पत्रिका :आपने कभी ‘गैंगस्टर’ और ‘बरफी’ जैसी हिट फिल्में दी। फिर आपने ‘जग्गा जासूस’ बनाई, जो लोगों को शायद समझ ही नहीं आई?
बसु :‘गैंगस्टर’ मैंने दस वर्ष पहले बनाई थी।इतनी अवधि में मैं वहीं ठिठक कर तो नहीं रह सकता।निरंतर अध्ययन और कार्य करते हुए मुझमें बदलाव आए हैं और वे जाहिराना तौर पर मेरे काम पर भी दिखाई देंगे।‘जग्गा जासूस’ लोगों को शायद समझ नहीं आई और इसमें गलती भी हम फिल्मवालों की है क्योंकि हमने उन्हें फार्मूलों में बंधकर फिल्में देखने वाला बना दिया है।वे नए तरह के सिनेमा को अब देखना ही नहीं चाहते। वहीं दूसरी तरफ विदेशों में सभी तरह की फिल्मों को दर्शक मिलते हैं।मेरी फिल्म ‘जग्गा जासूस’ को तुर्की, रूस आदि में खूब पसंद किया जा रहा है और यह कईपुरस्कार भी जीत रही है।
पत्रिका : अभी आप कौनसी फिल्म पर काम कर रहे हैं?
बसु :मैंने साफ तौर पर कहा है कि, अभी मैं फिल्में नहीं बनाऊंगा क्योंकि जैसी फिल्में इन दिनों पसंद की जा रही हैं, वैसी मैं बनाना नहीं चाहता।मेरा ध्यान इन दिनों लेखन की तरफ है। फिर मैं चित्रकारी भी करना चाहता हूं।
पत्रिका :आज के दौर की हिट फिल्मों के बारे में क्या कहेंगे?
बसु :यह पोल डांस की तरह है।मैं पैसों के लिए पोल डांस नहीं कर सकता।जबकि मैं चाहूं तो ऐसी फिल्म बनाना मेरे लिए कतई मुश्किल नहीं है।
पत्रिका :अभी आप ‘डांस इंडिया डांस’ जैसे कार्यक्रम में बतौर जज दिखाई दे रहे हैं, यह क्या है?
बसु :(हंसते हुए) घर चलाने के लिए सप्ताह में दो दिन यह ‘पोल डांस’ करना पड़ रहा है।वैसे टीवी से मेरा नाता बहुत पुराना है।मैंने फिल्मों में आने से पहले एकता कपूर के लिए कईपारिवारिक ड्रामा से संबद्ध सीरियल बनाए हैं।लेकिन आप देखिए, वर्ष 2000 में हमारा टीवी जहां था, वह आज सत्रह वर्ष बाद भी वहीं का वहीं है।
पत्रिका :क्या आप पहले कभी जैसलमेर आए हैं, कैसा लगा यह शहर?
बसु :नहीं, मैं पहले कभी जैसलमेर नहीं आया।मेरी पत्नी तानी बसु जरूर अपने बचपन में यहां घूमने आई हुई हैं।यह शहर वाकईबहुत खूबसूरत है और कई सदियों पुराना भी।क्या पता, मुझे यहां से कोई कहानी मिल जाए।