ध्यान दे रही है। वहीं आस-पास की कच्ची बस्ती, गफूर भ_ा, लक्ष्मीचंद सांवल कालोनी व जवाहर कालोनी में कचरा ले जाने वाले वाहन आस-पास कचरा डाल रहे हैं। ऐसे में यहां कचरे के ढेर बन गए है। परिषद के जिम्मेदारों का कहना है हमारे वाहनों में जीपीएस सिस्टम लगा है। ऐसे में ये नियत स्थान पर ही कचरा डाल रहे हैं। ठेके में जो वाहन कचरा डाल रहे उस पर मॉनिटरिंग की आवश्यकता है। इसे लेकर ठेकदारों को नोटिस भी दिया है। जीपीएस नहीं लगने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
मुख्य चौराहों पर ध्यान , गलियों की वही हालत
शहर के रैंकिंग की घोषणा के बाद नगर परिषद मुख्य चौराहों पर विशेष ध्यान दे रही है। वहीं आस-पास की कच्ची बस्ती, गफूर भ_ा, लक्ष्मीचंद सांवल कालोनी व जवाहर कालोनी में कचरा ले जाने वाले वाहन आस-पास कचरा डाल रहे हैं। ऐसे में यहां कचरे के ढेर बन गए है। परिषद के जिम्मेदारों का कहना है हमारे वाहनों में जीपीएस सिस्टम लगा है। ऐसे में ये नियत स्थान पर ही कचरा डाल रहे हैं। ठेके में जो वाहन कचरा डाल रहे उस पर मॉनिटरिंग की आवश्यकता है। इसे लेकर ठेकदारों को नोटिस भी दिया है। जीपीएस नहीं लगने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
जैसलमेर नगर परिषद के पास सुपर शकर वैक्यूम मशीन भी नहीं है, जबकि यहां बिछी सीवरेज लाइन में कई खामियां हैं। ऐसे में बालिका विद्यालय व हनुमान चौराहे के पास कई बार नाला ओवरफ्लो हो जाता है। यह गंदा पानी कलक्टर ऑफिस मुख्य द्वार तथा आगे तक फैल जाता है। इसे लेकर परिषद की मजबूरी है कि यहां सुपर शकर वैक्यूम मशीन नहीं है। रैंकिंग सुधारने के लिए यह मशीन लाखों का भुगतान कर जोधपुर से लानी पड़ी है।
नहीं मिल रहा लोगों का सहयोग
शहर की सफाई को पहले नगर परिषद ने गंभीरता से नहीं लिया। अब आमजन का भी सहयोग नहीं मिल रहा। परिषद के सफाई निरीक्षक का कहना है कि सभी लोग डोर-टू-डोर जाने वाली टैक्सियों में कचरा नहीं डाल रहे। दुकानदार व ठेले वाले भी कचरा पात्र का उपयोग नहीं करते। ऐसे में पॉलीथिन व कचरा सडक़ों पर बिखरा रहता है। आवारा पशु पकडऩे के अभियान का भी लोगों ने विरोध किया, सहयोग नहीं मिला।
दिन भर व रात में जहां कचरा रहता है उसकी सफाई के लिए तीन दल बनाए गए। इसमें 1 टैक्सी व 1 सफाई कर्मचारी होता है। एक दल दोपहर 12 से शाम 8 बजे तक हनुमान चौराहा व मुख्य चौराहों से कचरा ले जाता है। वहीं रात 8 से 12 बजे के बीच अम्बेडकर पार्क व उसके आस-पास लेकर गीता आश्रम तक सफाई की जाती है। तीसरा दल बालिका विद्यालय व शिवरोड व किला रिंग रोड पर काम करता है। इसके बावजूद पूरे शहर की सफाई के लिए तीनों दल कम पड़ रहे हैं। शहर के मंगलसिंह पार्क, गड़ीसर प्रोल के पास व तालरिया पाड़ा सहित कई जगहों पर कुछ ही घंटों में कचरे का ढेर जमा हो जाते हैं।
परिषद के संसाधन
5 गाडिय़ां
10 टैक्सियां
3 कचरा ढोने वाले वाहन
1 डम्पर
1 जेसीबी
इनकी भेजी है डिमांड
– नालों की सफाई के लिए सुपर शकर मशीन
– 4 टैक्सियां
– रोड स्वीपर मशीन वैक्यूम वाली छोटी मशीनें स्वच्छता एप का कम इस्तेमाल
मैंने हाल ही में कार्यभार संभाला है। कोई कमी नहीं रहे इसके लिए पूरे प्रयास कर रहे हैं। लोगों की शिकायत पर तुरंत सफाई करवा रहे हैं। फिलहाल लोग स्वच्छता एप का इस्तेमाल कम कर रहे हैं। कहीं भी सफाई नहीं हो रही है तो एप के माध्यम से जानकारी दें। दुकानों के आस-पास कचरा मिलने पर चालान काट रहे हैं।
– अशोक मीना, सफाई निरीक्षक
– नालों की सफाई के लिए सुपर शकर मशीन
– 4 टैक्सियां
– रोड स्वीपर मशीन वैक्यूम वाली छोटी मशीनें स्वच्छता एप का कम इस्तेमाल
मैंने हाल ही में कार्यभार संभाला है। कोई कमी नहीं रहे इसके लिए पूरे प्रयास कर रहे हैं। लोगों की शिकायत पर तुरंत सफाई करवा रहे हैं। फिलहाल लोग स्वच्छता एप का इस्तेमाल कम कर रहे हैं। कहीं भी सफाई नहीं हो रही है तो एप के माध्यम से जानकारी दें। दुकानों के आस-पास कचरा मिलने पर चालान काट रहे हैं।
– अशोक मीना, सफाई निरीक्षक