‘भावी पीढ़ी को महापुरुषों के इतिहास को पढऩे की जरूरत’ पोकरण (जैसलमेर). राजस्थान के प्रथम वीरचक्र गौरव सैनानी हवलदार छोगसिंह राठौड़ की चतुर्थ पुण्यतिथि के अवसर पर उनके पैतृक गांव ढढू में आयोजित कार्यक्रम में अतिथियों व सैन्य अधिकारियों की ओर से पुष्पचक्र चढ़ाकर, सैन्य टुकड़ी की ओर से गार्ड ऑफ ऑनर देकर व शस्त्र उल्टे कर सम्मान दिया गया। सेना के ब्रिगेडियर सैकटराय के मुख्य आतिथ्य, फलोदी विधायक पब्बाराम विश्रोई की अध्यक्षता, वायुसेना के विंग कमाण्डर मनीष चौधरी, 43 आम्र्ड के लेफ्टीनेंट कर्नल रोहित, प्रधान अभिषेक भादू, राजपूत सेवा समिति के अध्यक्ष कूंपसिंह पातावत, समाजसेवी जयराम गज्जा, सांवलसिंह भाटी, एडवोकेट प्रवीणसिंह के विशिष्ट आतिथ्य में आयोजित कार्यक्रम में अतिथियों ने वीरचक्र राठौड़ की प्रतिमा पर पुष्पचक्र चढकर, दीप प्रज्वलित कर व दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। इस अवसर पर दो राजपूताना राइफल्स के जवानों ने नायब सुबेदार नरेशसिंह के नेतृत्व में गार्ड ऑफ ऑनर दिया तथा शस्त्र उल्टे कर व मातमी धुन बजाकर अपने वीर सैनानी को श्रद्धांजलि दी।
महापुरुषों के जीवन से लें प्रेरणा-विश्रोई
फलोदी विधायक विश्रोई ने कहा कि भारतवर्ष ने सैंकड़ों वर्षों तक कई संघर्ष किया। देश के नागरिकों व जवानों ने मिलकर उसका डटकर मुकाबला किया। उसी के बल पर आज भारत एक मजबूत लोकतांत्रिक
शक्ति के रूप में विश्व में अपनी पहचान बनाए हुए है। उन्होंने देश के स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर आजादी के बाद सीमाओं की रक्षा के लिए प्राण न्यौछावर करने वाले शहीदों व गौरव सैनानियों को नमन करते हुए कहा कि भावीपीढी को महापुरुषों के इतिहास को पढने की जरुरत है। कार्यक्रम में प्रधान भादू ने संबोधित करते हुए राजस्थान के प्रथम वीरचक्र राठौड़ को अपनी श्रद्धांजलि दी तथा भावीपीढी को उनके जीवन से त्याग, तपस्या व बलिदान की प्रेरणा लेकर राष्ट्र को मजबूत करने की बात कही। राजपूत सेवा समिति के अध्यक्ष पातावत, शिक्षक नेता शैतानसिंह पूनमनगर, समाजसेवी जयराम गज्जा, एडवोकेट राठौड़ सहित वक्ताओं ने उन शहीदों व गौरव सैनानियों को श्रद्धासुमन अर्पित किए। सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता स्वरूपसिंह, शौर्यचक्र चतुरसिंह राठौड़, सगतसिंह देऊंगा, सेना मैडल मोतीसिंह की वीरांगना केंकूकंवर, कैलाशसिंह शेखावत, अशोक बोहरा सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे। इससे पूर्व पूर्व सैनिक सेवा परिषद के सचिव करणसिंह ने प्रथम वीरचक्र राठौड़ के जीवन परिचय पर प्रकाश डाला तथा उनके द्वितीय विश्वयुद्ध 1945, भारत-पाक बंटवारे के बाद 1948 में जम्मू कश्मीर में हुई पाकिस्तान के कब्जे को हटाने सहित सेना के विभिन्न ऑपरेशन में अपने अदम्य साहस के परिचय देने पर 26 जनवरी 1950 को वीरचक्र से सम्मानित करने तथा सेवानिवृति के बाद गांव में समाजसेवा को लेकर किए गए कार्यों के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। सेवानिवृत सूबेदार मेजर मेघसिंह ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम के दौरान अतिथियों ने वीरचक्र राठौड़ के जीवन परिचय पर आधारित पुस्तिका का विमोचन किया गया।