script‘अस्तित्व की पहचान करना ही आध्यात्मिक होना है’ | 'To recognize existence is to be spiritual' | Patrika News

‘अस्तित्व की पहचान करना ही आध्यात्मिक होना है’

locationजैसलमेरPublished: Jun 28, 2022 08:25:46 pm

Submitted by:

Deepak Vyas

– प्रशासन में उत्कृष्टता केे लिए आध्यात्मिकता विषय पर सेमिनार, सुनाए अनुभव

'अस्तित्व की पहचान करना ही आध्यात्मिक होना है'

‘अस्तित्व की पहचान करना ही आध्यात्मिक होना है’

पोकरण. प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के प्रशासक सेवा प्रभाग की ओर से सोमवार शाम नगरपालिका सभागार में एक सेमिनार का आयोजन किया गया। प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए आध्यात्मिकता विषय पर आयोजित सेमिनार में वक्ताओं ने अपने अनुभव सुनाए। राजयोगी ब्रह्माकुमार सेवानिवृत आइएएस सीताराम मीना ने कहा कि आध्यात्मिक होने का वास्तविक अस्तित्व को पहचानना है। यह नहीं कि अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़कर सांसारिक सुखों का त्याग कर दें। उन्होंने कहा कि स्वयं को जानना व समझना ही आध्यात्मिकता है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को प्रत्येक परिस्थिति में खुश रहकर अपने अंदर सकारात्मक सोच का विस्तार करना चाहिए। जिससे स्वयं व मस्तिष्क स्वस्थ रहेंगे। मध्यप्रदेश भोपाल स्थित विश्वविद्यालय के प्रशासनिक सेवा प्रभाग के जॉनल को-ऑर्डिनेटर ब्रह्माकुमारी डॉ.रीना दीदी ने कहा कि सभी धर्मों में आध्यात्मिक आधार पर समानता के भाव की जानकारी मिलती है। उन्होंने कहा कि धर्म व दर्शन में एकता और दया की भावना पर फोकस किया गया है। दूसरों के साथ एकता भी भावना से प्रकृति और जानवरों के प्रति भी दया की भावना बढ़ती है। सभी धर्म, संप्रदाय के लोगों का दिमाग आध्यात्मिक अनुभव के दौरान एक ही तरह से प्रतिक्रिया करता है। उन्होंने कहा कि इस वैज्ञानिक अध्ययन के आधार पर विभिन्न धर्मों के बीच की खाई को कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिकता प्यार और इंसानियत का पाठ पढ़ाती है, इसलिए आध्यात्मिकता की अहमियत भी बढ़ जाती है। आध्यात्मिक अनुभव का दिमाग से गहरा कनेक्शन है तथा नेगेटिविटी से भी दूर रखता है।
चेतना की बताई परिभाषा
प्रशासक सेवा प्रभाग माउंट आबू के मुख्यालय संयोजक राजयोगी बीके हरीशभाई ने कहा कि जिस प्रकार से व्यक्ति सोच को महसूस कर रहे है, उससे निरंतर बंधन का जाल निर्मित किए जा रहे है। उन्होंने कहा कि जिन बातों को संकल्प व अनुभव करते है तथा स्वयं के बीच जब एक दूरी बनाने लगते है तो इसे ही चेतना कहते है। उन्होंने कहा कि अपनी ऊर्जा को बढ़ाने का अवसर साधना है। साधना से सीमाओं व खामियों पर नियंत्रण रखा जा सकता है। इस मौके पर शिक्षाविद् सोनाराम माली, भंवरसिंह चौहान आदि उपस्थित रहे। राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी रंजू दीदी जालोर ने भी विचार रखे। कार्यक्रम में शिल्पा, सरस्वती, रामेश्वर शर्मा, रमनलाल माली, ओमप्रकाश पालीवाल, हंसराज सोलंकी, मंजूला, सुंदर, सुआ, धनी सहित लोग उपस्थित रहे। ब्रह्माकुमारी पूजा ***** ने धन्यवाद ज्ञापित किया। संचालन राजयोग शिक्षिता ब्रह्माकुमारी अस्मिता ***** ने किया।
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