सालों से सीवरेज के लिए कर रहे प्रयास, दो बार डीपीआर भी बनी, नतीजा सिफर
करीब 60 हजार की आबादी वाले भीनमाल शहर को सीवरेज के लिए सालों से सरकारी मेहरबानी का इंतजार है। पालिक ने गत 15 सालों में सीवरेज के लिए दर्जनों बार हाथ-पैर मारे और दो बार डीपीआर भी तैयार करवाई, लेकिन अब तक सरकार की मेहरबानी नहीं हो पाई है

तुलसाराम माली.भीनमाल. करीब 60 हजार की आबादी वाले भीनमाल शहर को सीवरेज के लिए सालों से सरकारी मेहरबानी का इंतजार है। पालिक ने गत 15 सालों में सीवरेज के लिए दर्जनों बार हाथ-पैर मारे और दो बार डीपीआर भी तैयार करवाई, लेकिन अब तक सरकार की मेहरबानी नहीं हो पाई है। ऐसे में शहर में स्वच्छता अभियान भी दम तोड़ रहा है। सीवरेज के अभाव में शहर में सालों से नालियों से गंदे पानी की निकासी हो रही है, लेकिन अब आबादी बढऩे के साथ ही नालियां कचरे व गंदगी से अट जाती है। खासकर शहर के भीतरी भाग व संकरी गलियों में लोग गंदगी से बेहाल रहते हैं। गंदे पानी की निकासी नहीं होने से गलियों में गंदगी पसरी रहती है। इसके अलावा बरसात के दिनों में तो सडक़ें तालाब बन जाती है। कई जगहों पर बरसात का पानी जमा रहने से सडक़ें भी जवाब देनी लगती है। पालिका प्रशासन का कहना है कि 2006 से शहर में सीवरेज के लिए प्रयास चल रहे हैं। 2006 में केंद्र व राज्य सरकार की संयुक्त लघु व मध्यम कस्बों में आधारभूत सुविधाओं के निर्माण कार्यक्रम के तहत अरबन इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट व स्मॉल एंड मीडियम टाउन (यूआईडीएसएसएमटी) योजना में भीनमाल शहर के लिए सीवरेज परियोजना के लिए 20.53 करोड़ व 2015 में 141.8 7 करोड़ की की डीपीआर तैयार कर सरकार को भेजी, लेकिन स्वीकृत नहीं हुई।
तंग गलियों व भीतरी भाग में गंदगी से बेहाल लोग
सीवरेज के अभाव में गंदे पानी की समस्या ज्वलंत बनी हुई है। खासकर शहर की संकरी सडक़ें व पुराने शहर में तो गंदे पानी की समस्या ज्वलंत है। स्थिति यह है कि गंदगी के चलते शहर के भीतर बसी आबादी के लिए घरों से बाहर निकलना मुश्किल है। तंग गलियों में शौचालय के लिए गटर भी नहीं बना पाते हैं। इसके अलावा गंदे पानी की निकासी को लोग लोग भी आपस में उलझ जाते हंै। 2006 से हर बोर्ड में सीवरेज की मांग रखी और पत्रावली सरकार को भी भेजी गई, लेकिन सीवरेज की सौगात नहीं मिल सकी।
2012-13 में कम आबादी का रहा हवाला
वर्ष 2012-13 में सरकार की ओर से प्रदेशभर के कई शहरों को सीवरेज की सौगात दी गई। उस दौरान शहर के लिए भी सीवरेज की सौगात मिलने की उम्मीदें तेज हुई, लेकिन 2011 की जनगणना के हिसाब से शहर की आबादी 47 हजार 954 थी और सरकार ने 50 हजार से अधिक आबादी वाले शहरों को प्राथमिकता देने का हवाला देते हुए स्वीकृति नहीं दी। इसके बाद 2015 में तत्कालीन पालिकाध्यक्ष सांवलाराम देवासी के निर्देश पर शहर में सीवरेज के लिए 141.87 करोड़ की डीपीआर बनी। इसके तहत शहर के 40 वार्डों के गली-मौहल्लों में करीबन 121 किलोमीटर पाइपलाइन बिछाई जानी थी। इसके अलावा दो ट्रीटमेंट प्लांट, गंदे पानी की निकासी व उससे बनने वाली खाद के लिए प्लांट लगने थे, लेकिन सीवरेज की सौगात नहीं मिल सकी।
स्वीकृति के लिए प्रयास जारी हैं...
शहर में सीवरेज की महती आवश्यकता है। खासकर शहर के भीतरी भाग में लोगों को समस्या रहती है। सीवरेज के लिए दो बार डीपीआर बनाकर सरकार को भेजी हुई है। सीवरेज की स्वीकृति के लिए प्रयास किए रहे हैं।
- विमला बोहरा-पालिकाध्यक्ष, नगरपालिका-भीनमाल
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