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नगरपरिषद के रिकॉर्ड रूम में आग क्या लगी, शहर में दो पार्षद अवैध कब्जों के लिए काट रहे चक्कर

locationजालोरPublished: Feb 24, 2020 11:39:10 am

www.patrika.com/rajasthan-news

Jalore city Photo

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जालोर. पिछले महीने नगरपरिषद की भूमि शाखा के रिकॉर्ड में आग क्या लगी, इन दिनों शहर में जगह-जगह खाली पड़ी सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे करने के लिए दलाल और भूमाफिया चक्कर काटते नजर आ रहे हैं। गौरतलब है कि परिषद के रिकॉर्ड रूम में आगजनी की घटना के बाद में कई पट्टा रजिस्टर और महत्वपूर्ण दस्तावेज जलकर नष्ट हो गए थे। इनमें ऐसे भी कई पट्टे और पत्रावलियां थी, जिनसे संबंधित पट्टे कुछ समय पहले ही जारी किए गए थे। फिलहाल यह कक्ष पुलिस ने नगरपरिषद को हेंडओवर नहीं किया है। जिसके कारण परिषद अधिकारी आगजनी में अब तक क्या-क्या जलकर राख हुआ और क्या-क्या बच पाया इसकी सूची तक नहीं बनवा पाए हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि भ्रष्टाचार के मामले में तत्कालीन दोनों आयुक्त व कार्मिकों के पकड़े जाने के बाद भू-माफियाओं के साथ मिलकर खुद परिषद के ही नवनिर्वाचित कुछ पार्षद नगरपरिषद की जमीन पर नजरें गढ़ाए बैठे हैं। दो दिन पूर्व कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है, जिसमें नवनिर्वाचित कुछ पार्षदों ने सोशल मीडिया पर बने नगररपरिषद के ही एक ग्रुप में एक रहवासी मकान और पट्टाशुदा आवासीय भूखंड को अवैध कब्जा बता दिया। इतना ही नहीं सभापति और नगरपरिषद अधिकारियों से इस आवासीय भूखंड के दस्तावेज पेश करने की बात कही गई। जिसके बाद भूखंड स्वामी को देर रात इसके दस्तावेज पेश करने के लिए परेशान किया गया। जबकि परिषद के अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को इससे पहले खुद के स्तर पर नगरपरिषद का रिकॉर्ड जांचना था कि यह भूमि परिषद की संपत्ति है या नहीं।
दस्तावेज पेश किए तो मानी गलती
इस मामले में नवनिर्वाचित कुछ पार्षदों ने जब आवासीय भूखंड से संबंधित दस्तावेज मांगे तो सभापति ने सोशल मीडिया पर ही इसका जवाब देते हुए मूल दस्तावेजों की प्रतियां अपलोड की। इस भूखंड का अवासीय पट्टा और दस्तावेज अभी के नहीं थे, बल्कि तीन दशक से पहले के थे। जहां पूरा परिवार निवासरत है। जिसके बाद पार्षदों ने गलती स्वीकार की।
नौसीखियों की तरह कर रहे काम
मामले में खास बात यह है कि नगरपरिषद के कारिंदे नौसीखियों की तरह काम कर रहे हंै। बिना किसी वेरिफिकेशन या तथ्यों को जांचे ही पुराने पट्टाधारकों यहां तक की 3 दशक से पुराने निर्मित हुए मकान मालिकों के घरों तक ये लोग पहुंच चुके हैं। जबकि इस मामले में यह तथ्य अहम है कि इन भवनों के निर्माण की स्वीकृतियां भी नगरपरिषद (उस समय नगरपालिका) द्वारा जारी की गई थी। यही नहीं इन भवनों की स्वीकृतियों में बकायदा ब्लू प्रिंट और पट्टों की पत्रावलियां तक शामिल है। इसके बावजूद मनमर्जी से कुछ कार्मिक व पार्षद अपने स्तर पर ही इस नियम विरुद्ध काम को अंजाम दे रहे हैं, जो जांच का विषय है।
क्या ऐसे विकट हालात हो चुके हैं परिषद के
शनिवार देर रात हुए इस घटनाक्रम में सबसे रोचक तथ्य यह है कि पट्टाशुदा जमीन के बारे में बिना तथ्य जुटाए ही ना केवल नगरपरिषद के पार्षद ने शिकायत की, बल्कि पालिका के अधिकारी और कुछ कार्मिक भी वहां तक पहुंच गए। जबकि पहले स्तर पर उन्हें स्वयं के दस्तावेज जांचने की जरूरत थी। ऐसे सीधे तौर पर यह माना जा सकता है कि परिषद के वर्तमान हालात ऐसे हो चुके हैं कि उसे खुद की संपत्ति के दस्तावेजों के बारे में भी जानकारी नहीं है। जो एक बड़े खतरे के संकेत दे रहे हैं। वहीं कुछ कारिंदे नगरपरिषद की साख पर भी बट्टा लगा रहे हैं।

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