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Video: ‘आत्मा में बसा है लोक संगीत, चमक-दमक नहीं हो सकती हावी’

locationजैसलमेरPublished: Jan 20, 2021 08:38:27 pm

Submitted by:

Deepak Vyas

-विख्यात लोक कलाकार मामे खां से पत्रिका की खास बातचीत-लोक संगीत को लेकर बोले-फ्य़ूजन करें, लेकिन कनफ्यूज न करें

Video: 'आत्मा में बसा है लोक संगीत, चमक-दमक नहीं हो सकती हावी'

Video: ‘आत्मा में बसा है लोक संगीत, चमक-दमक नहीं हो सकती हावी’

जैसलमेर. सशक्त लोक संगीत, निराले अंदाज व वाद्य यंत्रों की संगत के बीच निकलते सुरों की साज से हर किसी को झूमने पर मजबूर करने वाले विख्यात लोक कलाकार मामे खां का मानना है कि मरु प्रदेश का लोक संगीत ऐसा है, जिसको हर कोई अपना लेता है। यही वजह है कि लोक संगीत के बूते उन्हें अवसर मिला और वे बॉलीवुड में गायक बनने तक का सफर तय कर पाए। जैसलमेर जिले के सत्तों गांव से निकलकर बॉलीवुड में फिल्म लक बाय चांस के गीत बावरे से धूम मचाने वाले मामे खां ने राजस्थान पत्रिका से खास बातचीत में कहा कि वह अब तक करीब 50 देशों की यात्रा कर चुके हैं। नए लुक व गायन शैली के अंदाज को लेकर उन्होंने कहा कि उन्होंने जो तालीम हासिल की उसकी जड़ें, जैसाण में ही है। इसके साथ ही जैसा देश, वैसा भेष… की धारणा को लेकर भी चलना ही पड़ता है। हालांकि उन्होंने लोक संगीत को लेकर हो रहे नवाचार पर यह भी कहा कि फ्यूजन करें, लेकिन कन्फ्यूज न करें। उन्होंने कहा कि मरुस्थलीय बाड़मेर व जैसलमेर जिले की धरती कला और संस्कृति की नदियां को बहाने वाली है। यहां का लोक संगीत दुनिया भर में अपनी अलग पहचान रखता है। इन जिलों में रहने वाले मांगणयार मिरासी लोक कलाकार परम्परागत लोक संगीत को विश्व स्तरीय पहचान दिला रहे हैं। बॉलीवुड हो या सात समंदर पार, यहां के कलाकारों का लोक संगीत विशिष्ट पहचान रखता है।
आइसक्रीम बेचने से लेकर सेलिब्रेटी बनने का सफर
उन्होंने बचपन के दिनों को याद करते हुए कहा कि उन्होंने आइसक्रीम बेचना शुरू किया था, तब यह उम्मीद नहीं थी कि सब कुछ सपने जैसा हो जाएगा। उन्होंने मरुप्रदेश के लोक कलाकारों में शिक्षा की जरूरत पर बल दिया, साथ ही कहा कि अब किसी भी लोक कलाकार में प्रतिभा है तो उसे परेशान होने की जरूरत नहीं है। अब सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर वे अपनी प्रस्तुति दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि मिरासी मांगणयार समाज के लोगों के पास लोक संगीत वह विरासत है, जो उन्हें पुरखों से मिली है। इस कला को बेहतर बनाने के लिए अभ्यास भी जरूरी है।
…ताकि लोक कलाकारों को मिले आर्थिक मदद
मामे खां ने कहा कि कोरोना काल के बाद लोक कलाकारों को आर्थिक परेशानी झेलनी पड़ी है। हिन्दुस्तान के मनोरंजन से जुड़े उद्योग कोरोना से प्रभावित हुए हैं। गत 27 मार्च से कलाकारों की आर्थिक मदद के लिए कैम्पेन शुरू किया गया था, जिसमें कई बॉलीवुड की हस्तियों ने सहयोग दिया, जिसमें 65 करोड़ रूपए एकत्रित किए। जीमा अवार्ड, संगीत रत्न, राज्य स्तरीय पुरस्कार सहित कई अवार्ड प्राप्त कर चुके मामे खां का कहना है उनका असली पुरस्कार कला को मिल रहे कद्रदान ही है। गौरतलब है कि मामे खान को अपनी विशिष्ट लोक गायन शैली के लिए वर्ष 2016 का ग्लोबल इंडियन म्यूजिक अकादमी पुरस्कार भी मिल चुका है। उनके एल्बम जैसे डेज़र्ट सेशंस, समर नाइट इन द ड्यून्स को भी काफी सराहना मिली है।
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