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कौन होगा परमाणु नगरी का 22वां पालिकाध्यक्ष ?

locationजैसलमेरPublished: Oct 19, 2020 05:16:03 pm

Submitted by:

Deepak Vyas

-परिसीमन से बढ़ गए वार्ड तो बदल गई गणित भी

कौन होगा परमाणु नगरी का 22वां पालिकाध्यक्ष ?

कौन होगा परमाणु नगरी का 22वां पालिकाध्यक्ष ?

पोकरण. कोरोना संक्रमण के कारण नगर निकाय के चुनावों की घोषणा तो अभी तक नहीं हो पाई है, लेकिन चौपाळों पर चर्चाओं का दौर अवश्य शुरू हो गया है। हालांकि अध्यक्ष पद का ताज किसके सिर होगा, यह अभी तक समय के गर्भ में है, लेकिन दावेदारों ने कुर्सी को हथियाने की भागम-दौड़ शुरू कर दी है। नगरपालिका चुनाव को लेकर वार्डों की आरक्षण लॉटरी निकलने के बाद कस्बे में जगह-जगह हो रही चुनावी चर्चाओं की चहल पहल बढ़ गई है। नगरपालिका के अगले अध्यक्ष को लेकर भी तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे है। गौरतलब है कि प्रत्येक पांच वर्ष के अंतराल में अगस्त माह में पोकरण नगरपालिका के चुनाव होते आए है, लेकिन इस वर्ष कोरोना संक्रमण की महामारी के कारण अभी तक चुनाव की घोषणा नहीं हो पाई है। परमाणु नगरी पोकरण की नगरपालिका की स्थापना आजादी से पूर्व वर्ष 1936 में हुई थी। डी श्रेणी की इस नगरपालिका में गत चुनाव में 20 वार्ड थे। इस बार परिसीमन से पांच वार्डों की बढ़ोतरी हुई है तथा अब 25 वार्ड हो गए है। परिसीमन के बाद दावेदारों की रणनीति भी पूरी तरह से बदल गई है।
पोकरण नगरपालिका का इतिहास
-पोकरण नगरपालिका में अब तक दो मनोनीत अध्यक्षों के साथ कुल 21 अध्यक्ष पद पर रहे है।
-वर्ष 1936 में तत्कालीन ठाकुर चैनसिंह राठौड़ के प्रयासों से पोकरण नगरपालिका की स्थापना की गई।
-नगरपालिका में सबसे पहले 1936 में शहर के पंडित किशनलाल दवे को सर्वस मति से अध्यक्ष व 10 सदस्य मनोनीत किए गए।
-दवे के चार साल के कार्यकाल के बाद 1940 में पोकरण ठिकाणे के कामदार एडवोकेट रतनलाल गुचिया को अध्यक्ष मनोनीत किया गया।
-15 अगस्त 1947 को देश स्वतंत्र हो जाने तथा रियासतों का शासन समाप्त हो जाने के बाद नगरपालिका में प्रशासक काल शुरू हुआ।
-लोकतंत्र की स्थापना के बाद 1954 में पहली बार हस्तलिखित मतदाता सूचियों का प्रकाशन कर आमजन के मतदान के माध्यम से नगरपालिका के चुनाव करवाए गए।
-वर्ष 1954 में पहली बार प्रत्यक्ष मतदान के जरिए पार्षदों का निर्वाचन कर बहुमत से ओंकारदास रंगा को पोकरण का प्रथम निर्वाचित नगरपालिका अध्यक्ष बने।
ये भी बने अध्यक्ष
वर्ष 1959 में किशनगोपाल छंगाणी, मोहनलाल चौधरी, 1966 से 1970 तक बंशीलाल चाण्डक, 1970 से 1971 तक छोगालाल खत्री, 1971 के बाद शिवदयाल बोहरा, 1973 में श्रीकिशन रावणा राजपूत, 1974 में लक्ष्मीनारायण गांधी, 1978 में धनसिंह मण्डला, 1982 में रामचंद्र कपिल, 1984 में हरिराम खटीक, 1985 में धनसिंह मण्डला अध्यक्ष निर्वाचित हुए।
1990 से हुई स्थायी व्यवस्था
नगरपालिका चुनाव को स्थाई रूप देने के लिए पारित किए गए नगरपालिका के 73वें संशोधन के बाद नगरपालिका का कार्यकाल भी बढ़ाकर पांच वर्ष का किया गया तथा नियमित रूप से प्रत्येक पांच वर्ष बाद चुनाव की प्रक्रिया शुरू की गई। जिसके अंतर्गत सित बर 1990 से 1995 तक नंदकिशोर गांधी, अगस्त 1995 से दो अगस्त 2000 तक उर्मिला पुरोहित, अगस्त 2000 से जुलाई 2004 तक आसूलाल पुरोहित, जुलाई 2004 से अगस्त 2005 तक आनंदीलाल गुचिया, 2005 से 2010 तक पुन: आनंदीलाल गुचिया तथा 2010 से 2015 तक छोटेश्वरीदेवी माली नगरपालिका अध्यक्ष पद पर निर्वाचित हुई। वर्ष 2015 से 2020 तक आनंदीलाल गुचिया तीसरी बार अध्यक्ष पद पर रहे, जो पोकरण के 21वें नगरपालिका अध्यक्ष है।
दावेदारों पर निगाहें
करीब 11 वर्षों तक पोकरण नगरपालिका में भाजपा के बोर्ड केे बाद गत 2015 में यहां कांग्रेस का बोर्ड बना। कांग्रेस पार्टी से पूर्व पार्षद नारायण रंगा, पूर्व अध्यक्ष आनंदीलाल गुचिया, रमेश माली, विजय व्यास का नाम प्रमुखता से चल रहा है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी से आईदान पंवार, जुगलकिशोर व्यास, पुखराज बिस्सा व खेताराम माली के नाम सुर्खियों में हैं।

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