scriptहोलिका दहन कल, होली पर रहेगा भद्रा का साया, रात 9 बजे बाद हो सकेगा होली का पूजन | Bhadra's shadow, will be done after 9 pm, worship of Holi | Patrika News
जालोर

होलिका दहन कल, होली पर रहेगा भद्रा का साया, रात 9 बजे बाद हो सकेगा होली का पूजन

इस बार होली पर्र्व पर सुबह 10.44 से रात 8 .59 तक करीब 10 घंटे भद्रा रहेगी। इस दौरान पूजन आदि शुभ कार्य निषेध रहेंगे।

जालोरMar 19, 2019 / 04:17 pm

Jitesh kumar Rawal

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होलिका दहन कल, होली पर रहेगा भद्रा का साया, रात 9 बजे बाद हो सकेगा होली का पूजन

भीनमाल. इस बार होली पर्र्व पर सुबह 10.44 से रात 8 .59 तक करीब 10 घंटे भद्रा रहेगी। इस दौरान पूजन आदि शुभ कार्य निषेध रहेंगे। शास्त्री प्रवीण त्रिवेदी के अनुसार फाल्गुन माह की पूर्णिमा पर 20 मार्च को होलिका का पूजन होगा। इस बार होली पर सुबह 10.44 से रात्रि 8 .59 तक करीब 10 घंटे भद्रा रहेगी। शास्त्रीय मान्यता में भद्रा के दौरान पूजन आदि शुभ कार्य निषेध माने गए हैं। मुहूर्त चिंतामणि के अनुसार यदि भद्रा में पूजन काल के समय उत्तरा फाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा एवं उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में से कोई भी एक नक्षत्र हो तो भद्रा का दोष नहीं लगता है। इस बार होली पर शाम 4.16 से उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र आरंभ हो रहा है, जो अगले दिन दोपहर 1.33 बजे तक रहेगा। इसलिए संध्या काल में होलिका पूजन किया जा सकता है। हालांकि पूर्णत: निर्दोष मुहूर्त की मान्यता रखने वाले श्रद्धालु रात्रि नौ बजे बाद पूजा करें। इस मुहूर्त में होलिका पूजन धन धान्य देने वाला रहेगा। होली पर गोधूलि बेला में पूजन के समय उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र की साक्षी रहेगी। इस कारण भद्रा का दोष नहीं लगेगा। महिलाएं संध्या काल में होलिका पूजन कर सकती हैं। ब्रह्मकर्म प्रकाशक त्रिवेदी ने बताया कि भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार फाल्गुन माह में प्रमुख त्योहार पर आने वाली भद्रा का वास मृत्यु लोक में रहता है। चंद्र राशि के अनुसार भी भद्रा को देखें तो सिंह राशि के चंद्रमा में भी भद्रा का वास पृथ्वी पर बताया गया है। भूलोक पर रहने वाली भद्रा में शुभ कार्य वर्जित माने गए हैं। हालांकि शास्त्र में इसका हल बताया गया है। शास्त्री ने बताया कि फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से फाल्गुन पूर्णिमा तक के अंतराल को होलाष्टक माना जाता है, जिसमे सभी शुभ कार्य वर्जित रहते है। इसीलिए पूर्णिमा के दिन होलिका-दहन किया जाता है।
होली के महत्वपूर्ण पौराणिक नियम…
1. पहला, उस दिन भद्रा न हो क्योंकि भद्रा का ही एक दूसरा नाम विष्टि करण भी है, जो 11 करणों में से एक है एवं एक करण तिथि के आधे भाग के बराबर होता है।
2. दूसरा, पूर्णिमा प्रदोषकाल-व्यापिनी होनी चाहिए। अर्थात उस दिन सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्तो में पूर्णिमा तिथि होनी चाहिए।
3. होलिका दहन शुभ व शुद्ध मुहूर्त में ही होना चाहिए।
4. होली के पूजन में नारियल और गेंहूं की बालियां चढ़ाना सबसे शुभ व शास्त्र सम्मत माना गया है।
5. होली पर तंत्र क्रियाएं नहीं करना चाहते हैं तो सबसे सरल उपाय है होली की भस्म को चांदी की डिबिया में घर की तिजोरी में रखें।

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