मजदूरी करने गया था और बन गया चैम्पियन! -खींया के युवक ने कराटे की राष्ट्रीय प्रतियोगिता में जीता रजत पदक
चौथी कक्षा पढऩे के बाद छोड़ दी थी पढ़ाई जैसलमेर. कहते है जहां चाह है, वहीं राह भी है। मन में दृढ़ संकल्प हो संकल्प को पूरा करने की हर बाधा दूर हो जाती है।
जैसलमेर के छोटे से खींया गांव के युवक मदनलाल सुथार ने इस बात को सही कर दिखाया है। उसने तमाम विपरित परिस्थितियों के बाद मार्शल आर्ट के कराटे में राष्ट्रीय स्तर पर उपविजेता बनकर सिल्वर मेडल जीत हासिल की है। मदनलाल बताते है कि उन्होंने करीब 12 साल पहले घर में आर्थिक संबल देेने के लिए चौथी तक पढ़ाई करने के बाद मजदूरी के लिए बेंगलुरुचले गए थे, वहां कार्यस्थल के पास ही मार्शल आर्ट का क्लब था, जिसमें प्रतिदिन वह लोगों को अभ्यास करते देखता था। धीरे-धीरे इस खेल में उसकी रुचि बढऩे लगी और दिहाड़ी मजदूरी का समय पूरा होने के बाद उसने भी इस खेल की प्रेक्टिस शुरू कर दी। कुछ कर दिखाने के जज्बे की बदौलत मदनलाल ने कर्नाटक की स्टेट ओपन प्रतियोगिता के लिए क्वालीफाई किया और विजेता बन गए। इसके बाद वे नेशनल खेल खेलने के लिए
जयपुर आए और यहां प्रतियोगिता में भाग लेने के बाद जयपुर में ही शिफ्ट हो गए। अब मदनलाल जयपुर में ही दिन मेंं फर्नीचर के कार्य करते है और शाम को जयपुर के मार्शल आर्ट क्लब में प्रेक्टिस कर अपने खेल को निखारने ला रहे है।
कर्नाटका में बने स्टेट चैंपियनसुथार बताते है कि वह मार्शल आर्ट में भविष्य बनाने के लिए वर्ष 2016 में जयपुर शिफ्ट हुए है और उन्हें उम्मीद है कि वे आगामी राष्ट्रीय चैंपियनशिप में विजेता बनने के लिए उनका सतत अभ्यास जारी है। गत 27 व 28 जनवरी को जयपुर में आयोजित मार्शल आर्ट में कराटा की राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में मदनलाल फाइनल तक पहुंचे और प्रतिद्वंदीसे नजदीकी मुकाबले में पराजित होकर उपविजेता रहे। उन्हें इस चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल से संतोष करना पड़ा।
दिन में मजदूरी, शाम को अभ्यासमदनलाल ने बताया कि वह अपना व परिवार का पेट पालने के लिए दिन में फर्नीचर के कार्य में दिहाड़ी की मजदूरी करता है और वहां की ड्यूटी पूरी होने के बाद इंडियन मार्शल आर्ट संस्थान, जयपुर की ओर से संचालित क्लब में जाकर शाम छ: से आठ बजे तक प्रतिदिन प्रेक्टिस करते है। सुथार के कोच ने बताया कि मदन दिनभर फर्नीचर का कार्य कर पांच सौ रुपए कमाता है। वह अपने साथियों के साथ किराए के क्वाटर पर रहता है और भोजन पकाने से घर की सफाई का कार्य भी स्वयं ही करता है।
मदद मिली तो दिया सिल्वर का तोहफासुथार के हुनर व जज्बे को देखकर इंडियन मार्शल आर्ट संस्थान की ओर से संचालित क्लब के संचालक व कोच हेमन्त जैन ने मदन को क्लब की ओर से नि:शुल्क कोचिंग की व्यवस्था की, जिससे उसे कुछ मदद मिली, तो उसने भी जयपुर में आयोजित राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में अपने भार वर्ग में नेशनल उपविजेता का तोहफा भी राजस्थान को ला दिया। उसका सपना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए पहचान बनाना है।