इस बार बसपा के साथ गठबंधन करके सपा का प्रदर्शन काफ़ी ख़राब हो गया और बसपा को फायदा मिला जो शून्य से उठकर 10 पर आ गई। बता दें कि लोकसभा के पिछले 4 चुनावों से समाजवादी पार्टी के ग्राफ में काफ़ी गिरावट आई है। 2004 में सपा 26.74 फ़ीसदी वोट पाई थी वहीं अब 2019 के लोकसभा चुनाव में मात्र 17.96 फ़ीसदी वोटों पर सिमटकर रह गई हैं।
अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या आने वाले विधानसभा के चुनाव में सपा बसपा दोनों एक साथ ही चुनाव लड़ेगी या अलग- अलग? और यदि एक साथ लड़ती है, तो मुख्यमंत्री का दावेदार कौन होगा? क्योंकि लोकसभा के इस चुनाव परिणाम को देखकर ऐसा लग रहा है, कि भाजपा का प्रदर्शन अगले विधानसभा चुनाव में भी अच्छा हो सकता है। उस परिस्थिति में यदि सपा- बसपा का गठबंधन नहीं होता है तो योगी के विजय रथ को ये पार्टियां कैसे रोक पाएंगी।