आर्य और गुप्ता परिवार का रहा है वर्चस्व गुरसहायगंज नगर पालिका सीट इस बार अनारक्षित की गई है। 1974 में अस्तित्व आई नगरपालिका पर अभी तक आर्य और गुप्ता परिवार का ही वर्चस्व रहा है। वैसे तो ज्यादातर समय तक आर्य परिवार का ही इस सीट पर दबदबा रहा है, लेकिन 2012 में उप चुनाव से ठीक 13 महीने पहले कोर्ट में चल रहे आयु विवाद में तत्कालीन अध्यक्ष निहारिका आर्य को अयोग्य करार दे दिया गया था। इसके बाद इस सीट पर राममूर्ति गुप्ता (इंद्रर और अशोक गुप्ता) की मां काबिज हो गई।
सगे भाइयों के बीच चुनावी मुकाबला 2012 में हुए निकाय चुनाव में इन्दर गुप्ता की पत्नी राधा गुप्ता ने जीत दर्ज की और अध्यक्ष बनीं। अभी तक दो अलग-अलग परिवारों की चुनावी जंग देख रहे क्षेत्र के लोग इस बार एक ही परिवार के दो सगे भाइयों के बीच चुनावी मुकाबले देखेंगे। सपा और भाजपा ने गुप्ता परिवार के दावेदारों पर ही दांव लगाया है। जीत किसे मिलती है, यह तो चुनाव के नतीजे तय करेंगे, लेकिन चुनावी मैदान में दोनों भाई एक-दूसरे को खुलकर चुनौती दे रहे हैं। इन्दर गुप्ता पत्नी राधा के साथ लोगों के बीच जाकर अभी तक के कार्य गिना रहे हैं, तो उनके ही अपने भाई अशोक गुप्ता पालिका अध्यक्ष की विफलताओं को गिनाते हुए एक से बढ़कर एक चुनावी वादे कर रहे हैं।
यहां से भी मिल रही चुनौती दोनों भाई इन्दर गुप्ता और अशोक गुप्ता की राह में इस बार आर्य परिवार भी रोड़ा अटकाने को तैयार खड़ा है। इस बार निकाय चुनाव में समाजवादी पार्टी से टिकट न मिलने के कारण बागी हुए धीरेन्द्र आर्य इस बार निकाय चुनाव में बसपा का दामन थामकर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। धीरेन्द्र आर्य भी अपने कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाकर गुप्ता बंधुओं की जीत की राह मुश्किल कर रहे हैं।
राह नहीं आसान
जब से
अखिलेश यादव ने सांसद बनकर कन्नौज की बागडोर संभाली थी, तभी से वह यहां के भैया के रूप में जाने जाने लगे और उनके यहां के लोगों से घर भीतर तक की नातेदारी रही है, जिसके चलते उन्होंने गुप्ता परिवार की बहू राधा गुप्ता को सपा का प्रत्याशी बना कर सपा परिवार में शामिल कर लिया। 2012 में उप चुनाव से ठीक 13 महीने पहले कोर्ट में चल रहे आयु विवाद में अध्यक्ष निहारिका आर्य को अयोग्य करार दे दिया गया था। इसके बाद इस सीट पर राममूर्ति गुप्ता काबिज हो गईं। इस बार निकाय चुनाव में धीरेन्द्र आर्य की टिकट काटने के बाद उन्होंने गुप्ता परिवार की बहू राधा गुप्ता को सपा का प्रत्याशी बना कर सपा परिवार में शामिल कर लिया, जबकि अखिलेश यादव की इस बहू को अपने घर से ही जबरदस्त चुनौती मिल रही है।