scriptएनजीटी के आदेश जालोर में भी प्रभावी, लेकिन नियम विरुद्ध औद्योगिक इकाइयों में चल रहे बोरवेल | Borewell running in Rule versus Industrial Units | Patrika News

एनजीटी के आदेश जालोर में भी प्रभावी, लेकिन नियम विरुद्ध औद्योगिक इकाइयों में चल रहे बोरवेल

locationजालोरPublished: Jul 20, 2019 09:37:42 am

Submitted by:

Khushal Singh Bati

– नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश पर जोधपुर में कार्रवाई के तहत औद्योगिक इकाइयों में बने ट्यूबवैल बंद करने के आदेश, करीब दो साल पूर्व ऐसा ही आदेश जालोर के लिए भी जारी हुआ था, लेकिन नियम विरुद्ध हो रही बोरवेल की खुदाई

jalore

– नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश पर जोधपुर में कार्रवाई के तहत औद्योगिक इकाइयों में बने ट्यूबवैल बंद करने के आदेश, करीब दो साल पूर्व ऐसा ही आदेश जालोर के लिए भी जारी हुआ था, लेकिन नियम विरुद्ध हो रही बोरवेल की खुदाई

फैक्ट फाइल
154 इकाइयां प्रथम और द्वितीय चरण में
254 इकाइयां थर्ड फेज रीको क्षेत्र
70 के लगभग सर्वे में पाए गए थे अवैध बोरवेल
350 से 500 के लगभग पूरे इकाइ क्षेत्र में अवैध बोरवेल की संभावना

जालोर. नियम विरुद्ध मनमर्जी से डार्क जोन में खुद रहे अवैध ट्यूबवैल से भूजल के हो रहे अंधाधुंध दोहन को हाल ही में एनजीटी ने गंभीरता से लेते हुए जोधपुर क्षेत्र में औद्योगिक इकाइयों में चल रहे अवैध बोरवेल को चिह्नित कर बंद करने के आदेश जारी किए है, जिसके आधार पर केंद्रीय भूजल बोर्ड ने ऐसी इकाइयों की सूची जारी की है। आदेश के तहत नियम विरुद्ध खुदे बोरवेल बंद किए जाएंगे।
ऐसे ही हालात जालोर के औद्योगिक इकाइयों में भी हैं, जहां नियम विरुद्ध बड़ी संख्या में बोरवेल खुदे होने का अनुमान है, लेकिन इन अवैध बोरवेल के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई है, न ही इसके लिए प्रशासनिक स्तर से आदेश जारी किए गए हैं। हालांकि करीब एक साल पूर्व तत्कालीन कलक्टर बीएल कोठारी ने एनजीटी के ही एक प्रकरण में औद्योगिक इकाइयों में चल रहे नियम विरुद्ध बोरवेल की जानकारी के लिए सर्वे करवाया था। विभागीय स्तर पर उस समय सर्वे में 70 के लगभग अवैध बोरवेल इकाइयों में सूचीबद्ध किए गए थे, लेकिन उसके बाद मामला उसके बाद ठंडे बस्ते में हैं।
केवल 400 इकाइयों का ही हो पाया था सर्वे
मामला इसलिए खास है क्योंकि तत्कालीन कलक्टर बीएल कोठारी ने एनजीटी के ही एक केस के सिलसिल की पालना में जालोर की औद्योगिक इकाइयों में नियम विरुद्ध चल रहे बोरवेल की सूची तैयार करवाई थी। रीको के मार्फत यह सूची तैयार कर जिला प्रशासन को सुपुर्द की गई थी। इस सूची के अनुसार 400 इकाइयो में हुए सर्वे में 70 के लगभग बोरवेल पाए गए थे, जो अवैध थे और उन्हें बंद किया जाना था। सूत्रों की मानें तो इस आदेश के बावजूद कुछेक को छोड़कर सभी बोरवेल शुरू ही रहे, जो ट्यूबवैल बंद हुए उनमें पानी की उपलब्धता नहीं होने पर हुए।
दायरा बड़ा, जांच भी बड़े स्तर पर जरुरी
वर्ष 2018 में हुए इस सर्वे में केवल रीको के अंतर्गत आने वाली इकाइयों का ही सर्वे किया गया। रीको के तीनों फेज को मिलाकर करीब 400 इकाइयां ही है। जबकि वर्तमान समय की बात करें तो जालोर शहर में 1300 के लगभग औद्योगिक इकाइयां है। जिसमें बड़ी तादाद में बोरवेल खुदे हुए हैं, जिनसे पानी का अवैध रूप से दोहन हो रहा है। चूंकि ये इकाइयां रीको के अंतर्गत नहीं होकर व्यक्तिगत स्तर पर है। इसलिए अब तक के सर्वे में इन इकाइयों को शामिल नहीं किया गया है। जबकि हकीकत यह है कि इन इकाइयों को मिलाकर 350 से 500 के बीच बोरवेल है, जो अवैध है। या अवैध रूप से खोदे गए हैं।
प्रशासनिक स्तर पर दोहरे मापदंड
जिला डार्कजोन में होने से सरकारी पेयजल स्कीम को छोड़कर बोरवेल की खुदाई पर पूरी तरह से रोक हैं। अक्सर यह देखा गया है कि चोरी छुपे ट्यूबवैल की खुदाई की जानकारी पर प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई की जाती है। लेकिन औद्योगिक क्षेत्र में मामला विपरीत है। अधिकारियेां की अनदेखी और कार्रवाई के अभाव में यहां नियमविरुद्ध बोरवेल चल रहे या नए खुद भी रहे हैं। चूंकि औद्योगिक इकाइयों पर बिजली कनेक्शन भी हाई वॉल्टेज का उपलब्ध रहता है तो इन अवैध ट्यूबवैलों पर भी अप्रत्यक्ष रूप से इकाइयों के मार्फत ही बिजली का कनेक्शन भी उपलब्ध हो जाता है और उसी के मार्फत फिर इन इकाइयों पर मनमाफिक पानी का दोहन भी होता है।
केवल पेयजल स्कीम में स्वीकृति
जालोर जिला डार्क जोन में है और यहां नए ट्यूबवैल की खुदाई पूरी तरह से प्रतिबंधित है। केवल पेयजल स्कीम में ही वैध अनुमति के बाद ही ट्यूबवैल की खुदाई हो सकती है।
इनका कहना
पूर्व कलक्टर बीएल कोठारी के समय में एक आदेश के तहत रीको क्षेत्र में बोरवेल की संख्या को लेकर सर्वे किया गया था, जिसकी रिपोर्ट सर्वे के बाद सुपुर्द की गई थी।
– महेश पटेल, सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक, रीको
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो