चाचा ने दी मुखाग्नि रविवार देर शाम को तिरंगे में लिपटी उनकी पार्थिव देह को चंडी मंदिर से मिलिट्री अस्पताल पठानकोट लाई गई, जहां रात में रखने के बाद सोमवार को पार्थिव शरीर पठानकोट जिले के पैतृक गांव भटोआ ले जाया गया। पूरे सैन्य सम्मान से शहीद का अंतिम संस्कार किया गया। शहीद सौरभ कुमार को उनके चाचा अर्जुन कुमार ने मुखाग्नि दी। सौरभ सेना में सिर्फ 14 माह ही सेवा कर पाए।
10 दिन कोमा में रहे सौरभ 13 मई को चंडी मंदिर स्थित अपनी यूनिट के टॉवर पोस्ट पर ड्यूटी दे रहे थे कि अचानक उनका पांव फिसल गया और वह काफी ऊंचाई से नीचे गिरा। सिर पर गंभीर चोट लगने से वह कॉमा में था और 10 दिन सैन्य अस्पताल में इलाज चला। 23 मई को सौरभ ने अंतिम सांस ली। तिरंगे में लिपटा शहीद सौरभ कुमार की पार्थिव शरीर जब गांव भटोआ पहुंचा तो माहौल गमगीन हो गया। इकलौते बेटे का पार्थिव शरीर देखकर मां बदहवास हो गई। जैसे-तैसे खुद को संभाला और फिर शहीद बेटे के माथे पर सेहरा-कलगी सजाया। बहन डिंपल ने भी भाई की कलाई पर राखी बांधकर उसे अंतिम विदाई दी तो यह दृश्य देखने वाले हर शख्स की आंख नम हो गई।
शहीद के नाम पर बनेगा गेट 21 सब एरिया कमांडर की ओर से एसएससी की 5371 बटालियन के नायब सूबेदार वाघ डीटी, शहीद की यूनिट 7 डोगरा के कमांडर कर्नल एस जचारिया की तरफ से नायब सूबेदार लछबीर सिंह, विधायक जोगिंदर पाल, शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचि वकुंवर रविंदर विक्की ने सलामी दी। विधायक जोगिंदर पाल ने कहा कि शहादत का मोल कोई सरकार नहीं चुका सकती। शहीद के नाम पर गांव में गेट का निर्माण कराया जाएगा।