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युद्धाभ्यास लाइव..चीते की रफ्तार से झपटे और शेर की दहाड़ के साथ दुश्मन को कर दिया धराशायी

locationजैसलमेरPublished: Dec 23, 2017 08:27:37 pm

Submitted by:

jitendra changani

तकनीक, तजुर्बे व ताकत से घर में घुसकर किया स्ट्रिंग ऑपरेशन, दुश्मन को पलक झपकते ही दे दी करारी मात, थल सेनाध्यक्ष रावत बने साक्षी
 

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रेगिस्तान में ‘हमेशा विजयी’ युद्धाभ्यास में दक्षिणी कमान ने पराक्रम का परचम फहराया, वायुसेना के साथ सेना के बेहतरीन तालमेल की मिसाल बना युद्धाभ्यास- दुश्मन को पलक झपकते ही दे दी करारी मात
जैसलमेर. दुश्मन को नहीं पता था कि उसकी एक गलती की सजा के पीछे उन्हें अपने ही घर में मात खानी पड़ेगी, यह दुश्मनों ने कभी नहीं सोचा था, जो उनकी आन के साथ उनके जवानों को भी मौत की नींद सुला देगी। कुछ ऐसा ही नजारा जैसलमेर-बाड़मेर के रेगिस्तानी इलाकों में देखने को मिला, जब दुश्मन की इस गलती के बाद भारतीय सेना के जवान चीते की रफ्तार से उन पर टूट पड़े और लंबे-लंबे झपट्टों के साथ शेर की दहाडऩा से उन्हें हमेशा के लिए मौत की आगोश में सुला दिया। भारतीय सेना के जवानों ने स्ट्रिंग ऑपरेशन का लाइव डेमो देकर यह साबित कर दिया कि दुश्मन कोई गलती करेगा तो उसे इसकी कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ेगी।
सर्द हवाओं से जकड़े रेगिस्तान में नसों में दौड़ते उबलते रक्त के साथ शुक्रवार को सेना के जवानों ने ताकत व तजुर्बे के साथ गजब का जलवा दिखाया, इस बार दुश्मन को सबक सिखाने के लिए तीखे तेवर दिखाने में उन्हें मिला था तकनीक का भी साथ। आसमान से हजारों फीट की ऊंचाई से युद्धक विमान ने सेना की जिप्सी को जमीन पर उतार दिया और उसे कुशलतापूर्वक नियंत्रित करते हुए पीछे-पीछे आठ पैराशूटर भी उतरे। उन्होंने पलक झपकते ही जिप्सी को पैराशूट से बाहर निकाला और उस पर सवार होकर दुश्मन के ठिकाने को नष्ट करने के लिए आगे बढ़ गए। वहां पहले से मौजूद टैंकों के समूह और झाडिय़ों में पहले से ही घात लगाकर दुश्मन की हरकत पर नजर रखे हुए सैन्य जवान काल्पनिक दुश्मन पर टूट पड़े। फिर बमों के धमाके और मशीनगन की ताबड़तोड़ फायरिंग से दुश्मन का ‘सम्पर्क ठिकाना’ ध्वस्त कर दिया। इसके बाद समूचा माहौल जीत के जयकारों से गूंज उठा।यह मंजर शुक्रवार को पश्चिमी सीमा के नजदीक सेना के रेतीले अभ्यास क्षेत्र का था। जहां सेना की दक्षिणी कमान वायुसेना के साथ मिलकर ‘हमेशा विजयी’ युद्धाभ्यास के रोमांचित करने वाले क्लाईमेक्स को रच रही थी। पिछली 16 तारीख से इस रेतीले भूभाग पर चल रहे युद्धाभ्यास का शुक्रवार को समापन किया गया और इस मौके के गवाह बनने के लिए खास तौर पर उपस्थित रहे थल सेनाध्यक्ष बिपिन रावत।उन्होंने दक्षिणी कमान के आर्मी कमांडर ले. जनरल डीआर सोनी के साथ युद्धाभ्यास के दौरान सेना की ओर से दर्शाई गई तैयारियों की बारीकी से समीक्षा की।
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‘दुश्मन’ के घुटने उसके इलाके में टिकवाए
-युद्धाभ्यास के समापन दिवस के मौके पर सेना और वायुसेना ने एक साथ मिलकर ‘दुश्मन’ के इलाके में घुसकर उसे मार गिराने का रोचांचपूर्ण प्रदर्शन किया।
-इस प्रदर्शन में भारतीय सेना ने बताया कि, वह चुस्ती और चतुराई के साथ कितनी ताकत से दुश्मन पर धावा बोलने में सक्षम है।
-काल्पनिक दुश्मन के इलाके में पहले सेना के पैदल जवान और टैंकों का काफिला चुपके से भीतर तक पहुंचा और फिर आसमान से पैराड्रोप कर विशेष प्रशिक्षित दस्ता जमीन पर उतर आया।
-उन्होंने कुछ ही क्षणों में एक दूसरे के साथ तालमेल बनाकर बम-गोलों की बरसात दुश्मन पर कर दी। इतने औचक ढंग से हुए आक्रमण की दुश्मन ने कल्पना भी नहीं की थी और देखते ही देखते मिशन को पूरा कर लिया गया।
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रेगिस्तान में अत्याधुनिक तकनीक की कसौटी
-सेना और वायुसेना ने इस युद्धाभ्यास में अपनी ताकत के साथ अत्याधुनिक तकनीक की मैदानी परख की।

-एक सप्ताह तक चले इस युद्धाभ्यास में दक्षिणी कमान के करीब 30 हजार सैनिकों और अफसरों ने भागीदारी की।
– युद्धाभ्यास में वायुसेना के सी-17, सी-30, हरक्यूलिस सी-130 और एन-32 विमानों ने भाग लिया।

-वायुसेना के कुल 23 भारी और हल्के युद्धक विमानों ने देश को दिखा दिया कि आसमानी ताकत के मामले में भी हम दुनिया के किसी भी ताकतवर देश से कमतर नहीं हैं।
-सेना ने इस अभ्यास में 200 टैंकों का इस्तेमाल किया। जिनमें टी-90 भीष्म और अर्जुन टैंक शामिल थे।

-अभ्यास के दौरान सर्वलेन्स और नेटवर्क केन्द्रियता पर बल देते हुए कई हवाई और जमीनी सर्वलेन्स उपकरण लगाए गए ताकि उनसे सूचना प्राप्त करके कमाण्डरों को रियलटाइम जानकारी बड़े पैमाने पर दी जा सके।
-युद्धाभ्यास में इलेक्ट्रोनिक युद्ध उपकरण और नए जमाने के फोर्स मल्टीप्लायर्स तकनीक में शामिल किए गए जिससे दुश्मन की गतिविधि के बारे में जानकारी मिलते ही उस पर बिना समय गंवाए कार्रवाई की जा सके।
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एकजुटता की शानदार मिसाल
‘हमेशा विजयी’ युद्धाभ्यास में सेना और वायुसेना ने त्रुटिरहित तालमेल की शानदार मिसाल पेश की। जानकारी के अनुसार इस अभ्यास की एक बड़ी वजह इस तालमेल को जमीन पर परखना भी था। यही वजह है कि अभ्यास को बारीकी से देखने के बाद सेनाध्यक्ष ने सेना की युद्धकाल की तैयारी और युद्धाभ्यास के साथ योजना बनाने की सराहना की। उन्होंने सैनिकों को उच्चतम स्तर का प्रशिक्षण देने पर भी प्रसन्नता जताई।
फैक्ट फाइल –
-30 हजार सैनिकों ने युद्धाभ्यास में भाग लिया
-07 दिन तक चला युद्धाभ्यास
-02 महीने तक की गई युद्धाभ्यास को लेकर तैयारियां
-200 टैंकों ने की हिस्सेदारी
-23 युद्धक विमानों ने निभाई अहम भूमिका
-2 जिलों बाड़मेर व जैसलमेर से जुड़े क्षेत्र में हुआ युद्धाभ्यास
महत्वपूर्ण पहलुओं का परीक्षण
युद्धाभ्यास के दौरान कई महत्वपूर्ण पहलुओं का परीक्षण किया गया और कई महत्वपूर्ण सीख ली, जो सेना की ऑपरेशनल योजनाओं और कार्यप्रणालियों को सरल एवं कारगर बनाएगी। दक्षिण कमान की सेना के कौशल पर हमें विश्वास है तथा किसी भी परिस्थिति में आवश्यकता पडऩे पर वह अपने साहस का परिचय देगी।
– ले. जनरल डीआर सोनी,
आर्मी कमाण्डर, दक्षिण कमान
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