गो भागवत कथा में कृष्ण जन्मोत्सव पर झूमे श्रद्धालु
सांचौर. गोधाम पथमेड़ा रजत जयंती समारोह के छठे वेदलक्षणा गोमहिमा सत्संग सप्ताह के चौथे दिन शुक्रवार को स्वामी दत्तशरणानंद के सान्निध्य में कृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया। व्यासपीठ से कथाकार श्यामसुन्दर पराशर ने भगवान श्रीकृष्ण के जन्म, बाल लीलाएं, भगवान के माखन व पंचगव्य प्रेम, गोपालन और गोचारण से जुड़े विभिन्न मार्मिक प्रसंगों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। कार्यक्रममें दूर-दराज के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में मातृशक्ति कथा सुनने उमड़ी। गोधाम पथमेड़ा परिसर में कथा से पहले व बाद में गोसेवक नर-नारी व बच्चों के संकीर्तन के साथ ‘जय गोमाता-जय गोपालÓ का जयघोष करते हुए परिक्रमा की गई। कथा में दर्जनों बाल-ग्वाल व गोसेवक कार्यकर्ता सेवा कार्यों में जुटे हुए हैं। गोभक्तों के लिए शीतल जल, नींबू पानी, कथा पूर्व अल्पाहार और कथा बाद महाप्रसादी की व्यवस्था की जा रही है। देशभर से पहुंच रहे श्रद्धालुओं में वृद्ध व बीमार भक्तों को सुंदर व सुसज्जित बैलगाडिय़ों पर बिठाकर गोशाला भ्रमण की नव परम्परा हर किसी का मन मोह रही है। पथमेड़ा परिसर के मार्गों में लू के चलते श्रद्धालुओं व गोवंश के लिए छोटे फव्वारों से ठण्डक की जा रही है। कथा के दौरान गोपाल गोवर्धन गोशाला के अध्यक्ष केशाराम सुथार ने सपत्नीक व्यासपीठ का पूजन किया। मंच संचालन मुकुंदप्रकाश महाराज व डॉ. ऊदाराम वैष्णव ने किया। वैदिक, शास्त्रीय पूजन व श्रीकृष्ण जन्मोत्सव डॉ. ललित द्विवेदी के आचार्यत्व में संपन्न हुआ। इस अवसर पर सियावल्लभदास महाराज, नंददासराम महाराज, बलदेवदास महाराज, गणेश महाराज व छोगाराम माली सहित कई संतवृंद और गोसेवक मौजूद थे। कृष्ण लीलाओं का जीवंत वर्णन कथा के दौरान कथाकार परारशर ने भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव की लीलाओं का जीवंत वर्णन कर श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध किया। उन्होंने कहा कि गोधाम पथमेड़ा वर्तमान समय में गोमाता के संरक्षण व संवद्र्धन का सर्वोच्च केंद्र होने से यहां के कण-कण में गोपाल बसे हैं। भगवान श्रीकृष्ण का गोपालन से प्रेम, माखन व समस्त पंचगव्यों से जुड़ाव जीवन हमें सीख देता है कि हम गाय को पालकर उसकी सेवा करें। साथ ही जीवन में नित्य प्रतिदिन पंचगव्य का प्रयोग कर सच्चे कृष्ण भक्त बन सकते हैं।