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बढ़ते तापमान ने बढ़ाई किसानों की चिंता, कृषि विभाग ने दी फसलों के बचाव की सलाह

locationजालोरPublished: Mar 02, 2021 09:23:10 am

फरवरी माह में ही इस बार अधिकतम तापमान 35 डिग्री तक दर्ज किया गया है, जो मु य रूप से किसानों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। मौसम विशेषज्ञ स्वयं भी मान रहे हैं कि इस वर्ष औसतन 2 डिग्री तक तापमान अधिक है।

बढ़ते तापमान ने बढ़ाई किसानों की चिंता, कृषि विभाग ने दी फसलों के बचाव की सलाह

जालोर. तड़वा स्थित एक खेत में गेहूं की फसल।

फैक्ट फाइल
1 लाख 35 हजार हैक्टेयर में जीरे की बुवाई
40 हजार 726 हैक्टेयर में इसबगोल की बुवाई
76 हजार हैक्टेयर में सरसों की बुवाई
10 हजार 100 हैक्टेयर में चने की बुवाई
जालोर. फरवरी माह में ही इस बार अधिकतम तापमान 35 डिग्री तक दर्ज किया गया है, जो मु य रूप से किसानों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। मौसम विशेषज्ञ स्वयं भी मान रहे हैं कि इस वर्ष औसतन 2 डिग्री तक तापमान अधिक है। जिससे फसलों पर प्रतिकूल असर पडऩे वाला है और इन संभावित नुकसान से बचने के लिए किसानों को विशेष ध्यान देने की जरुरत है। सीधे तौर पर यह कहा जा सकता है कि इस बार गर्मी का असर कुछ जल्दी शुरू हो गया है। जिससे गेहूं की फसल पर सबसे ज्यादा प्रतिकूल असर पडऩे वाला है। रविवार के तापमान की बात करें तो जालोर में अधिकतम तापमान 35 और न्यूनतम 13 डिग्री दर्ज किया गया, जो औसत से कुछ अधिक है। (एसं)
गेहूं में विशेष निगरानी की जरुरत
तापमान अधिक रहने पर गेहूं की फसल हीट स्टे्रस का प्रभाव रह सकता है। इस स्थिति में बालियों में दानों की सं या कम रह सकती है या फसल पूरी तरह से पक नहीं पाती। इस स्थिति से बचाव के लिए फसल में बुवाई से 85 से 90 दिन बाद दाना बनने की प्रारंभिक अवस्था में सिंचाई की जाए। इसी तरह गर्मी का असर बढऩे पर जीरा, ईसबगोल की फसल में भी सिंचाई की जाए।
चने में कीट का प्रकोप बढ़ सकता है
विशेषज्ञों की मानें तो बदलने मौसम के बीच चने की फसल में कीट का प्रकोप बढ़ सकता है। मुख्य रूप से देरी से बोये गए चने की फसल में फली छेदक कीट का प्रकोप रह सकता है। कीट से फसलों के बचाव के लिए इमामेक्टिन बेंजोएट एक ग्राम प्रति लीटर के अनुसार छिडक़ाव करें।
आगे भी बढऩे वाला है तापमान
मार्च माह की शुरुआत से ही अधिकतम और न्यूनतम दोनों ही तापमान में इजाफे की संभावना है। मौसम विभाग के संभावित मौसम पर गौर करें तो 1 मार्च को अधिकतम तापमान 35 और न्यूनतम 11 डिग्री तापमान रह सकता है। इसी तरह 2 मार्च को 36 और 10, 3 मार्च को 36 और 11, 4 मार्च को 37 और 14 डिग्री और 5 मार्च को 38 और 13 डिग्री तापमान पहुंच सकता है। ये हालात फसलों के लिए फायदेमंद कतई नहीं हैं।
उत्पादन पर पड़ेगा असर
किसानों की मानें तो पहली बार फरवरी के अंत में ही मौसम ज्यादा गर्म हुआ है। ऐसे में मार्च तापमान में और इजाफा संभव है। इसका सीधा असर फसलों की पैदावार पर ही पड़ेगा। मौसम का मिजाज यही रहा तो गेहूं और जीरे के उत्पादन पर असर पड़ेगा।
किसान चिंतित
वर्तमान मौसम फसलों के लिए अनुकूल नहीं है, तापमान समय से पहले ही ज्यादा पहुंच चुका है। इससे मु य रूप से जीरे और गेहूं को नुकसान की आशंका है।
– मदन सोलंकी, किसान, तड़वा
ठंड का असर कम होने पर गेहूं में दाने नहीं पड़ेंगे, या इस स्थिति में पूरी तरह से नहीं पकेंगे। तापमान में बढ़ोतरी से सीधे तौर पर फसलों को नुकसान है।
– करणपुरी, किसान, पिजोपुरा
इनका कहना
इस बार अपेक्षाकृत औसत तापमान में इजाफा हुआ है, जिससे फसलों पर कुछ नकारात्मक असर पड़ सकता है। इसलिए फसलों की सार संभाल, सिंचाई और कीट प्रबंधन आवश्यक है।
– आनंद कुमार, मौसम विशेषज्ञ
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