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इसमें इनका क्या कसूर, 62 फीसदी शिक्षकों के नहीं होंगे स्थानांतरण

locationजैसलमेरPublished: Sep 19, 2020 09:22:09 pm

Submitted by:

Deepak Vyas

-शिक्षक तबादला नीति नहीं होने से मच रही अफरा-तफरी-प्रदेश के 4 लाख में से 2.5 लाख शिक्षक तबादले से बाहर-मकान भत्ता जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, कोटा व अजमेर में 16 फीसदी, शेष जगह 8 फीसदी

इसमें इनका क्या कसूर, 62 फीसदी शिक्षकों के नहीं होंगे स्थानांतरण

इसमें इनका क्या कसूर, 62 फीसदी शिक्षकों के नहीं होंगे स्थानांतरण

जैसलमेर. प्रदेश में शिक्षकों सहित कर्मचारियों के तबादलों से हटाई गई रोक के बाद छाई खुशी अधिकांश के चेहरे पर मायूसी में तब्दील हो रही है। कुल शिक्षकों में करीब 62 फीसदी शिक्षकों तबादलों से रोका गया है। किए जाने वाले तबादलों में तृतीय श्रेणी अध्यापकों को बाहर रखा गया है। अंतिम बार मई 2018 में तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले किए थे। तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले नहीं करने पर शिक्षक संगठन भी आपत्ति जता रहे हैं। उनका तर्क है कि शिक्षक लंबे समय से राज्य सरकार से तबादलो की मांग कर रहे थे। लंबे समय से तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले नहीं होने से शिक्षक पारिवारिक, सामाजिक तौर से परेशान हो रहे हैं तथा अपने आसपास के परिवेश में विद्यालय में रिक्त पदों के होते हुए भी उनके तबादले नहीं करना उचित नहीं हैं। गौरतलब है कि शिक्षक वर्ग में महिला कार्मिक भी शामिल है और उनकी अपनी परिस्थितियां हैं। विद्यालय दूर-दराज ढाणी में होते हैं जहां कोई सुविधाएं नहीं होती, वहां रहने और आवागमन के लिए बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसी कारण जनप्रतिनिधियों पर दबाव बनता है। जानकारों की मानें तो यदि शिक्षा नीति बनी होती तो राजनीतिक दबाव नहीं आते। गौरतलब है कि पुलिस, ग्राम विकास अधिकारी, पटवारी आदि के तबादले संबंधित अधिकारी के पास ही होते हैं, जबकि शिक्षकों के तबादले केवल राज्य सरकार करती है। इसी कारण शिक्षक राजनीति के शिकार होने से अछूते नहीं रह पाते।
हकीकत यह भी
शिक्षकों के तबादलों को लेकर के सबसे बड़ी समस्या जोधपुर जयपुर जैसे बड़े शहरों में दोगुने हाउस रेंट के कारण है। उन शहरों में तबादले करवाने पर कार्मिकों प्रतिमाह 5000 से लेकर के .9000 का लाभ होता है और कुछ शिक्षक जयपुर जोधपुर नगर निगम क्षेत्र में 20 साल से जमे हुए हैं। इस कारण कम भाग दौड़, कम कार्यभार के उपरांत सेवा काल यह अतिरिक्त आय प्राप्त करते हैं, जबकि सामान्य जिला मुख्यालय पर रहने वाले और ग्रामीण इलाकों में सेवाएं देने वालों को उनके मुकाबले 5000 से लेकर 10000 प्रति माह कम हाउस रेंट मिलता हैं। इसी को लेकर भी शिक्षक तबादला के लिए दबाव बनाया जाता है।
प्रदेश में कुल नियुक्त कार्मिक
प्रधानाचार्य – 9710
माध्यमिक विद्यालय प्रधानाध्यापक – 2446
प्रधानाध्यापक -2446
व्याख्याता – 42105
कोच – 19
वरिष्ठ अध्यापक 61679
उप्रा वि प्रधानाध्यापक 6600
लेवल 1 शिक्षक- 118194
लेवल 2 शिक्षक – 84696
प्रबोधक -18307
शारीरिक शिक्षक- 18577
लेब असिस्टेंट -3294
पुस्तकालय अध्यक्ष – 2194
सहायक प्रशासनिक अधिकारी – 4413
कनिष्ठ सहायक – 12665
जमादार 135
लेब बॉय – 426
चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी – 7947
शिक्षाकर्मी 2450
संस्कृत शिक्षा विभाग के शिक्षक – 8345
जैसलमेर में कार्मिकों की स्थिति
-112 प्रधानाचार्य कार्यरत है जिले में
-13 प्रधानाध्यापक नियुक्त है जैसलमेर जिले में
-365 व्याख्याता सेवाएं दे रहे है सरहदी जिले में
-831 वरिष्ठ अध्यापकों की हो रखी है नियुक्ति
-3706 अध्यापक कुल नियुक्त है जिले में
-231 शारीरिक शिक्षक भी सेवा दे रहे हैं
यह हो सकता है समाधान
यदि तबादलों में परस्पर स्थान परिवर्तन की छूट दी जाए तो 40 फीसदी तबादलों की सूची बिना किसी आरोप प्रत्यारोप के व्यवस्थित हो सकेगी।

हर बार यही कहानी
तबादले को लेकर निर्णय में हर बार तृतीय श्रेणी शिक्षकों को वंचित रखा रखा जाता है। तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादलों पर सहानुभूति निर्णय करते हुए इन तबादलों में तृतीय श्रेणी शिक्षकों को भी शामिल किए जाने की जरूरत है।
-प्रकाश विश्नोई, प्रदेश मंत्री राजस्थान शिक्षक एवं पंचायती राज कर्मचारी संघ
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