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JAISALMER NERWS- सरहद की निगाहबान चौकियों पर लटका है ताला, इस कारण से यहां पसरा है सन्नाटा

locationजैसलमेरPublished: Jun 01, 2018 06:25:55 pm

Submitted by:

jitendra changani

सरहद पर बंद चौकियों को फिर से खोलने का मामला…
 

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वित्तीय स्वीकृृति के इंतजार में पथराने लगी आंखे
-144 पदों की भी जरूरत तो हर साल बढ़ेगा साढ़े चार करोड़ का खर्च
-करीब नौ वर्ष पहले अनुपयोगी समझकर कर दिया था बंद
जैसलमेर. करीब नौ वर्ष पहले अनुपयोगी समझकर बंद कर दी गई प्रदेश के पश्चिमी सरहद की 24 सीआईडी-बीआई चौकियों के ताले खुलने के इंतजार में अब आंखे पथराने लगी है। सरहद के समीप आबादी विस्तार, सडक़ सुविधा और मोबाइल नेटवर्क आने के साथ-साथ बाहरी प्रदेशों व विदेशों से विभिन्न कार्यों से आने वाले नागरिकों के बीच बंद सरहदी चौकियों को खोले जाने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ रही है। पुलिस व एजेंसियों ने भी माना है कि सुरक्षा के लिहाज से इन्हें फिर से शुरू किए जाने की आवश्यकता है। पुलिस मुख्यालय 12 महीनों से भी अधिक समय से बंद चौकियों को को खुलवाने में जुटा हुआ हैै। इन चौकियों को खोलने के लिए 144 पदों की भी मांग की गई है। अनुमान लगाया जा रहा है कि बंद चौकियां शुरू करने पर सालाना साढ़े चार करोड़ का खर्च बढ़ेगा। गौरतलब है कि पंजाब के गुरुदासपुर और पठानकोट में आतंकी हमलों के बाद वर्ष 2016 के फरवरी के दूसरे सप्ताह में गृह मंत्रालय की संसदीय समिति सरहदी क्षेत्रों के दौरे पर रही और तब जोधपुर में आयोजित बैठक में निगरानी के लिहाज से इन चौकियों को फिर से शुरू करने का मुद्दा ाी उठा था, लेकिन गृह मंत्रालय ने अभी तक इन चौकियों को मंंजूरी नहीं दी है।
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..तो क्या कागजों में घूम रहा प्रस्ताव ?
गौरतलब है कि विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले पश्चिमी राजस्थान के जिलों के कई निवासियों के सरहद पार रिश्तेदारी भी है। करीब दो साल से बंद चौकियों को शुरू करने संबंधी प्रस्ताव कागजों में ही घूम रहा है। वैसे पुलिस मुख्यालय ने बंद की गई बॉर्डर इंटेलीजेंस की 17 चौकियों सहित 24 चौकियों को शुरू करने के प्रस्ताव पर कार्रवाई की जानकारी मांगी है, वहीं सीमा सुरक्षा बल भी इन चौकियों को शुरू करने के पक्ष में हैं। पुलिस सूत्रों की मानें तो बॉर्डर पर बंद चौकियों को खुलवाने के लिए प्रस्ताव दो वर्ष पहले भेजे जा चुके हैं और मुख्यालय को सुरक्षा से संबंधित कई पहलुओं से अवगत कराया है। खुफिया रिपोर्टों के अनुसार संबंधित चौकियों के क्षेत्रों में से कईस्थानों पर तस्करों की सक्रियता बढ़ी है और सुरक्षा पर खतरा भी मंडराया है। मादक पदार्थों, नकली नोटों के साथ-साथ हथियारों की तस्करी के साथ जासूसी का खतरा भी बढ़ा है।
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अब बस इंतजार…
खुफिया रिपोर्टों के बाद एडीजी इंटेलीजेंस ने भी सरकार की ओर से मांगे जाने के बाद प्रस्ताव भेज दिए हैं। अब इंतजार है वित्तीय स्वीकृति का। उसके बाद लंबे समय से बंद सीआईडी-बीआई की ये चौकियां फिर से खुल सकेगी।

क्यों किया था बंद
कुल 24 चौकियों को तारबंदी होने व सुरक्षा के लिहाज से इनकी अनुपयोगिता बताते हुए बंद कर दिया गया था। चौकियां बंद होने से यहां नियुक्त स्टाफ को भी निगरानी के लिए अन्यत्र भिजवा दिया गया। उसके बाद से इन चौकियों के भवनों में ताले लगे हुए हैं।
किस जिले में कहां चाहिए चौकी

1. जैसलमेर – शाहगढ़, सुल्ताना, दबड़ी धनाना, चिन्नू, देवीकोट, सम, बाहला, खुईवाला, बाप व भारेवाला ।

2. बाड़मेर – गागरिया, हरसाणी, जानपालिया, गांधव, पांचला, सेड़वा व केलनोरा ।
3. बीकानेर – पूंगल व रणजीतपुरा ।

4. गंगानगर- संगरिया, केसरिसिंहपुर, संगरिया व केसरिसिंहपुर, रावला व गजसिंहपुर ।

यह है बॉर्डर की स्थिति
-प्रदेश की पड़ौसी मुल्क पाक से सटी हुई है करीब 3323 किमी सीमा
-बॉर्डर क्षेत्र के चार जिलों जैसलमेर, गंगानगर, बाड़मेर और बीकानेर जिलों में स्थापित की गई थी चौकियां
-चार जिलों में स्थापित की गई थी 40 चौकियां
-वर्ष 1995 व 2009 में बंद कर दी 17 बॉर्डर इंटेलीजेंस चौकियां
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