जालौन

यहां मौत के ढेर पर बारूद के गोले बनाने में जुटे हैं मासूम

ग्राम टीहर में रिहायशी और खेतों में अवैध रूप से आतिशबाजी और पटाखे बनाने का काम चल रहा है।
 

जालौनOct 13, 2017 / 07:33 pm

Ashish Pandey

Innocent children making crackers

जालौन. दीवाली आने पर पूरा देश आतिशबाजी की धूमधड़ाके में जुट जाता है, जिससे वह दीवाली की खुशियाँ मना सके और इस समय पटाखों की जमकर बिक्री भी होती है, लेकिन इस बार सुप्रीम कोर्ट ने अपना कड़ा रुख अख्तियार करते हुए बारूद और पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दी है। वहीं दूसरी तरफ यूपी के जालौन में धड़ल्ले से रिहायसी और जंगलों में अवैध तरीके से बारूद बनाने का काम चल रहा है और यह खतरनाक बारूद और पटाखे बड़े बुजुर्ग नहीं बल्कि मासूम बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर बना रहे हैं। लेकिन इस ओर किसी भी प्रशासनिक अधिकारी और पुलिस का ध्यान नहीं जा रहा है।
रिहायशी और खेतों में चल रही फैक्ट्री
यह समय दीवाली के जश्न का है और लोग इस दौरान अपना जश्न मनाने के लिए आतिशबाज़ी की खरीद भी कर रहे हैं, जिससे वह दीवाली की खुशियाँ दोगुनी कर सकें। जालौन के रामपुरा थाना क्षेत्र के ग्राम टीहर में अवैध तरीके से बारूद बनाने का काम चल रहा है। जहां पर रिहायशी और खेतों में अवैध रूप से आतिशबाजी और पटाखे बनाने का काम चल रहा है। यह पटाखे और बारूद छोटे-छोटे मासूम बच्चे बना रहे हैं, जो मौत के ढेर पर बैठ कर गोले बना रहे हैं। यहाँ पर एक चिंगारी सब कुछ तबाहा कर सकती है, लेकिन इस ओर किसी को ध्यान नहीं जा रहा है और मौत के ढेर पर यह मासूम गोले बनाने में जुटे हुए है जिनको किसी प्रकार का डर और खौफ नहीं है और बेधड़क होकर बारूद बनाने का काम कर रहे है।
पैसे कमाने के लिये बना रहे बारूद
बारूद के ढेर पर बैठे पटाखे और छोटे छोटे गोले बना रहे इन नाबालिग बच्चों से पूछा कि वह यह काम क्यों कर रहे है तो मासूमों का कहना है कि वह पैसे कमाने के लिये यह काम कर रहे है क्योकि घर में कोई काम नहीं करता है अगर पैसे नहीं कमायेगे तो वह खायेगे क्या?
नाबालिग बच्चों से पूंछा कि वह कितना कमा लेते है तो मासूमों का जबाब था 100 गोली बनाने पर उन्हे 6 रुपये मिलते है और वह दिन भर में 1000 गोली बना लेते है। मासूमों से पूंछा कि उन्हे यह बनाते हुये डर नहीं लगता तो मासूमों का कहना था कि वह उनका खेल है उन्हे डर नहीं लगता।
मना करने के बाद भी आ जाते है बच्चे
रिहायशी और खेतों में अवैध रूप से बारूद फैक्ट्री चलाने वाले चन्द्रशेखर और प्रमोद से जब पूंछा कि वह नाबालिग बच्चों से क्यो काम करा रहे हंै तो पहले उन्होंने कहा कि उनके यहाँ कोई भी नाबालिग काम नहीं कर रहा है बाद में जब उन्हें बच्चे दिखाए तो उनका कहना था कि मना करने के बावजूद बच्चे आ जाते हैं। उनका कहना है कि कई बार उन्हें स्कूल भी भेजा लेकिन वह आ जाते हैं।
प्रशासन को है पूरी जानकारी
इस मामले में कोई भी प्रशासनिक अधिकारी कुछ भी बोलने के लिए सामने नहीं आ रहा है, जिससे यही अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह सब प्रशासन की सरपरस्ती में चल रहा है। कानपुर और अलीगढ़ में हुए विस्फोट के बाबजूद भी प्रशासन चेत नहीं रहा है और जनपद में चल रही अवैध बारूद फैक्ट्रियों पर कोई कार्रवाही नहीं कर रहा है। यदि यही चलता रहा तो निश्चित ही कोई बढ़ा हादसा हो सकता है।
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