-युद्धाभ्यास के समापन दिवस के मौके पर सेना और वायुसेना ने एक साथ मिलकर ‘दुश्मन’ के इलाके में घुसकर उसे मार गिराने का रोचांचपूर्ण प्रदर्शन किया।
-इस प्रदर्शन में भारतीय सेना ने बताया कि, वह चुस्ती और चतुराई के साथ कितनी ताकत से दुश्मन पर धावा बोलने में सक्षम है।
-काल्पनिक दुश्मन के इलाके में पहले सेना के पैदल जवान और टैंकों का काफिला चुपके से भीतर तक पहुंचा और फिर आसमान से पैराड्रोप कर विशेष प्रशिक्षित दस्ता जमीन पर उतर आया।
-उन्होंने कुछ ही क्षणों में एक दूसरे के साथ तालमेल बनाकर बम-गोलों की बरसात दुश्मन पर कर दी। इतने औचक ढंग से हुए आक्रमण की दुश्मन ने कल्पना भी नहीं की थी और देखते ही देखते मिशन को पूरा कर लिया गया।
-सेना और वायुसेना ने इस युद्धाभ्यास में अपनी ताकत के साथ अत्याधुनिक तकनीक की मैदानी परख की। -एक सप्ताह तक चले इस युद्धाभ्यास में दक्षिणी कमान के करीब 30 हजार सैनिकों और अफसरों ने भागीदारी की।
‘हमेशा विजयी’ युद्धाभ्यास में सेना और वायुसेना ने त्रुटिरहित तालमेल की शानदार मिसाल पेश की। जानकारी के अनुसार इस अभ्यास की एक बड़ी वजह इस तालमेल को जमीन पर परखना भी था। यही वजह है कि अभ्यास को बारीकी से देखने के बाद सेनाध्यक्ष ने सेना की युद्धकाल की तैयारी और युद्धाभ्यास के साथ योजना बनाने की सराहना की। उन्होंने सैनिकों को उच्चतम स्तर का प्रशिक्षण देने पर भी प्रसन्नता जताई।
-30 हजार सैनिकों ने युद्धाभ्यास में भाग लिया
-07 दिन तक चला युद्धाभ्यास
-02 महीने तक की गई युद्धाभ्यास को लेकर तैयारियां
-200 टैंकों ने की हिस्सेदारी
-23 युद्धक विमानों ने निभाई अहम भूमिका
-2 जिलों बाड़मेर व जैसलमेर से जुड़े क्षेत्र में हुआ युद्धाभ्यास
युद्धाभ्यास के दौरान कई महत्वपूर्ण पहलुओं का परीक्षण किया गया और कई महत्वपूर्ण सीख ली, जो सेना की ऑपरेशनल योजनाओं और कार्यप्रणालियों को सरल एवं कारगर बनाएगी। दक्षिण कमान की सेना के कौशल पर हमें विश्वास है तथा किसी भी परिस्थिति में आवश्यकता पडऩे पर वह अपने साहस का परिचय देगी।
– ले. जनरल डीआर सोनी,
आर्मी कमाण्डर, दक्षिण कमान