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भारतमाला सड़क से रास्ता बंद होने पर ग्रामीणों ने विद्यालय का किया बहिष्कार

locationजैसलमेरPublished: Sep 19, 2020 09:24:43 pm

Submitted by:

Deepak Vyas

भारतमाला सड़क से रास्ता बंद होने पर ग्रामीणों ने विद्यालय का किया बहिष्कार।

भारतमाला सड़क से रास्ता बंद होने पर ग्रामीणों ने विद्यालय का किया बहिष्कार

भारतमाला सड़क से रास्ता बंद होने पर ग्रामीणों ने विद्यालय का किया बहिष्कार

जैसलमेर. जिले के करड़ा गांव के अंदर से होकर निकलने वाली भारतमाला सड़क से करड़ा गांव के एकमात्र राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय जाने वाला छात्रों के लिए कोई रास्ता नही रखा गया है। सड़क का लेवल भी 10 फुट ऊंचाई से होने के कारण विद्यार्थियों द्वारा उस सड़क की ऊंचाई को पार करना मुश्किल साबित हो रहा है। इस बीच ग्रामीणों ने अपने बच्चों को विद्यालय में प्रवेश देने का बहिष्कार करते हुए विरोध प्रदर्शन किया। ग्रामीणों के अनुसारभारतमाला परियोजना मुनाबाव से तनोट तक कि सड़क बन रही है, उक्त परियोजना में सड़क पर जहां भी छोटा-मोटा गांव या ढाणी है वहां पर पुल (ओवर ब्रिज) बनाना अनिवार्य था, उसी अनुसार एक करड़ा गांव के पुल को छोड़कर सभी जगह पुल अनिवार्य बने भी है। भारतमाला परियोजना जैसलमेर जिले की ग्राम पंचायत पोछिना के गांव करड़ा की आबादी भूमि के अंदर से होकर निकली है उस सड़क के दूसरी तरफ दूसरी तरफ स्कूल व खेल मैदान भी सड़क की दूसरी तरफ है, इस कारण सड़क के मूल टेंडर जो सड़क निर्माता कंपनी को जारी किया गया था, उसमें करड़ा गांव में बड़ा पुल प्रस्तावित था जिससे दूसरी तरफ आवागमन हेतु कोई समस्या नहीं हो, लेकिन गांव की बिना जानकारी के पुल निरस्त कर दिया गया। पुल नहीं होने के कारण गांव के सभी विद्यार्थियों को सड़क पार करके विद्यालय जाना पड़ता है सड़क का लेवल 10 फिट ऊँचाई में है जिससे सड़क के दोनों तरफ जल भराव रहेगा तथा जिसे पार करना विद्यार्थियों के लिए असंभव है, स्कूल की ऊँचाई भी सड़क से इतनी नीचे है कि थोड़े दिनों में समस्त स्कूल आंधियों के कारण रेत से भर जाएगी। पूरे गांव में बच्चों के लिए एकमात्र खेल मैदान सड़क के दूसरी तरफ रह गया है। आरोप यह भी लगाया जा रहा है कि स्कूल के आगे सड़क का निर्माण कार्य भी बहुत ही कम गुणवत्ता का है।
ग्रामीण लालूसिंह सोढ़ा ने बताया कि उच्चाधिकारियों से भी आग्रह के बावजूद ग्रामीणों की समस्या का समाधान नही हुआ है। इसलिए ग्रामीणों द्वारा अपने बच्चों की जान जोखिम में डालकर विद्यालय भेजना नहीं चाहते है, इसलिए विद्यालय का बहिष्कार करते है। इस अवसर पर मदनसिंह, फूलसिंह, बहादुरसिंह, रावतसिंह, ईश्वरसिंह, नयनसिंह, बाबूसिंह, लोकेंद्रसिंह आदि उपस्थित थे।
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