ये खामोशी ले सकती है जान…क्या ये हालात भी नहीं दे रहे खतरे की आहट?
जालोरPublished: Jan 20, 2021 11:08:26 am
महेशपुरा में करंट लगने के बाद बस में आग की घटना में 6 जनों की मौत के मामले के बाद कमेटी का गठन किया गया है, जो इस हादसे के कारणों पर तीन दिन में रिपोर्ट पेश करने वाली है। करंट लगने के दौरान दर्दनाक मौत का संभावित जालोर जिले का यह सबसे बड़ा हादसा है, जो विभागीय कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहा है।
जालोर. रामदेव कॉलोनी स्थित राजकीय विद्यालय के ऊपर से गुजर रही 132 केवी बिजली लाइन।
जालोर. महेशपुरा में करंट लगने के बाद बस में आग की घटना में 6 जनों की मौत के मामले के बाद कमेटी का गठन किया गया है, जो इस हादसे के कारणों पर तीन दिन में रिपोर्ट पेश करने वाली है। करंट लगने के दौरान दर्दनाक मौत का संभावित जालोर जिले का यह सबसे बड़ा हादसा है, जो विभागीय कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहा है। सीधे तौर पर ये बड़े खतरे की आहट है, जिस पर प्रशासनिक और विभागीय स्तर पर कार्रवाई की जरुरत है। इन हालातों में यह बिंदु महत्वपूर्ण हो जाता है कि संभावित खतरे वाले प्वाइंट को चिह्नित कर उनका समाधान किया जाए। इस मामले में चौंकाने वाला बिंदु यह है कि जिले में सरकारी स्कूलों के ऊपर से ही हाईटेंशन लाइनें गुजर रही है। जिला मु यालय की बात करें तो रामदेव कॉलोनी स्थिति राजकीय विद्यालय में नौनिहालों की जिंदगी खतरे में है। इस विद्यालय के ऊपर से 132 केवी की हाईटेंशन बिजली लाइन गुजर रही है। मामले को वर्ष 2014 में तत्कालीन कलक्टर जितेंद्र सोनी ने गंभीरता से लिया था और ऐसे विद्यालयों को चिह्नित करने के साथ बच्चों के सिर से यह खतरा हटाने के लिए कार्ययोजना तैयार करने के लिए विभागीय अधिकारियों को निर्देशित किया था, लेकिन कुछ दिनों की कवायद के बाद मामला ठंडे बस्ते में है। चूंकि मामला फाल्ट, करंट, और कम ऊंचाई से गुजर रहे बिजली तारों से जुड़ा है तो इन मामले में भी सकारात्मक कार्य की जरुरत है। (एसं)
ये हालात शहर के बीच
जिलेभर में कम ऊंचाई से गुजरते बिजली तारों की समस्या आम है, लेकिन डिस्कॉम जीएसएस के पीछे की तरफ लगते हुए एरिया शांतिनगर बी ब्लॉक में लापरवाही का बड़ा उदाहरण देखने को मिलता है। इस एरिया से होकर 132 केवी हाईटेंशन लाइनें गुजर रही है। यही लाइन सरकारी स्कूल के ऊपर से ही गुजर रही है। यह एरिया आबादी है और बड़ी संख्या में लोग इस तार की जद में ही निवास कर रहे हैं। यहां रहने वाले वाशिंदों का कहना है कि करीब दो दशक पूर्व इस क्षेत्र में कुछ लोग ही निवास कर रहे थे। यहां जो मकान थे वे भी इन लाइनों की जद से काफी दूर थे, लेकिन अब यहां पूरा क्षेत्र आबाद है। सीधे तौर पर कहीं न कहीं मास्टर प्लान की अनदेखी और जिम्मेदारों की लापरवाही नतीजा है। जिसके कारण इन बिजली के तारों की जद में इस बेपरवाही को देखा जा सकता है।
यहां पर भी बेपरवाही
शहर के भीतरी भागों और व्यस्त क्षेत्रों पर भी विकट हालात है। पंचायत समिति क्षेत्र के सामने भक्त प्रहलाद चौक मार्ग पर बिना सेफ्टी रेलिंग के कम ऊंचाई पर ट्रांसफार्मर लगा हुआ है। वहीं यहां से गुजर रहे तारों के समूह पर गार्डिंग तक नहीं है। जबकि यह क्षेत्र व्यस्त है। इसी तरह के हालात शहर के भीतरी भागों और गली मोहल्लों में है, जहां तार बहुत कम ऊंचाई पर है और रोड क्रॉस करने वाले तारों पर गार्डिंग नहीं है।
नहीं हो सकता नीचे निर्माण
भारतीय विद्युत नियम-1956 के तहत हाईटेंशन लाइन के नीचे कोई भी निर्माण नहीं हो सकता। लेकिन यहां हालात विकट है। इस लाइन के नीचे सरकारी स्कूल स्थापित है। वहीं इसकी जद में कई मकान बने हुए हैं।
जिलेभर में है हालात विकट
चितलवाना ब्लॉक की 8 स्कूलें थीं चिह्नित
मामले की गंभीरता को इस तरह से समझा जा सकता है कि चितलवाना ब्लॉक की 8 स्कूलों के ऊपर से बिजली के तार गुजर रहे हैं। जिसमें राबाउप्रावि चितलवाना, राप्रावि डेडरीयानाडी, राउप्रावि मेघावा, राप्रावि धत्राधियों की ढाणी चितलवाना, राउप्रावि रामपुरा ईदादा, राउप्रावि मुली, राउप्रावि वणियालों की ढाणी एवं राप्रावि मालियों का गालिया केसूरी को सूचीबद्ध किया गया था, लेकिन हालात तस के तस है।
ये हैं नियम कायदे, जिनका हो रहा उल्लंघन
– सडक़ से 5.5 मीटर ऊंचे हों
– सडक़ से गुजर रहे तार पर गार्डिंग अनिवार्य
– रेलवे लाइन के पास नहीं हों
– सार्वजनिक स्थान से दूर हों
– आबादी वाले क्षेत्र में इंसुलेटेड एचटी तार का प्रयोग हो
– 132 केवी एचटी लाइन के 23 मीटर की दूरी पर मकान बनें
– 220 केवी एचटी लाइन के 35 मीटर दूर घर बनें
इसलिए खतरा अधिक
– 23 से 35 मीटर की दूरी से भी झुलसने का डर
– टूट कर गिरे तो दूर-दूर तक तबाही
– जमीन पर गिरने से दरार और करंट प्रवाह
– पतंग के मांझे से करंट का प्रवाह
इनका कहना
इस कॉलोनी की प्लॉटिंग हुई तब गाइडलाइन का ध्यान दिया गया था। 132 केवी की लाइन की जद में कोई भी प्लॉट और निर्माण नहीं था, लेकिन उसके बाद लोगों ने मनमर्जी से इस क्षेत्र को अतिक्रमण की जद में ले लिया। इस तरफ नगरपरिषद और प्रशासन ने भी ध्यान नहीं दिया। सीधे तौर पर इस लाइन की जद में ही ये मकान हैं, जिससे खतरे की आहट है। डिस्कॉम को भी पूर्व में अवगत करवाया, लेकिन उन्होंने भी इन लोगों केा पाबंद करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। उसके बाद ध्यान नहीं दिया गया है और यही कारण अब मनमर्जी से खतरे को मौल ले रहे है। प्रशासन की तरफ
– विनोद सिन्हा, शांतिनगर बी ब्लॉक, मौहल्लेवासी
इस तरह के मामले में कार्रवाई की जाएगी। मुख्य रूप से जो खतरे वाले स्थान हैं। उन्हें चिह्नित कर उनके समाधान के लिए प्रयास किया जाएगा।
– हिमांशु गुप्ता, कलक्टर, जालोर