scriptकोरोना के कहर से दोहरी मार, अब प्रोडक्शन बंद होने से श्रमिकों की मजदूरी भी बंद | Corona's double whammy, now laborers close as production stops | Patrika News

कोरोना के कहर से दोहरी मार, अब प्रोडक्शन बंद होने से श्रमिकों की मजदूरी भी बंद

locationजालोरPublished: Mar 25, 2020 11:18:20 am

Submitted by:

Khushal Singh Bati

– इकाइयां बंद, लेकिन अभी भी कई इकाइयां शुरू, ट्रांसपोर्टेेशन का काम बंद होने से श्रमिक हुए बेरोजगार

- इकाइयां बंद, लेकिन अभी भी कई इकाइयां शुरू, ट्रांसपोर्टेेशन का काम बंद होने से श्रमिक हुए बेरोजगार

– इकाइयां बंद, लेकिन अभी भी कई इकाइयां शुरू, ट्रांसपोर्टेेशन का काम बंद होने से श्रमिक हुए बेरोजगार

जालोर. कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच 31 मार्च तक लॉक डाउन का बड़ा असर जालोर के ग्रेनाइट उद्योग पर देखने को मिल रहा है। सोमवार दोपहर तक आदेश के बाद भी काफी इकाइयां चल रही थी, लेकिन इसके बाद फिर से कलक्टर के हस्तक्षेप के बाद बड़ी तादाद में इकाइयां बंद कर दी गई है। इन हालातों का सीधा असर यहां काम करने वाली लेबर पर पड़ा है, क्योंकि यहां काम करने वाले अधिकतर श्रमिक पंजीकृत ही नहीं हैं। साथ ही ये वे लेबर है जो स्थायी रूप से एक इकाई में काम नहीं करते। ऐसे में इकाइयां बंद होने के साथ इन श्रमिकों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो चुका है।मामले से जुड़ा दूसरा पहलू यह भी है कि कोरोना के भय के बीच ग्रेनाइट उद्योग में पहले चीन और अब विदेशों से व्यापार पूरी तरह से बंद है। इस बीच अब जिले में यह खतरा और भी गहराता चला गया है। जालोर शहर की बात करें तो करीब 1300 ग्रेनाइट यूनिट्स और माइनिंग से जुड़े श्रमिकों की बड़ी तादाद इस खतरे का कारण है। इस बीच दो दिन पूर्व ग्रेनाइट उद्यमियों ने ग्रेनाइट इकायां सामूहिक रूप से बंद रखने की बात कही थी, लेकिन उसके बाद भी इकाइयां चल रही थी। सोमवार को 50 प्रतिशत के लगभग ग्रेनाइट में कटिंग, पॉलिशिंग का काम हो रहा था। लेकिन कलक्टर के हस्तक्षेप के बाद काफी इकाइयां बंद हो चुकी है।
इधर मजदूरी हुई बंद
जालोर के औद्योगिक क्षेत्र में बहुत से मजदूर ऐसे है, जो बाहरी है। जिनका पंजीयत तक नहीं है। ये दिहाड़ी मजदूरी का काम करते हैं। ये मजदूर किसी इकाई के स्थायी कार्मिक नहीं है। सीधे तौर पर इन हालातों के बीच अब ये श्रमिक बेरोजगार हो चुके हैं। मामले में सिरोही जिले के दिनेश कुमार का कहना था कि उनकी इकाई रविवार से बंद है। इसी तरह सिरोडी के ही दीपक का कहना था कि काम धंधा बंद हो चुका है अब रोजी रोटी पर संकट गहरा रहा है। इधर नागौर निवासी श्रमिक रामवतार का कहना था कि वह दिन की मजदूरी पर काम करता था। वर्तमान हालातों में उसकी मजदूरी चौपट हो रही है। उत्तरप्रदेश के कानपुर का रहने वाला शकील का कहना था कि अचानक से ही हालात बदल चुके हैं और अभी काम धंधा चौपट है। हालांकि प्राइवेट कार्मिकों को भी सवैतनिक अवकाश देने की घोषणा की गई थी, लेकिन जालोर के ग्रेनाइट इकाइयोंं में ऐसा धरातल पर सफल होता नजर नहीं आ रहा, क्योंकि अधिकतर लेबर स्थायी नहीं है। साथ ही मजदूर स्थायी रूप से एक इकाई में काम भी नहीं करते।
यहां हजार से अधिक लेबर बेरोजगार
जालोर से ग्रेनाइट का फिनिश गुड्स और कच्चा माल अन्य शहरों तक बड़ी तादाद में जाता था। वर्तमान हालात में सीमा लॉक होने के बाद से पिछले दो दिन में माल का लदान और उसे अन्यत्र भेजने का काम बड़े स्तर पर प्रभावित हुआ है। वहीं इस काम में लगे श्रमिक बेरोजगार हो गए हैं।पत्रिका पहल, सहग बने, स्वस्थ रहेंजैसा कि यह साफ हो चुका है कि कोरोना वायरस का बचाव ही उपचार है। इन हालातों मे आमजन को भीड़ भाड़ वाले क्षेत्रों में जाने से बचना है और 31 मार्च तक लॉक डाउन की स्थिति में घर ही रहकर इसमें सक्रिय भागीदारी निभानी है। इसके अलावा हाथों की सफाई का विशेष ध्यान रखते हुए आवश्यक होने पर भीड़ भाड़ वाले स्थान पर मुंह पर मास्क का उपयोग करना है।
इनका कहना
अधिकतर ग्रेनाइट इकाइयां बंद कर दी गई थी। कुछ शुरू थी, जिसको लेकर एक बार फिर से आदेश जारी कर दिया गया है।
– लालसिंह धानपुर, अध्यक्ष, ग्रेनाइट एसोसिएशन
पूर्व में प्रतिदिन लगभग 100 ट्रकों में तैयार माल व कच्चा माल लोड होता था, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। लोडिंग का काम बंद है। इस पेशे से 1 हजार से भी अधिक लेबर जुड़ी हुई थी, लेकिन काम बंद होने से ये सभी बेरोजगार हो चुके हैं।
– शैतानसिंह देवड़ा, अध्यक्ष, ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन, जालोर
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