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कुरजां की हमशक्ल का इस वर्ष पुन: इंतजार,जैसलमेर में बहुतायत रहता है प्रवास

locationजैसलमेरPublished: Sep 23, 2019 05:32:15 pm

Submitted by:

Deepak Vyas

मध्य एशिया से भारत और विशेष रूप से राजस्थान के जैसलमेर व जोधपुर जिले में प्रवास करने वाले कुरजां पक्षी के साथ अब उसकी हमशक्ल कॉमन क्रेन भी यहां आने लगी है। गत वर्ष हुई कॉमन क्रेन की आवक ने पर्यावरणप्रेमियों को अपनी तरफ आकर्षित होने को मजबूर किया। इस वर्ष सितम्बर माह के दूसरे पखवाड़े में कुरजां की आवक शुरू हुई।

Waiting of Common crane brids Look like Kurjan in jaisalmer

कुरजां की हमशक्ल का इस वर्ष पुन: इंतजार,जैसलमेर में बहुतायत रहता है प्रवास

जैसलमेर/पोकरण. मध्य एशिया से भारत और विशेष रूप से राजस्थान के जैसलमेर व जोधपुर जिले में प्रवास करने वाले कुरजां पक्षी के साथ अब उसकी हमशक्ल कॉमन क्रेन भी यहां आने लगी है। गत वर्ष हुई कॉमन क्रेन की आवक ने पर्यावरणप्रेमियों को अपनी तरफ आकर्षित होने को मजबूर किया। इस वर्ष सितम्बर माह के दूसरे पखवाड़े में कुरजां की आवक शुरू हुई। ऐसे में पर्यावरणप्रेमी इस वर्ष पुन: कॉमन क्रेन के आने का इंतजार कर रहे है। गौरतलब है कि विदेशी पक्षी साइबेरियन सारस कुरजां (डेमोइसिलक्रेन) प्रतिवर्ष अगस्त माह के अंत अथवा सितम्बर माह के पहले सप्ताह में भारत की तरफ प्रवास करती है। इनका प्रवास छह माह का होता है तथा फरवरी व मार्च माह में पुन: यहां से रवाना होती है। विशेष रूप से मध्य एशिया के कजाकिस्तान, मंगोलिया, साइबेरिया, रसिया से बड़ी संख्या में कुरजां यहां आती है।
जैसलमेर जिले में होता है कॉमन क्रेन का प्रवास
कुरजां की हमशक्ल कॉमन क्रेन का गत वर्ष प्रवास हुआ था। इस दौरान पूरे राजस्थान मात्र जैसलमेर जिले में कॉमन क्रेन दिखाई दी थी। दिखने में कुरजां व कॉमन क्रेन एक जैसी होने के कारण लोगों को इसका पता नहीं चल पाता है कि यह कुरजां है या कॉमन क्रेन। अधिकांश लोग इसे भी कुरजां ही समझते है। पक्षियों के विशेषज्ञ व कुछ विशेषताएं ही इसे अलग बनाती है।
यह है विशेषताएं-
– काली पट्टी आधी गर्दन तक ही होती है
– कुरजां से कुछ बड़ी होती है कॉमन क्रेन
– एक से डेढ़ किलो तक कुरजां से अधिक वजन
– भोजन के रूप में मोतिया घास, छोटे कीट, मतीरा पहली पसंद
– खुले स्थानों व जलभरावस्थलों के पास डालते है डेरा
– कुरजां के समूह के साथ ही रहती है कॉमन क्रेन
इस वर्ष पुन: आने का है इंतजार
गत वर्ष कॉमन क्रेन की आवक ने पर्यावरणप्रेमियों में एक जिज्ञासा जगा दी थी। कुरजां जैसी दिखने वाले इस अलग प्रकार के पक्षी को देखकर पर्यावरणप्रेमियों में उत्सुकता थी। जब इस बारे में पर्यावरणप्रेमियों व वाइल्ड लाइफ विशेषज्ञों ने जांच की, तो जानकारी मिली कि कुरजां के जैसी दिखने वाला पक्षी कॉमन क्रेन है, जिसकी विशेषताएं कुरजां के जैसी ही है। गौरतलब है कि मध्य एशिया में अगस्त के बाद मार्च माह तक कड़ाके की ठण्ड का दौर चलता है और तापमान में -10 से -20 तक पहुंच जाता है। ऐसे में कुरजां व कॉमन क्रेन का यहां रहना मुश्किल हो जाता है। इसी कारण ये पक्षी राजस्थान की तरफ अपना रुख करते है तथा कम सर्दी के कारण पश्चिमी राजस्थान की तरफ आते है।
नए पक्षियों के आगमन का रास्ता प्रशस्त
पूर्व के वर्षों पर नजर डालें, तो यहां विदेशी पक्षियों की आवक नहीं के बराबर थी। अब प्रतिवर्ष सर्दी के मौसम में दर्जनों प्रकार की प्रजातियों के पक्षी यहां पहुंच रहे है, जो क्षेत्र के लिए खुशी की बात है। ऐसी प्रजातियों की आवक से नए पक्षियों के आगमन का मार्ग भी प्रशस्त हो रहा है।
डॉ.दिवेशकुमार सैनी, पर्यावरण व वाइल्ड लाइफ विशेषज्ञ, पोकरण।
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