देवताओं के उठने के साथ ही शुरू हो जाते हैं मांगलिक कार्य
जालौन निवासी पंडित राजेन्द्र तिवारी ने बताया है कि देवोत्थान एकादशी दिवाली (दीपावली) के बाद आने वाली कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की एकादशी से शादी, विवाह और मांगलिक कार्यों के शुभ मुहूर्त शुरू हो जाते हैं। इसके साथ ही बताया कि जब सभी देवता शयन के जाते हैं तो सारे मांगलिक कार्य रोक दिए जाते हैं और कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को सभी देवता उठते हैं तो शादी, विवाह की रश्में आदि मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं।
इसके साथ यह भी बताया गया कि धर्म शास्त्रों के अनुसार जिन दंपत्तियों के कन्या नहीं होती है, वे अपने जीवन में एक बार तुलसी का विवाह करके कन्यादान का पुण्य अवश्य प्राप्त करें। देवोत्थान एकादशी पर जब तुलसी विवाह का आयोजन होता है तो इसी के साथ ही हिन्दू धर्म में शादी, विवाह की रश्में भी शुरू हो जाती हैं।
देवोत्थान एकादशी पर तुलसी विवाह का भी होता है आयोजन
देवोत्थान एकादशी के दिन ही तुलसी विवाह का भी आयोजन बड़े ही धूमधाम से किया जाता है। तुलसी के वृक्ष और शालिग्राम की यह शादी सामान्य विवाह की तरह ही पूरे धूमधाम से की जाती है। चूंकि तुलसी को विष्णु प्रिया भी कहते हैं इसलिए देवता जब जागते हैं, तो सबसे पहली प्रार्थना हरिवल्लभा तुलसी की ही सुनते हैं। तुलसी विवाह का सीधा अर्थ है, तुलसी के माध्यम से भगवान का आह्वान करना। इसलिए देवोत्थान एकादशी पर तुलसी के माध्यम से भगवान का आह्वान किया जाता है।