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हाइवे की होटलों और ढाबों पर खुले आम बिक रहा नशा

locationजालोरPublished: Oct 24, 2018 11:38:41 am

जहां नहीं मिलते मादक पदार्थ, बंद हो जाती हैं ऐसी अधिकतर होटलें

national highway sanchore

हाइवे की होटलों और ढाबों पर खुले आम बिक रहा नशा

वींजाराम डूडी
सांचौर. क्षेत्र से गुजरने वाला नेशनल हाइवे लम्बे समय से अवैध मादक पदार्थों का कारोबार करने वालों की शरणस्थली बना हुआ है। राज्य सरकार की ओर से सरकारी डोडा-पोस्त की बिक्री पर रोक लगाने के बाद अब इसकी तस्करी बढ़ गई है। सांचौर सहित आस-पास के क्षेत्र में अवैध डोडा बिक्री का कारोबार जोरों पर चल रहा है। इसके बावजूद पुलिस प्रशासन ने आज दिन तक कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की है। जिसके कारण इस हाइवे से गुजरने वालों को ट्रक चालकों को अवैध डोडा आसानी से नसीब हो जाता है। हाइवे पर संचालित होटलों व ढाबों पर चल रहा नशे का यह अवैध कारोबार नया नहीं है, बल्कि ये कई सालों से चल रहा है और इसी की बदौलत हाईवे के ढाबे और होटलें जिंदा भी हैं। प्रशासन व निर्वाचन आयोग भी आचार संहिता के दौरान सख्ती बरतने के बजाय उदासीन बना हुआ है। गौरतलब है कि गरडाली से गांधव तक करीब ३५ किमी लम्बे इस हाइवे के दोनों ओर दर्जनों होटलें और ढाबे संचालित हो रहे हैं। जहां भोजन के साथ-साथ अवैध शराब, डोडा और अफीम का धंधा बैखोफ किया जा रहा है। खासकर पंजाब से लम्बी दूरी तक जाने वाले ट्रक चालक इस नशे की खरीद अधिक करते हैं। जिसकी बदौलत हाइवे किनारे संचालित हो रहे ये अवैध ढाबे दिनों दिन फल-फूल रहे हैं। इन होटलों व ढाबों पर शाम ढलते ही अफीम, डोडा और शराब के बंधाणी ट्रक चालकों की रहवाणें होती हैं। मगर कार्रवाई के लिए हाइवे की पैट्रोलिंग गाड़ी महज औपचारिकता ही बरत रही है।
बिना इजाजत चल रही होटलें और ढाबे
क्षेत्र से गुजरने वाले इस 3५ किमी लम्बे हाइवे पर दर्जनों होटलें और ढाबे चल रहे हैं, जिनमें से अधिकतर की अनुमति ना तो हाइवे प्रशासन से ली गई और ना ही स्थानीय प्रशासन के पास इनका रिकॉर्ड है। नियम कायदे ताक में रख चलाए जा रहे इनमें से कई ढाबों में अफीम, डोडा और शराब की बिक्री होती है। होटलों की आड़ में चल रहे इस अवैध कारोबार से संचालक अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं, लेकिन प्रशासन की नजरों में होने के बावजूद ऐसे लोग गिरफ्त से दूर हैं।
इन क्षेत्रों में चल रहा कारोबार
वैसे तो नेशनल हाइवे पर संचालित करीब-करीब सभी होटलों व ढाबों में अवैध नशे का कारोबार सामान्य बात है, लेकिन कुछ ढाबे सालों से जमे होने से यहां इसका कारोबार अधिक है। इनमें गरडाली, प्रतापुपुरा, कारोला, धमाणा, डेडवा, मीठीबेरी, सिवाड़ा, रणोदर व रामद्वारा में स्थित होटलों पर ऐसी गतिविधियां आसानी से देखी जा सकती हैं।
जहां नहीं मिलता, वहां नहीं रुकती ट्रकें
हाइवे पर संचालित एक ढाबा संचालक ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि जिस ढाबे में ये मादक पदार्थ नहीं मिलते, वहां ट्रकों का ठहराव भी नहीं होता। जिसकी वजह से जहां ट्रक चालक इस धंधे का मुख्य वाहक बन रहे हंै। वहीं ढाबा संचालक इसकी मुख्य कड़ी बनकर इसे बड़े स्तर पर अंजाम दे रहे हैं। इस तरह बंधाणी ट्रक चालकों की मजबूरी को ढाबा संचालकों ने अपना धंधा बना लिया है। जिसके आगे नियम कायदे भी बौने नजर आ रहे हैं।
होती हैं वारदातें
नियम कायदों को ताक में रखकर संचालित हो रहे हाइवे के इन ढाबो पर नियमित गश्त के अभाव में कई बार अपराधिक गतिविधियों को भी अंजाम दिया जाता है। देर रात तक ढाबों में सजने वाली महफिलों के कारण अक्सर मारपीट, लूट व अपहरण जैसी वारदातें भी सामने आ चुकी हैं। वहीं प्रतिबंधित क्षेत्र होने के बावजूद हाइवे से गुजरने वाले आला अपराधी भी यहां आसानी से ठहराव कर निकल जाते हैं। जिसकी पुलिस प्रशासन को भी भनक नहीं लग पाती है।
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