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जैसलमेर

सर्पिलाकार घाटियों पर दौड़ रहे तिपहिया वाहन, सवार रहती क्षमता से अधिक सवारियां

कई महीनों के इंतजार के बाद जैसलमेर पर्यटन का सीजन शुरू हो गया है और प्रतिदिन सैकड़ों की तादाद में देशी के साथ विदेशी पर्यटकों के आगमन का सिलसिला जोर पकड़ रहा है।

जैसलमेरOct 07, 2024 / 08:57 pm

Deepak Vyas

jsm
कई महीनों के इंतजार के बाद जैसलमेर पर्यटन का सीजन शुरू हो गया है और प्रतिदिन सैकड़ों की तादाद में देशी के साथ विदेशी पर्यटकों के आगमन का सिलसिला जोर पकड़ रहा है। जैसलमेर भ्रमण पर आने वाले सैलानियों का पहला पसंदीदा स्थान सैकड़ों साल प्राचीन ऐतिहासिक सोनार दुर्ग है और यहां पहुंचने पर उन्हें तिपहिया वाहनों की मनमानी और व्यवस्था को सुचारू रखने के लिए दुर्ग की प्रथम अखे प्रोल केू बाहर तैनात जिम्मेदारों की अनदेखी से आहत होना पड़ रहा है। किले की सर्पिलाकार घाटियों में टैक्सियां दनदनाते हुए आवाजाही करती हैं। उनमें सवार रहती हैं, क्षमता से अधिक सवारियां। आमने-सामने अंधाधुंध ढंग से आती इन टैक्सियों के कारण हमेशा हादसा घटित होने की आशंका बनी रहती है। उनके शोर से इस ऐतिहासिक स्थल की शांति तो पूरी तरह से भंग रहती है। यह सब सुबह 10 बजे से शुरू हो जाता है, जब ज्यादातर पर्यटक भ्रमण के लिए दुर्ग पहुंचते हैं, जबकि स्वयं यातायात पुलिस ने वहां लिखवा रखा है कि च्जिला कलक्टर और पुलिस अधीक्षक के निर्देशानुसार प्रात: 9 से दोपहर 1 बजे तक तिपहिया व चार पहिया वाहनों का प्रवेश निषेध हैज्। इसी से पता चलता है कि जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी वहां कितनी शिद्दत से निभा रहे हैं?

सुरक्षित आवाजाही पर खतरा

  • सोनार दुर्ग में टैक्सी वालों के अंधाधुंध ढंग से आवाजाही से सुरक्षित यातायात पर सबसे ज्यादा खतरा है। किले का मार्ग घुमावदार होने से चढऩे और उतरने वालों को सामने से कौन आ रहा है, यह दिखाई नहीं देता।
  • सुबह के समय टैक्सी वाले जब पर्यटकों को लाद कर किले में चढ़ते और उतरते हैं, उसी समय अनेक सैलानी जिनमें विदेशियों की तादाद अच्छी खासी रहती है, पैदल चलते हैं। ऐसे सैलानियों को सबसे ज्यादा परेशानियां पेश आती हैं।
  • सोनार दुर्ग में हजारों लोग निवास करते हैं, सुबह का समय उन लोगों के अपने काम-धंधों पर जाने का होता है। इसी तरह से प्रतिदिन बड़ी संख्या में शहरवासी दुर्ग स्थित नगर आराध्य भगवान लक्ष्मीनाथजी के मंदिर में दर्शन करने नियमित रूप से सुबह से दोपहर तक जाते हैं। ऐसे सभी लोगों को हमेशा दुर्घटनाग्रस्त होने का खतरा बना रहता है।
  • आवाजाही करने वाली टैक्सियों की फिटनेस आदि की परिवहन विभाग शायद ही कभी जांच करता हो। उनके साइलेंसर से बहुत बड़ी मात्रा में धुएं के साथ कार्बन निकलता है। जिसके चलते पूरे वातावरण में प्रदूषण छा जाता है।
  • दुर्ग के दशहरा चौक में टैक्सियां खड़ी कर दी जाती हैं ताकि जो पर्यटक नीचे उतरना चाहे, उन्हें बैठाया जा सके, ऐसे में ऐतिहासिक दशहरा चौक की शक्ल किसी कस्बाई बस अड्डे जैसी हो जाती है। जहां कई टैक्सियां शोर मचाती हुई खड़ी या रेंगती नजर आती है।

नजर नहीं आता मुख्य द्वार

सुबह के समय जब बड़ी संख्या में पर्यटक दुर्ग भ्रमण पर आते हैं, उस दौरान एक साथ इतनी सारी टैक्सियां वहां बेतरतीब ढंग से खड़ी हो जाती हैं कि किले का मुख्य प्रवेश द्वार ही कई बार नजर नहीं आता। यह समस्या आने वाले दिनों में जैसे-जैसे पर्यटन सीजन परवान चढ़ेगा और बढ़ती जाएगी। पूर्व के वर्षों में भी ऐसा ही कुछ होता रहा है। कभी कभार पुलिस थोड़ी सख्ती दिखाती है, उसके बाद सबकुछ पुराने ढर्रे पर चलने लगता है। दुर्ग में तो रात के समय भी तिपहिया के अलावा चार पहिया वाहन भी आजकल धड़ल्ले से चढ़ते-उतरते हैं और उन्हें कोई रोकने-टोकने वाला नहीं होता।

देखकर निराशा हुई

जैसलमेर के ऐतिहासिक सोनार दुर्ग में तिपहिया वाहनों की आवाजाही को देख कर निराशा हुई। हम चैन से पैदल चढ़ाई नहीं कर पाए। उनसे होने वाले शोर व गति ने भयभीत कर दिया।
  • प्रहलाद भाई, गुजराती पर्यटक

लगना चाहिए अंकुश

जैसलमेर दुर्ग पर टैैक्सी वालों की ओर से अति की जा रही है। इससे हमें बहुत परेशानियां पेश आती हैं। यह प्रतिवर्ष के पर्यटन सीजन का किस्सा है। पुलिस प्रशासन को उन पर अंकुश लगाना चाहिए।
  • अमित कुमार, दुर्ग निवासी

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