जालोर

एक किमी की दूरी, फिर भी समय पर नहीं पहुंच पाई 108 एम्बुलेंस

राह चलते बेसुध होकर गिर पड़ी थी किशोरी

जालोरMay 10, 2018 / 10:54 am

Dharmendra Kumar Ramawat

Do not reach the 108 ambulance distance of one km

जालोर. जिले भर में चल रही 108 एम्बुलेंस आपातकाल में मरीजों के किस कदर काम आ रही है, इसका अंदाजा जिला मुख्यालय पर मंगलवार देर रात हुई एक घटना के बाद हुआ।
जिला अस्पताल से करीब एक किमी की दूरी पर होने के बावजूद 108 एम्बुलेंस 20 से 25 मिनट देरी से पहुंची। दरअसल, शहर के नया बस स्टैंड के मुख्य द्वार के सामने मंगलवार देर रात राह चलते एक किशोरी बेसुध होकर सड़क पर गिर पड़ी। इस किशोरी के अचानक गश खाकर गिरने के कारण आस पास खड़े लोग तुरंत उसके पास पहुंचे और उसे सड़क से उठाकर एक तरफ सुलाया। बाद में लोगों ने उस पर पानी भी छिड़का और उसे उठाने का प्रयास किया, लेकिन उसे बार-बार दौरे पड़ रहे थे। ऐसे में वहां खड़े एक व्यक्ति ने 108 एम्बुलेंस के लिए फोन किया। जिस पर कंट्रोल रूम से जल्द ही एम्बुलेंस पहुंचने का जवाब मिला। काफी देर तक इंतजार के बाद भी जब एम्बुलेंस नहीं पहुंची तो एम्बुलेंस के लिए दूसरे फोन से कॉल किया गया।
फिर भी एम्बुलेंस के नहीं पहुंचने पर लोग उसे टेंपो में सुलाकर अस्पताल के लिए रवाना हुए। कुछ ही दूर स्थित एक निजी होटल तक पहुंचने पर एम्बुलेंस पहुंची तो इस दौरान लोगों ने विरोध भी जताया। बाद में पायलट दिनेश कुमार व उसके साथी ने उसे एम्बुलेंस से अस्पताल पहुंचाया। जहां उसका चिकित्सकों ने उपचार किया। इस मौके दुकानदार दिनेश कुमार, भंवर माली व भरत कुमार समेत कई लोग मौजूद थे।
कंट्रोल रूम से आता है फोन
गौरतलब है कि आपातकालीन स्थिति में 108 एम्बुलेंस के लिए कॉल करने पर यह वेरिफिकेशन के लिए जयपुर स्थित कंट्रोल रूम में पहुंंचता है। जहां से ऑपरेटर संबंधित एम्बुलेंस को यह कॉल ट्रांसफर करते हैं। इसके बाद एम्बुलेंस मौके पर पहुंचती है।
सवाल-जवाब में किया समय बर्बाद
मंगलवार देर रात को 108 के लिए जब दूसरी बार फोन किया गया तो कंट्रोल रूम का ऑपरेटर तत्काल एम्बुलेंस भेजने के बजाय सवाल पर सवाल दाग रहा था। ऑपरेटर का कहना था कि इससे पहले कॉल किसने किया था। इसके बाद ऑपरेटर ने फिर से लॉकेशन पूछी। इस तरह काफी देर तक फोन पर ही समय बर्बाद किया गया।
रिंग बजती रही, फोन किसी ने रिसीव नहीं किया
108 एम्बुलेंस के लिए दूसरी बार किए गए फोन के बाद ऑपरेटर को समय बर्बाद करने के बजाय एम्बुलेंस तत्काल भेजने को कहा गया। ऐसे में उसने जल्द ही एम्बुलेंस पहुंचने की बात कहते हुए कॉल जालोर के लिए फॉरवर्ड की, लेकिन दो से तीन बार पूरी-पूरी रिंग बजती रही, लेकिन जालोर से किसी ने फोन रिसीव ही नहीं किया।
चालक ने कहा-सूचना मिलते ही आया
इधर, बीस से पच्चीस मिनट बाद मौके पर पहुंचे १०८ एम्बुलेंस के पायलट दिनेशकुमार से देरी का कारण पूछा गया तो उसका कहना था कि उसके पास कुछसमय पहले ही कॉल आई थी और सूचना मिलते ही वह हाथों हाथ मौके पर पहुंच गया था। ऐसे में कंट्रोल रूम के ऑपरेटर व जालोर १०८ एम्बुलेंस के पायलट के जवाब में काफी अंतर था।

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