जालौन

Sakat Chauth 2019 : माघ संकष्टी चतुर्थी 24 जनवरी को, गणपति को खुश रखने के लिए सभी माताएं रखें व्रत, होगी हर मनोकामना पूरी

Sankashti Chaturthi 2019 : संकष्टी चतुर्थी, सकट चौथ, माघ महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी 24 जनवरी दिन गुरूवार को पड़ना बहुत शुभ माना गया है और चंद्रोदय का समय रात्रि 08.37 मिनट पर शुभ मुहूर्त हैं।
 

जालौनJan 22, 2019 / 03:20 pm

Neeraj Patel

Sakat Chauth 2019 : बेटों की सफलता के लिए सभी माताएं रखती है सकट चौथ व्रत, जानिए क्या है डेट, पूजाविधि, व्रत कथा और महत्व

जालौन : (Sakat Chauth 2019) संकष्टी चतुर्थी, सकट चौथ व्रत साल 2019 में 24 जनवरी दिन गुरूवार पड़ रहा है। 24 जनवरी दिन गुरूवार को संकष्टी चतुर्थी, सकट चौथ का पड़ना बहुत ही शुभ माना माना जा रहा है। 2019 में संकष्टी चतुर्थी, सकट चौथ व्रत के पर्व पर उत्तर प्रदेश की सभी महिलाएं अपने परिवार की सुख और समृद्धि के लिए निर्जल व्रत रखेंगी और गणेश जी की बड़े ही धूमधाम से पूजा करेंगी। जिससे उनके परिवार पर कभी भी किसी तरह की कोई समस्याएं न आए। सकट चौथ को गणेश चतुर्थी, तिलकूट चतुर्थी , संकटा चौथ, तिलकुट चौथ के नाम से जाना जाता हैं। सकट चौथ पर चंद्रोदय का समय 24 जनवरी दिन गुरूवार को रात्रि 8.20 मिनट पर शुभ मुहूर्त हैं।

पुत्र की सफलता के लिए सभी महिलाएं रखती हैं सकट चौथ व्रत

सभी महिलाएं अपने पुत्र की सफलता के लिए सकट चौथ व्रत को निर्जला रखती हैं। सभी व्रत रखने वाली महिलाएं शाम को गणेश पूजा और चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही प्रसाद के साथ खाना खाती हैं। महाभारत काल में श्रीकृष्ण की सलाह पर पांडु पुत्र धर्मराज युधिष्ठिर ने सबसे पहले सकट चौथ व्रत को ही रखा था। तब से लेकर अब तक सभी महिलाएं अपने पुत्र की सफलता के लिए सकट चौथ व्रत रखती हैं।

संकट चौथ पर गणेश की ऐसे करें पूजा

1. गणेश की पूजा करते समय आपका मुख उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।
2. गणेश की पीठ के दर्शन भूलकर भी न करें।
3. गणेश जी को दुर्वा, पुष्प, रोली, फल सहित मोदक व पंचामृत को पूजन में अवश्य शामिल करें।
4. गणपति का विधिवत रूप से स्नान करके उनकी पूजा करें।
5. सकट चौथ के दिन गणेश को तिल के लड्डू चढ़ाने का भी विशेष महत्व माना जाता है।
6. गणेश की पूजा के समय संकष्टी चतुर्थी व्रत की कथा अवश्य सुनें, एवं गणपति की आरती करें।
7. ॐ गणेशाय नम: अथवा ॐ गं गणपतए नम:, मंत्र का जाप बहुत ही शुभ माना जाता है।

संकट चौथ की यह है पौराणिक व्रत कथा

माघ महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी संकष्टी गणेश चतुर्थी, तिलकूट चतुर्थी, संकटा चौथ, तिलकुट चौथ व्रत को लेकर एक कथा भी प्रचलित है। कहा जाता है कि सत्यवादी राजा हरिशचंद्र के राज में एक ब्राम्हण व उसकी पत्नी भी रहते थे। एक समय उनका एक पुत्र की प्राप्ति हुई और कुछ समय बाद वे मृत्यु को प्राप्त हो गए। ब्राम्हणी दुखी लेकिन पुत्र के जीवन को संवारना ही उसका लक्ष्य था। अतः वह गणपति का चौथ का व्रत रखते हुए उसकी परवरिश करने लगी। एक दिन एक कुम्हार ने बच्चे की बलि अपनी कन्या के विवाह के उद्देश्य से धन के लिए दे दी। इसके बाद वह कष्टों में घिर गया जबकि बच्चा खेलता हुआ मिला। यह वृत्तांत जब राजा हरिशचंद्र को सुनाया गया तो वह उसने व्रत की महिमा बताई।

पंडित दिलीप दुवे ने बताया कि ‘तिल चौथ’ सकट चौथ पर चंद्रोदय का समय 24 जनवरी दिन गुरूवार को रात्रि 08.37 मिनट पर शुभ मुहूर्त हैं। सबसे पहले सभी महिलाएं गणेश की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराने के बाद फल, लाल फूल, अक्षत, रोली, मौली अर्पित करें और फ़िर तिल से बनी वस्तुओं अथवा तिल-गुड़ से बने लड्डुओं का भोग लगाकर गणेश की पूजा की जाती है। सकट चौथ पर 108 बार गणेश मंत्र – ‘ॐ गणेशाय नमः’ का जाप करें, अपने हर दुःख को भगवान गणेश से कहे। इससे आप पर आने वाली हर समस्या का समाधान हो जाएगा और जो भी परेशानियां आएंगी उससे भी मुक्ति मिल जाएगी।।

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