बता दे कि कोंच नगरवासी हर तीन साल बाद हुल्का माता की विशेष पूजा का आयोजन करते है। जिसके पीछे कहा जाता है कि लगभग 110 वर्ष पहले कोंच नगर में प्लेग जैसी कोई महामारी फैली थी और सभी लोग कोंच नगर को छोड़कर जाने लगे थे। लेकिन देवी मां ने स्वप्न में आकर कहा था कि अगर इस शहर के लोग उनकी पूजा करेंगे तो इस बीमारी से छुटकारा मिलेगी। तभी से इस परम्परा के तहत पूजा का आयोजन किया जा रहा है और यह पूजा हर तीन वर्ष बाद आयोजित की जाती है।
श्रद्धालु हुल्का माता की पूजा बड़े ही विधि विधान और आस्था के साथ करते है। पहले हुल्का मां की प्रतिमा को बेसन से बनाया जाता है और फिर उनका विमान तैयार किया जाता है और युवती की जिस तरह से मायके से विदाई होती है उसी तरह हुल्का मां की विदाई की जाती है। परम्परा के अनुसार इस दिन नगर की कोई भी महिला अपना श्रृंगार नहीं करती है और न ही चोटी बनाती है। सभी श्रद्धालु हुल्का माता के डोला के आगे बिना चप्पल और जूतों के ही 4 किलोमीटर की यात्रा सम्पन्न करते है।
हुल्का माता की शोभायात्रा लाला हरदौल के मंदिर से उठकर नगर के मुख्या चौराहों से होती हुई पडरी स्थित हल्का माता के मंदिर पर सम्पन्न होती है। पूरी शोभायात्रा के दौरान सभी श्रद्धालु बड़े ही उत्साह के साथ भक्ति के रस में सराबोर रहे। वही ग्रामीण क्षेत्र के लोग भी जगह जगह झुंड बनाकर लाला हरदौल की गाथा गाते दिखाई दिये। इस अवसर पर नगर के लोगो ने जगह जगह स्टाल भंडारे का आयोजन किया। इस मौके पर पुलिस व्यवस्था भी रही है।
पूजा में शामिल होने वाले उरई विधायक गौरीशंकर वर्मा ने बताया कि पूजा को सभी लोग बड़े उत्साह के साथ मनाते है और इसमें कोंच नगर के साथ जो भी कोंचवासी बाहर रहता है वह इस पूजा में शामिल होने जरूर आता है। हुल्का माता की शोभायात्रा का कार्यक्रम पूरे दिन लगभग 12 घंटे तक चलता है जिसमें श्रद्धालु बड़े ही उत्साह के साथ भाग लेते है। कार्यक्रम के दौरान किसी तरह की कोई अप्रिय घटना न हो इसके लिये प्रशासन भी मुस्तैदी के साथ जुटा रहा।