scriptजीएसटी लगने के बाद बंद होने की कगार पर हैंडमेड कागज | Handmade paper is on end due to GST | Patrika News

जीएसटी लगने के बाद बंद होने की कगार पर हैंडमेड कागज

locationजालौनPublished: Jan 05, 2018 08:18:58 pm

Submitted by:

Ashish Pandey

अब उनकी आमदनी घटने के साथ उन्हे टैक्स की भी मार झेलनी पड़ रही है।

hand mad kagaj

hand mad kagaj

अनुज कौशिक

जालौन. वैसे तो पूरे देश में कागज का निर्माण होता है। लेकिन कालपी में बनने वाले कागज को हाथो से बनाया जाता है। जिससे कुटीर उद्योगो को महत्व तो मिलता ही है साथ काफी लोगो को रोजगार देने का काम भी करता है। लेकिन जीएसटी की मार से यह कागज उद्योग बंद होने की कगार पर पहुंचने वाला है। जिससे यहां पर कई मजदूर बेरोजगार हो गये तो कई व्यापारियों को अपनी फैक्ट्री मजबूरन बंद करनी पड़ रही है।

ऐसे बनता है हस्त निर्मित कागज
कालपी के कागज फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूर पुराने एवं बेकार पड़े हुए कपड़ो के साथ सूती कपड़े की कटान और अखबार, कागज आदि को बड़े-बड़े हौदो में कई दिनों तक गलाते है, फिर उसे बीटर नामक मशीन में एकदम महीन करते है, उसके बाद कारीगरों के द्वारा महीन पिसे हुये कागज को हौजों में डाल कर उसको मशीन द्वारा कागज बनाया जाता है। जब कागज गीला होता है तो उसे फैक्ट्री में लगे मजदूरों द्वारा ले जाकर कागज को धूप में सुखाया जाता है। जब कागज सूख जाता है तो फैक्ट्री में लगी महिला मजदूरों द्वारा उसे अलग-अलग करके रंग पुतने के लिये दे दिया जाता है। जब कागज पुतकर तैयार हो जाता है, तो उसे बिकने के लिए बाजार में भेज दिया जाता है।

100 फैक्ट्रियों में बची केवल 50
जब हस्त निर्मित कागज फैक्ट्री की शुरुआत कालपी में हुयी थी तो सबसे पहले यहां पर छोटी बड़ी कुल 100 फैक्ट्रियां हुआ करती थी। लेकिन धीरे-धीरे यह फैक्ट्रिया बन्द होने लगी। जिसका मुख्य कारण सरकार की उदासीनता है। एक समय इन फैक्ट्रियों से बनने वाला कागज विदेशों में एक्सपोर्ट होता था। जो बांग्लादेश, भूटान, सिंगापुर से लेकर यूरोप के देशों में जाया करता था। लेकिन सरकार की उदासीनता के कारण इसमें Graf गिरने लगा और कागज बनाने वाली फैक्ट्रियां घाटे में जाने लगी। जिसके बाद से यहां पर फैक्ट्रियों की संख्या में कमी आ गयी और 100 फैक्ट्रियों से केवल 50 पर ही यह सीमित रह गयी।

एक समय 3000 लोगों को मिलता था रोजगार अब मिल रहा है मात्र 300 को
एक समय कालपी में संचालित होने वाली हैंड मेड कागज फैक्ट्रियों में लोकल से लेकर बाहरी लोगों को रोजगार आसानी से मिल जाता था और यहाँ पर एक समय में काम के आधार पर एक कागज फैक्ट्री में 30 मजदूरों एक एक साथ रोजगार मिल जाता था। लेकिन जैसे-जैसे सरकार का इस ओर ध्यान कम हुआ वैसे ही यह फैक्ट्रियां बंद होने लगी और काम करने वाले मजदूरों की संख्या में कमी आने लगी। जिस फैक्ट्री में पहले 30 की संख्या होती थी अब उस फैक्ट्री में बमुश्किल केवल 6 मजदूरों को ही रोजगार मिल पा रहा है। जिस कारण लोग पलायन करने पर विवश होने लगे है।

काम न मिलने से अब हो रहा पलायन
कालपी में हस्तनिर्मित कागज फैक्ट्रियों की कमी हो जाने के कारण यहाँ के लोगो को अब रोजगार नहीं मिल रहा है। जिस कारण यहाँ के मजदूरों को अब पलायन करने पर विवश होना पड़ा रहा है। एक समय में जनपद के लोगों को कालपी में ही ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिल जाया करता था लेकिन अब स्थिति यह है कि यहाँ के लोगों को ही पलायन करना पड रहा है। कालपी की कागज फैक्ट्री में काम करने वाली महिलाओं ने बताया कि अब उनको बहुत कम रोजगार मिलता है जो भी मिलता है उससे वह घर का खर्चा नहीं चला पाती है जिस कारण उन्हे मजबूरन पलायन करना पड़ रहा है।

पहले बिजली और जीएसटी की मार कागज फैक्ट्री के लिये बनी मुसीबत
कालपी में हस्त निर्मित कागज पूरे विश्व में प्रसिद्ध है लेकिन पिछले 5 सालों में यह उद्योग बंद होने के कगार की पर पहुँच गया है। जिसका मुख्य कारण सही समय पर बिजली न मिलना और बिजली में सबसिडी की छूट न होना है। जब हस्तनिर्मित कागज फैक्ट्री लगी थी तो यूपी सरकार ने सभी फैक्ट्रियों को बिजली की सबसिडी दी थी जिससे उद्योग धंधे लगाने वाले इसको बढ़ा सके। लेकिन धीरे धीरे सरकार ने सबसिडी बंद कर दी इसके अलावा बिजली कटौती कर दी जिससे कागज का उत्पादन कम होने लगा। बाद में जीएसटी की मार भी व्यापारियों के लिये मुसीबत बन गया। जुलाई में मोदी सरकार ने जीएसटी लागू कर दी और हस्तनिर्मित कागज पर सरकार ने 12 प्रतिशत टैक्स रखा जिससे व्यापारी एक बार फिर परेशान हो गया। एक समय में हस्तनिर्मित कागज पर कोई भी टैक्स नहीं लगता था जिससे व्यापारी कुछ व्यापार कर लेते थे लेकिन अब उनकी आमदनी घटने के साथ उन्हे टैक्स की भी मार झेलनी पड़ रही है।

GST लगाने के बाद कागज की बिक्री हुयी कम
कालपी में हस्तनिर्मित कागज की 50 फैक्ट्रियाँ स्थापित है जो एक साल में 50 करोड़ के कागज की बिक्री कर लेती थी। लेकिन जब से जीएसटी मोदी सरकार द्वारा लगाई गई तब से हस्तनिर्मित कागज की बिक्री कम हुयी है। उ.प्र. हस्त निर्मित कागज संघ के पदाधिकारी सुनीत गुप्ता ने बताया कि GST के पहले 50 फैक्ट्रियाँ लगभग 1-1 करोड़ का साल भर का व्यापार कर लेती थी लेकिन जीएसटी के बाद 50 फैक्ट्रियों की इनकम केवल 15 से 20 करोड़ ही रहा गई है। जिसमें 70 फीसदी की गिरावट आई है।

GST में सरकार करे सुधार, बिजली में दे सबसिडी
उ.प्र. हस्त निर्मित कागज संघ के पदाधिकारी सुनीत गुप्ता ने बताया कि अगर सरकार जीएसटी में सुधार करे और टैक्स 12 फीसदी से 5 फीसदी कर दे तो व्यापारियों को फायदा मिलेगा। इसके अलावा बिजली में भी सरकार 50 फीसदी सबसिडी दे तो इसका लाभ भी व्यापारियों को मिलेगा। उन्होने बताया कि टैक्स की मार और बिजली के दामों में भारी बढ़ोत्तरी के कारण उन्हे परेशानी का सामना करना पड़ रहा है सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए। इसके अलावा जो कागज बनता है वह पहले सरकार खरीदती थी और उसका प्रयोग फाईल के रूप में सरकारी विभागों में प्रयोग होता था लेकिन अब सरकार इसकी ख़रीदारी नहीं करती जिससे उन पर यह मार पड़ती है। यदि सभी सरकारी विभाग में कागज प्रयोग होने लगे तो फायदा होगा।

विदेशों में होती है सप्लाई
पहले कालपी के हस्तनिर्मित कागज की सप्लाई देश में ही होती थी और इसे देश के विभिन्न इलाकों में बिकने के लिये भेजी जाती थी। लेकिन धीरे-धीरे इसकी सप्लाई विदेशों में होने लगी जो सिंगापूर से लेकर यूरोप में के देशों में होने लगी लेकिन अब इसकी सप्लाई कम हो गई है। वैसे कालपी के बने कागज मुगलों एवं चंदेल कालीन राजसत्ता से ही प्रसिद्ध है और ये कागज अब ज्यादातर लोगो के शादी-विवाहों में छपने वाले मैरिज कार्डो एवं फाइलों के कवर बनाने के काम आता है।

ये है 5 बड़े व्यापारी
कालपी में हस्तनिर्मित कागज का निर्माण सबसे ज्यादा बुंदेलखंड पेपर मिल, स्वास्तिक हैंडमेड पेपर, वैभव पेपर मिल, शास्त्री हैंडमेड पेपर मिल के साथ माँ बलखंडी पेपर मिल करते है। यह सभी एक साल में 1 करोड़ का पेपर बनाकर इसकी सप्लाई करते है। इन पेपर मिल के मालिक अभिषेक गुप्ता, सीताराम गुप्ता, रवीन्द्रनाथ गुप्ता, बंदना पुरवार और देवेंद्र गुप्ता ने बताया कि कच्चे माल की स्थिति GST के बाद ठीक है लेकिन बीच में स्थिति गड़बड़ हो गई थी। उन्होने बताया कि सरकार को उनकी मदद करनी चाहिए और टैक्स में छूट देनी चाहिए।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो