नर्मदा परियोजना ही नहीं जालोर से 35 किमी दूरी पर स्थित कुआबेर में भी प्रतिदिन 5 से 6 घंटे तक बिजली कटौती हो रही है। कुआबेर में 10 ट्यूबवैल है और यहां से जालोर शहर को प्रतिदिन 25 लाख लीटर तक पानी मुहैया हो रहा था, लेकिन अभी यहां पर भी पानी का प्रोडक्शन प्रभावित हुआ है।
जल स्त्रोतों पर स्थित जीएसएस पर बिजली कटौती नहीं की जानी है, लेकिन जालोर में इन निर्देशों पर डिस्कॉम ध्यान नहीं दे रहा। मंगलवार की बात करें तो तैतरोल में सवेरे 4 बजे से लेकर 10 बजे तक अघोषित बिजली कटौती का सिलसिला जारी रहा। यही हालात कुआबेर पर भी रहे। तैतरोल में बिजली कटौती के चलते पानी की पंपिंग नहीं हो पाई।
जिला मुख्यालय पर ही इस जल संकट की स्थिति में लोगों को टैंकरों से पानी मंगवाना पड़ रहा है। पानी की डिमांड इस कदर बढ़ी है कि टैंकर से पानी मंगवाने पर भी लोगों को अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रह है।
नर्मदा परियोजना की क्रियान्विति के साथ जालोर में 132 लीटर प्रतिदिन प्रतिव्यक्ति के अनुसार पानी की आपूर्ति की जानी थी। नियमानुसार 100 लीटर प्रतिदिन प्रतिव्यक्ति के अनुसार सप्लाई होनी चाहिए। लेकिन अभी पानी की मात्रा कम मिल रही है और उसके लिए भी इंतजार बढ़ गया है। सूत्रों के अनुसार अभी 80 से 100 लीटर प्रतिदिन प्रतिव्यक्ति के अनुसार 3 से 4 दिन में एक बार पानी बमुश्किल मिल रहा है।
तैतरोल प्लांट पर पिछले कुछ दिनों में अपर्याप्त बिजली आपूर्ति से पानी की पंपिंग प्रभावित हुई है। उसके बाद भी अब आपूर्ति का शैड्यूल बहाल रखने का प्रयास कर रहे हैं। बिजली निर्बाध मिलती रहे तो जलापूर्ति व्यवस्थित हो जाएगी।
– ताराचंद कुलदीप, अधीक्षण अभियंता, जलदाय विभाग