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Patrika Campaign- पत्रिका अभियान -सोनार को बचाना है …क्योंकि किले में नल नहीं तो जल नहीं

locationजैसलमेरPublished: Sep 15, 2017 10:19:17 am

Submitted by:

jitendra changani

– सोनार दुर्ग के कई हिस्सों में पिछले दिनों के दौरान जलापूर्ति की रही है समस्या- असमय जलापूर्ति बनती है परेशानी का सबब

Jaisalmer patrika

जैसलमेर के सोनार दुर्ग में नियमित और प्रयाप्त जलापूर्ति आवश्यक।

जैसलमेर . हजारों की आबादी वाले सोनार दुर्ग में इस बार गर्मियों में पेयजल आपूर्ति व्यवस्था कई बार पटरी से उतरी। दो से तीन दिन के अंतराल में जलापूर्ति की नौबत आने से लोगों में हाहाकार-सा मचा क्योंकि दुर्ग की तंग गलियों में आए घरों में जलापूर्ति का एकमात्र साधन जलदाय विभाग की ओर से बिछाई गई पाइप लाइन व नल ही हैं। यहां पेयजल किल्लत के समय अन्य स्थानों की भांति टैंकरों से सप्लाई संभव नहीं है। इसी के चलते दशकों से जैसलमेर शहर में एकमात्र सोनार दुर्ग में ही रोजाना जलापूर्ति की व्यवस्था निर्धारित है।
कब बनेगी नई टंकी
सोनार दुर्ग में जलापूर्ति के लिए करीब दो दशक पहले बनाई गई लक्ष्मीनाथ जी के मंदिर के पास वाली पानी की टंकी पूरी तरह से जर्जर होने के चलते फिलहाल उसमें पानी का स्टोरेज बंद कर दिया गया है। जलदाय विभाग और नगरपरिषद ने तय किया है कि यहां नई टंकी डिजाइन की जाएगी। इसके लिए पुरातत्व विभाग से मंजूरी ली जानी जरूरी है। पुरातत्व विभाग से हरी झंडी मिलने में कितना समय लगेगा, कोई नहीं जानता। फिलहाल दुर्ग में बीपी टैंक से सीधे लाइन के जरिए पानी पहुंचाया जा रहा है।
रूडीप की बिछाई लाइनें कब आएगी काम
सोनार दुर्ग में जलदाय विभाग की तरफ से दशकों पहले बिछाई गई लाइनों की अपनी समस्याएं हैं। मुख्य लाइनें बिछी तब किले में आबाद घरों की संख्या खासी कम थी, बाद में कनेक्शनों की संख्या बढ़ती चली गई।जिससे टेल में आने वाले घरों तक कईबार जलापूर्ति अत्यंत अल्प मात्रा में होती है। रूडीप ने सीवरेज लाइन बिछाने के साथ पेयजल की लाइनें भी डाली हैं लेकिन अभी तक उनकी पूर्णतया टेस्टिंग ही नहीं की गई है।

कभी भी आ जाते हैं नल
सोनार दुर्ग में जलापूर्ति से जुड़ी प्रमुख समस्या है, इसका कोई एक समय निर्धारित नहीं होना। यहां तडक़े पांच बजे तो कभी मध्यरात्रि या उसके बाद दो-तीन बजे भी सप्लाई खोल दी जाती है। जिसके चलते दुर्गवासी हर समय नलों का मुंह ताकते रहने के लिए विवष रहते हैं। तेज गर्मी के मौसम में यह समस्या ज्यादा विकट हो जाती है क्योंकि तब पानी की बढ़ी खपत के चलते प्रत्येक व्यक्ति हर समय जल संग्रहण के लिए लालायित रहता है। वैसे दुर्ग में कई जगहों पर कम दबाव से पेयजल आपूर्ति की समस्या अनवरत बनी हुई है। बीच में दुर्ग में जंग लगा पानी की सप्लाई किया गया। मौजूदा समय में भी पानी गुणवत्ता के दृष्टिकोण से उपयुक्त नहीं माना जाता। यही कारण है कि, आधे से अधिक दुर्गवासी तो घरों में आरओ सिस्टम से जल को ‘शुद्ध’ कर उसका सेवन करते हैं अथवा आरओ से रोजाना कैम्पर खरीद कर लाते हैं।
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