हादसे की आशंका
बस स्टैंड के दक्षिणी भाग में मुख्य द्वार का निर्माण करवाया गया था। करीब एक दशक पूर्व निर्माण करवाए गए इस द्वार की एक बार भी मरम्मत नहीं की गई है। ऐसे में द्वार जीर्ण-शीर्ण व जर्जर हो गया है। हालात यह है कि यह द्वार तेज हवा या आंधी के दौरान हिलने लगा है, जिसके किसी भी समय ध्वस्त होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
सडक़ हो गई जमींदोज, उड़ती रेत से बेहाल
बस स्टैंड में वर्षों पूर्व निर्माण करवाई गई डामर सडक़ पूरी तरह से जमींदोज हो गई है। वर्ष 2012-13 में डामर सडक़ का कार्य शुरू कर उसे अधूरा ही छोड़ा गया था, जो आज तक पूरा नहीं हो पाया है। उस समय बिछाई गई कंकरीट भी अब गायब हो चुकी है। बस स्टैंड में चारों तरफ सडक़ का नामोनिशां ही गायब हो चुका है। ऐसे में वाहन चालकों व यात्रियों को परेशानी हो रही है। विशेष रूप से बारिश के दौरान यहां चारों तरफ पानी जमा हो जाता है। ऐसे में यात्रियों व वाहनों का निकलना भी दुश्वार हो जाता है।
दर्जनों बसों का हो रहा संचालन
केन्द्रीय बस स्टैंड से प्रतिदिन जोधपुर व बाड़मेर रूट पर चलने वाली रोडवेज बसों के साथ फलसूंड, बायतु, बाड़मेर, राजमथाई, भणियाणा, बारठ का गांव, रातडिय़ा आदि रूटों पर निजी बसों का संचालन होता है। इनमें प्रतिदिन एक हजार से अधिक यात्री सफर करते है। जबकि बस स्टैंड में सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है। छाया, पानी सहित विश्राम की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के कारण यात्रियों को परेशानी हो रही है।