कौन होगा जैसलमेर कांग्रेस का अगला मुखिया
जैसलमेरPublished: Dec 19, 2020 06:33:43 pm
-मंत्री और विधायक खेमे हुए सक्रिय-सर्वसम्मति बनाना नहीं रहेगा आसान
कौन होगा जैसलमेर कांग्रेस का अगला मुखिया
जैसलमेर. सीमांत जैसलमेर जिले में कांग्रेस के चार सदस्यों की क्रॉस वोटिंग से भाजपा के हिस्से में जिला प्रमुख का पद आने के नाटकीय घटनाक्रम के साथ पंचायतीराज चुनाव संपन्न हो गए हैं। इन चुनावों में कांग्रेस के केबिनेट मंत्री और विधायक खुलकर आमने-सामने आ गए। टकराव के ऐसे माहौल में आने वाले दिनों में कांग्रेस जिलाध्यक्ष को लेकर फैसला किया जाना है। इस पद पर पार्टी के दोनों धड़े अपनी पसंद के व्यक्ति को बैठाना चाहते हैं। यह टकराव का नया मुद्दा बन सकता है। वैसे चुनावों के बाद विधायक रूपाराम मेघवाल अभी तक जैसलमेर में ही हैं और केबिनेट मंत्री शाले मोहम्मद जयपुर जाकर मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंदसिंह डोटासरा से मुलाकात कर चुके हैं। राजनीतिक हलकों में चर्चाएं जोरों पर हैं कि फकीर परिवार की तरफ से जिलाध्यक्ष पद के लिए पूर्व जिला प्रमुख अब्दुल्ला फकीर का नाम आगे बढ़ाया जा रहा है। इसमें कोई अड़चन हुई तो अपनी पसंद के किसी राजपूत नेता को यह पद दिलाया जा सकता है। दूसरी ओर विधायक खेमा फकीर परिवार की काट के तौर पर जानब खां या पिछड़ा वर्ग से अपने पसंदीदा व्यक्ति का नाम आगे करेगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि पंचायतीराज चुनावों में सतह पर आ चुकी कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई को प्रदेश नेतृत्व कैसे शांत कर नया जिलाध्यक्ष नियुक्त करता है।
हकीकत यह भी
पंचायतीराज चुनावों में इस बार सबसे ज्यादा नुकसान जिले में कांग्रेस के सबसे बड़े वोट बैंक मुसलमानों का हुआ है। दो दशक में यह पहली बार है कि इस समुदाय का कोई व्यक्ति जिला प्रमुख और उपप्रमुख तो दूर किसी पंचायत समिति में प्रधान तक निर्वाचित नहीं हो सका। गौरतलब है कि इस समुदाय के लोगों ने बड़ी संख्या में जैसलमेर विधानसभा क्षेत्र में हुए जिला परिषद व पंचायत समिति वार्डों के चुनावों में फकीर परिवार के आह्वान को नजरअंदाज करते हुए कांग्रेस पार्टी का ही समर्थन किया। जिला परिषद में पूर्व जिला प्रमुख अब्दुल्ला फकीर की दावेदारी शुरू से मजबूत थी। कांग्रेस में कलह के चलते अब्दुल्ला फकीर को उम्मीदवारी वापिस लेनी पड़ी और पार्टी का सिम्बल पोकरण क्षेत्र की रूकिया खातून को थमाया गया। पार्टी के पास नौ सदस्यों का बहुमत थाए इसके बावजूद उलटफेर हो गया और चार सदस्यों ने भाजपा प्रत्याशी प्रतापसिंह के खाते में मतदान कर उन्हें विजयी बना दिया। इसके अलावा सांकड़ा में पिछले तीन कार्यकालों से अल्पसंख्यक समुदाय का व्यक्ति प्रधान बनता आया है। इस बार वहां भी उलटफेर हो गया और राजपूत समाज के खाते में यह पद चला गया। सम समिति में भी यही कहानी दोहराई गई। यहां भाजपा ने निर्दलीयों का साथ लेकर कांग्रेस के जानब खां को प्रधान बनने से रोक दिया। पंचायतीराज व्यवस्था में अब तक राज करते आ रहे मुस्लिम समुदाय को महज उपप्रधान पदों से ही संतुष्ट रहना पड़ा है।
अब आगे क्या
-सबसे बड़े समर्थक वर्ग की पंचायतीराज में सत्ता से दूरी कांग्रेस के लिए चिंता का सबब बनी हुई है। पार्टी में प्रदेश स्तर पर एक दर्जन जिलों में जिलाध्यक्ष का पद अल्पसंख्यकों को सौंपने की तैयारी बताई जा रही है। जानकारों की मानें तो जैसलमेर इस सूची में शामिल हो सकता है क्योंकि यह जिला अल्पसंख्यक बाहुल्य की श्रेणी में आता है। इस समुदाय के व्यक्ति को जिलाध्यक्ष के पद से नवाज सकने की संभावनाएं अधिक है, लेकिन तस्वीर आगामी दिनों में ही हो सकेगी।