Video: नाचना में गणगौर का भरा गया मेला, श्रद्धालुओं ने किए गँवर माता के दर्शन
श्रद्धालुओं ने किए गँवर माता के दर्शन
जैसलमेर
Published: April 04, 2022 07:02:01 pm
नाचना. गांव में परंपरागत अनुसार इस बार भी गणगौर का पर्व हर्षोल्लास से मनाया गया सोमवार को गांव में गणगौर का मेला भरा गया शाम लगभग 5 बजे नाचना फोर्ट में गँवर माता की प्रतिमा को नूतन वस्त्र सोने चाँदी के जेवरातो से श्रृंगार करवा कर मंत्रोच्चारण के साथ पूजा अर्चना की गई । तत् पश्चात गँवर माता की साही प्रतिमा को एक महिला के सिर पर धारण करवा कर शोभायात्रा निकाली गई जो किला चौक से होते हुए पदम सिंह भोमिया जी मंदिर चौक पहुंची जहाँ गँवर माता की आरती उतारकर निर्मल जलपान की रस्म अदायगी करवाई गई ।उसके पश्चात शोभायात्रा फोर्ट चौक पहुंची जहां उपस्थित कन्याओं ,बालिकाओं महिलाओं ने गँवर माता का खोल भराई का रस्म अदा कर पूजा अर्चना की । कुंवारी कन्याओं ने अपने लिए सुयोग्य वर प्राप्त करने तथा विवाहित महिलाओं ने अपने पति की दिर्ध आयू क साथ साथ परिवार में सुख समृद्धि की कामना की। इस अवसर पर फोर्ट चौक में उपस्थित सैकड़ों महिलाओं पुरुषों व अन्य श्रद्धालुओं ने गँवर माता के दर्शनों का लाभ प्राप्त किया ।उसके पश्चात गँवर माता की प्रतिमा को फोर्ट में विराजमान करवाया गया ।गौरतलब है कि गांव में प्रति वर्ष चैत्र शुक्ल पक्ष की तृतीया को गणगौर का मेला भरा जाता है इसमें केवल गँवर माता की अकेली शाही सवारी की शोभायात्रा निकाली जाती है। बुजुर्गों द्वारा बताया जा रहा है कि पूर्व में रियासत काल में बीकानेर रियासत की ओर से जैसलमेर रियासत के गणगौर और ईसर की प्रतिमाओं में से ईश्वर जी की प्रतिमा को जबरदस्ती हत्थ्या कर ले गए थे तब से आज तक जैसलमेर तथा नाचना ठिकाने में गणगौर के दिन सिर्फ गँवर माता की प्रतिमा की ही शाही सवारी की शोभा यात्रा निकाल श्रद्धालुओ को दर्शन करवाए जाते हैं। इसके अलावा जहां जैसलमेर में चैत्र शुक्ल चतुर्थी को गणगौर का मेला भरा जाता है वहीं नाचना में 1 दिन पहले चैत्र शुक्ल तृतीया को गणगौर का मेला भरा जाता है। पूर्व में जहाँ गणगोर मैले के दिन लोग सजे धजे ऊठो पर अपने बच्चो को बैठा कर गँवर माता की सवारी के चक्कर कटवाकर उन्हें विचरण करवाते थे जिससे बच्चे खुशी से झूम उठते थें ।वहीं गाँव में सैकड़ो हजारों वर्ष पुराना सागरी कुआ जो कि वर्तमान में रेत के टिब्बे में दफन होकर उसका अस्तित्व समाप्त हो गया है ।उस कुऐ पर गँवर माता की शोभायात्रा ले जायी जाती थी ।वहा उन्हे विश्राम करवाकर कुऐ का स्वच्छ जल पिलाने की रस्म अदा की जाती थी इस अवसर पर गँवर माता के रक्षकों की ओर से टोपी दार बंदूक से फायर किया जाता था जिसकी आवाज दूद दूर तक सुनाई देती थी लोगो को मालूम हो जाता था कि गँवर माता की शोभा यात्रा निकल चुकी है मगर अब यह उत्साह , रस्मे बीते दिन की बात हो चली है ।

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