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अपूर्व उत्साह व उल्लास… ऐतिहासिक बन गया चैतन्यराजसिंह का राजतिलक

locationजैसलमेरPublished: Jan 16, 2021 09:56:12 am

Submitted by:

Deepak Vyas

-सोनार दुर्ग में उमड़ी हजारों की भीड़-नई पीढ़ी ने महसूस किया राजशाही का दौर

अपूर्व उत्साह व उल्लास... ऐतिहासिक बन गया चैतन्यराजसिंह का राजतिलक

अपूर्व उत्साह व उल्लास… ऐतिहासिक बन गया चैतन्यराजसिंह का राजतिलक

जैसलमेर. जैसलमेर रियासत के पूर्व महारावल ब्रजराजसिंह के निधन के बाद उनके उत्तराधिकारी के तौर पर चैतन्यराज सिंह का राजतिलक आमजन की भागीदारी के लिहाज से ऐतिहासिक बन गया। शुक्रवार को जैसलमेर के विश्व प्रसिद्ध सोनार दुर्ग स्थित राजमहल में सर्वोत्तम विलास में पूर्ण विधि विधान के साथ पूर्व महरावल बृजराज सिंह के ज्येष्ठ पुत्र चैतन्यराज का राजतिलक पारिवारिक सदस्यों की मौजूदगी में किया गया। इस मौके पर आसरी मठ के शिवसुखनाथ महाराज और पाट पुरोहित हरिवल्लभ गोपा ने मंत्रोच्चारण के बीच उनका तिलक किया। पूर्व महाराजा दुष्यंतसिंह ने उनका तिलक किया। राजतिलक कार्यक्रम के बाद चैतन्यराज सिंह और उनके छोटे भाई जन्मेजयराज सिंह भारी लाव लश्कर के साथ दुर्ग स्थित लक्ष्मीनाथ मंदिर व अन्य मंदिरों में दर्शन के लिए गए। बाद में दुर्ग के दशहरा चैक में राजमहल में बने संगमरमर के आसन पर थोड़ी देर बैठे तथा उपस्थित जनों का अभिवादन स्वीकार किया। अपराह्न उनका काफिला किले से नीचे उतरा और मंदिर पैलेस होते हुए जवाहिर निवास पहुंचा।
शहरवासियों ने किया स्वागत
राजतिलक के बाद दुर्ग से घोड़े पर सवार होकर चैतन्यराज सिंह अखे प्रोल तक पहुंचे। दुर्ग में हवा प्रोल के बाहर दोनों तरफ कतार में खड़े लोगों ने पुष्पवर्षा कर उनका स्वागत किया। अखे प्रोल से मुख्य बाजारों से होते हुए उनका काफिला गांधी चैक स्थित मंदिर पैलेस पहुंचा। इस दौरान बाजार के दुकानदारों व अन्य लोगों ने उन पर पुष्प बरसाए तथा भावी जिम्मेदारी के लिए शुभकामनाएं दी। पूरे मार्ग में सड़क के दोनों ओर लोगों ने खड़े होकर उनका स्वागत किया। मंदिर पैलेस में पूर्व महारावल ने अपनी दादी मां मुकुट राज्यलक्ष्मी का आशीर्वाद लिया। ऐसे ही जवाहिर निवास पहुंचने पर उन्होंने माता रासेश्वरी राज्यलक्ष्मी से आशीर्वाद लिया। वहां नजराना पेश करने का कार्यक्रम हुआ और पूर्व महारावल ने बाद में सभी लोगों के साथ फोटो खिंचवाए। राजशाही से जुड़े इस सारे आयोजन ने समय को मानो पीछे की ओर धकेल दिया। शहरी व ग्रामीण लोगों ने पूर्व महारावलों के जयकारे लगाए और रियासतकाल को जीवंत कर दिया।
जनसैलाब उमड़ा
इससे पहले राजतिलक कार्यक्रम में भागीदारी के लिए जिले के विभिन्न ग्रामीण अंचलों से लोग सुबह से सोनार दुर्ग पहुंचना शुरू हो गए। सोनार दुर्ग के दशहरा चैक में हजारों की भीड़ जुटी। महल के आसपास मंदिरों व अन्य मकानों की छतों पर महिलाओं तथा बच्चों की भारी भीड़ ऐतिहासिक कार्यक्रम की साक्षी बनने के लिए जुटी। दशहरा चैक में ही राजतिलक कार्यक्रम का सीधा प्रसारण करने के लिए एलईडी स्क्रीन लगाए गए। लोक कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियां दी। कार्यक्रम में स्वामी प्रतापपुरी, जिलाप्रमुख प्रतापसिंह सोलंकी, जैसलमेर नगरपरिषद के सभापति हरिवल्लभ कल्ला, पूर्व विधायक छोटूसिंह भाटी और डॉ. जालमसिंह रावलोत, विक्रमसिंह नाचना, सम प्रधान तनेसिंह सोढ़ा भी इस मौके पर मौजूद थे।
पुलिस के बल प्रयोग से रोष
पुलिस को व्यवस्था बनाए रखने के लिए किले के मुख्य द्वार पर आवाजाही को बंद करनी पड़ी। एक समय तो अखे प्रोल के बाहर इतनी भीड़ हो गई कि पुलिस के बल प्रयोग की नौबत आ गई। पुलिस ने महिलाओं, बच्चों व बुजुर्गों तक का ख्याल नहीं रखा। जिससे उन्हें खासी परेशानी पेश आई। विशेष रूप से सोनार दुर्ग निवासियों को ही पुलिस ने काफी देर तक ऊपर जाने से रोके रखा। ऐसे में उनमें रोष भी देखा गया।
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