मोदी इसी बस में सवार होकर इंडियन साइंस कांग्रेस समारोह स्थल तक जाएंगे। वाणिज्यिक रूप से शुरू हो जाने के बाद इस बस का उपयोग हवाई अड्डों, हाउसिंग सोसायटीज, बड़े औद्योगिक संस्थानों और शिक्षण संस्थानों में किया जाएगा। इस बस को भारतीय भूगौलिक स्थितियों को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है। मौजूदा बसों की तुलना में इस बस की कीमत करीब छह लाख रुपए होगी। चूंकि इसका इंजन बैटरी और यह पूरी तरह सौर ऊर्जा चालित है। इसलिए इसे चलाने पर न के बराबर खर्च आता है। इस बस की अधिकतम रफ्तार 30 किमी प्रति घंटा होगी और इसमें एक समय में 10 से 30 लोग बैठ सकते हैं।
एलपीयू के कुलपति अशोक मित्तल ने बताया कि यह चालक रहित बस इस बात का उदाहरण है कि एलपीयू के छात्र तकनीकी दृष्टि से कितने आगे हैं। एलपीयू के छात्रों द्वारा किए गए कुछ अन्य रोचक प्रोजेक्ट्स में फ्लाइंग फार्मर, फार्मूला वन कार और गो.काट्र्स शामिल हैं। फ्लाइंग फार्मर एक वायरलैस सेंसर डिवाइस है जिसे विशेष रूप से कृषि एवं खेत के सर्वेक्षण में उपयोग किया जाता है।
कैसे तैयार हुई बस
इस बस को तैयार करने वाली टीम के प्रमुख मनदीप सिंह ने बताया कि यहां मकैनिकल, इलैक्ट्रीकल व कंप्यूटर इंजीयरिंग विभाग के 300 से अधिक छात्रों ने एलपीयू के प्रोफेसर्स व विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में परस्पर सहयोग से इस बस को डिजाइन किया। इसे एलपीयू प्रोजैक्ट स्टूडियो में तैयार किया जा रहा है। जहां इस तरह के शोध एवं विकास व उत्पाद वाणिज्यीकरण के अन्य कार्य भी चल रहे हैं। उन्होंने बताया कि एक बार चार्ज करने के बाद यह प्रदूषण रहित बस 60 से 70 किलोमीटर तक चलेगी। इस बस की ब्लू टुथ व जीपीएस सिस्टम से निगरानी की जा सकेगी।